नदीमर्ग नरसंहार कांड: 24 कश्मीरी पंडितों की वो 'टारगेट किलिंग', जब बच्चे को चुप कराने के लिए सीने मे उतार दी गोली
2003 Nadimarg Massacre: 23 मार्च 2003 को नदीमर्ग में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी सेना की वर्दी पहनकर आए थे. उन्होंने 24 कश्मीरी पंडितों को एक लाइन में खड़ाकर गोलियों से भून दिया था.
Nadimarg Massacre: नए साल के पहले ही दिन जम्मू-कश्मीर के राजौरी स्थित अपर डांगरी इलाके में आतंकियों ने चार कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया. खबर के मुताबिक, इस जानलेवा हमले में 6 लोग घायल भी हुए हैं. चश्मदीदों का कहना है कि घटना को अंजाम देने वाले दोनों हथियारबंद आतंकियों ने अपर डांगरी इलाके में मंदिर के पास 3 अल्पसंख्यक हिंदुओं के घरों को निशाना बनाया.
चश्मदीदों के अनुसार, आतंकियों ने पहले कथित तौर पर कश्मीरी पंडितों के आधार कार्ड देखे थे. इसके बाद प्रीतम शर्मा, आशीष कुमार, दीपक कुमार और शीतल कुमार पर गोलियां बरसा कर उनकी हत्या कर दी. आसान शब्दों में कहें, तो कश्मीरी पंडितों की ये हत्या टारगेट किलिंग के तौर पर अंजाम दी गई है. कश्मीरी पंडितों की इस टारगेट किलिंग ने 2003 के नदीमर्ग नरसंहार की याद एक बार फिर से ताजा कर दी है. आइए जानते हैं नदीमर्ग नरसंहार कांड की वो खौफनाक कहानी...
नदीमर्ग में नहीं हुआ था कश्मीरी पंडितों का पलायन
90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की घटनाओं ने बड़ी संख्या में कश्मीर घाटी से हिंदुओं को पलायन पर मजबूर कर दिया था. कई इलाकों से कश्मीरी पंडितों को पलायन को मजबूर होना पड़ा था. वहीं, नदीमर्ग में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ करीब दशक भर तक इस तरह की कोई घटना नहीं हुई थी. जिसके चलते कश्मीरी पंडितों ने यहां से पलायन नहीं किया था, लेकिन नदीमर्ग में ही रुकने का ये फैसला 23 मार्च 2003 में कश्मीरी पंडितों को भारी पड़ गया.
नाम पुकारा और मार दी गोली
23 मार्च 2003 को नदीमर्ग में आतंकियों ने 24 कश्मीरी पंडितों को लाइन से खड़ा कर गोली मार दी थी. इस नरसंहार में 11 पुरुष, 11 महिलाएं और 2 बच्चों को मौत के घाट उतार दिया गया था. घटना के बारे में कहा जