कभी सस्पेंडर पहनकर नाचना माना जाता था अपमानजनक, जानें 'नाटू-नाटू गाने में एक्टर के लुक का इतिहास
‘आरआरआर’ ने पहली बार 2023 गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स में अपने लोकप्रिय गीत ‘नाटू नाटू’ के लिए सर्वश्रेष्ठ ‘ओरिजिनल सॉन्ग-मोशन पिक्चर’ श्रेणी का पुरस्कार अपने नाम किया.
10 जनवरी को तेलुगू फिल्म आरआरआर के सुपरहिट गाने 'नाटू-नाटू' ने 80वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड में बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग का खिताब अपने नाम कर लिया. एसएस राजामौली के निर्देशन में बनी फिल्म आरआरआर के इस गाने में साउथ के दो सुपर स्टार जूनियर एनटीआर और रामचरण तेजा नजर आ रहे हैं.
इस गाने में दोनों ही सुपरस्टार अपने ट्राउजर में लगे बेल्ट (सस्पेंडर्स) को प्रॉप की तरह इस्तेमाल करते हुए नाचते दिख रहे हैं. उनका ये डांस स्टेप जितना लोगों को पसंद आ रहा है उतना ही उनके लुक की भी बातें हो रही है.
इस गाने में जूनियर एनटीआर और रामचरण तेजा ने जो बेल्ट (सस्पेंडर) पहनी है, उसका इतिहास कमर बेल्ट से भी ज्यादा पुराना है. लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि इस फिल्म की कहानी जिस दशक की है उस वक्त सस्पेंडर्स के साथ नाचते हुए लोगों को विरोध करने वाला माना जाता था.
दिलचस्प है सस्पेंडर्स का इतिहास
लंबे समय तक सस्पेंडर्स (पैंट को सहारा देने के लिए पहना जाने वाला फीता) पुरुषों के कपड़ों का एक अभिन्न हिस्सा हुआ करता था. लेकिन फिर कमर पर पहनी जाने वाली बेल्ट मार्केट में आई और इस तरह सस्पेंडर्स का चलन खत्म होता चला गया. सस्पेंडर्स को ब्रेसेस के तौर पर भी जाना जाता है. पुराने जमाने में ये पैंट के भीतर होते थे और कोट या जैकेट के जरिए ढक दिए जाते थे.
उस वक्त सिर्फ शर्ट के ऊपर पहनना सम्मानजनक नहीं माना जाता था. RRR फिल्म की कहानी 1920 के दशक में बेस्ड है और इस समय को लेकर माना गया है कि इंग्लैंड में सस्पेंडर्स के साथ नाचते हुए दो लोगों को आक्रामक या कहें विरोध करने वाला माना जाता है.
1700 के दशक से पहना जाता है सस्पेंडर्स
सस्पेंडर्स का इतिहास बेल्ट से भी ज्यादा पुराना है. यह कपड़े या चमड़े की पट्टियां हैं जो स्कर्ट या पैंट को पकड़ने के लिए कंधों पर पहनी जाती थी. इसका इस्तेमाल पिछले 1700 के दशक से ही किया जाता रहा है, लेकिन इसे पहली बार पहली बार 1822 में लंदन के एक हैबर डेशर अल्बर्ट थर्स्टन द्वारा "ब्रेसिज़" के रूप में लोकप्रिय किया गया था. उन्हें ही आधुनिक सस्पेंडर्स, या "ब्रेसेस" के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है.
दरअसल 1800 के दशक की शुरुआत में हाई वेस्ट पैंट लोकप्रिय होने लगा. इस पैंट को पहनने के बाद जब लोग सांस लेते थे तो यह आसानी से नीचे गिर जाता था. उस वक्त लोगों को एक ऐसे एकसेसरी की जरूरत थी जो पैंट को कमर से जोड़े रख सके. तब लोगों ने सस्पेंडर को पहनना शुरू किया और यह एक बार फिर लोकप्रिय होने लगा.
प्रथम विश्व युद्ध के बाद कम हुई लोकप्रियता
प्रथम विश्व युद्ध ने फैशन में बड़े बदलाव लाए, जिससे सस्पेंडर्स की लोकप्रियता प्रभावित हुई. विश्व युद्ध के दौरान लाखों पुरुषों को सेना की वर्दी पहननी पड़ती थी, जिसके कारण लोगों को लो वेस्ट और फिटिंग पैंट पहनने की आदत हुई. युद्ध के बाद भी लोगों को सस्पेंडर्स पहनने से आरामदायक बेल्ट पहनना लगने लगा. साथ ही बाजार में चमड़े की बेल्टों की भरमार हो गई.
इसके अलावा जैसे-जैसे समय के साथ लोगों के बीच वेस्ट कोट की लोकप्रियता कम होती गई, सस्पेंडर्स को भी नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि पुरुषों ने पारंपरिक रूप से उन्हें छुपाने वाला बेल्ट पहनना बंद कर दिया. 1800 के दशक में सबसे ज्यादा लोकप्रिय सस्पेंडर साल 1938 तक पूरी तरह गायब हो चुका था. 1938 की लाइफ मैगज़ीन ने एक सर्वे में कहा था कि 60 प्रतिशत अमेरिकी पुरुषों ने सस्पेंडर्स के बजाय बेल्ट को चुना.
1940 के दशक में, जब फुलर-कट ट्राउज़र्स की वापसी हुई, तो उनके साथ सस्पेंडर्स एक बार फिर मार्केट में नजर आने लगा. आज भी, वॉल स्ट्रीट (1987) जैसी फिल्मों और लैरी किंग जैसी हस्तियों की कई तस्वीरों में उन्हें सस्पेंडर्स पहने देखा जा सकता है.
नाटू-नाटू को दो अलग कैटेगरी में मिला था नॉमिनेशन
एस एस राजामौली के निर्देशन में बनी इस फिल्म को दिसंबर में गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स 2023 के लिए दो अलग-अलग कैटेगरी में नॉमिनेशन मिला था. पहला बेस्ट नॉन इंग्लिश लैंग्वेज फिल्म और दूसरा नॉमिनेशन था 'नाटू-नाटू' गाने को बेस्ट ओरिजिनल गाने का. जिसमें बेस्ट हॉलीवुड गानों के बीच साउथ ने एक बार फिर अपना डंका बजाते हुए बाजी मारी और बेस्ट ओरिजिनल गाने का खिताब जीता.
क्या है गोल्डन ग्लोब अवार्ड
गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड फिल्म और मनोरंजन जगत से जुड़े अवार्ड में से एक है. जिसे ऑस्कर पुरस्कार के बाद सबसे बड़ा अवॉर्ड माना जाता है. यह फॉरेन प्रेस एसोसिएशन की ओर से दिए जाते हैं. जिसका मकसद मनोरंजन जगत में बेमिसाल काम करने वालों के सम्मानित करना है. इस अवार्ड के जरिए कलाकार, डायरेक्टर, फिल्म और टीवी से जुड़े लोगों को भी सम्मानित किया जाता है. यह हर साल के जनवरी महीने में दिया जाता है, हालांकि किस केटेगरी में कौन सी फिल्म आई है इसकी घोषणा पहले ही कर दी जाती है.
कैसे होता है चुनाव
इसमें अलग अलग कैटेगरी के विजेताओं के चयनित करने की प्रक्रिया वोटिंग पर आधारित होती है. अमेरिकी और विदेशी पत्रकारों के 93 सदस्यों का एक समूह इन अवॉर्ड्स के लिए वोटिंग करता है.
1944 में पहली बार हुआ आयोजन
इस अवार्ड की शुरुआत हॉलीवुड फॉरेन प्रेस एसोसिएशन ने साल 1944 में किया था. सबसे पहली बार इस अवार्ड से जेनिफर जोन्स को 'द सॉन्ग ऑफ बर्नाडेट' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित हुई थीं. इन्ही को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी मिला था. इसके अलावा पॉल लुकास को 'वॉच ऑन द राइन' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला था.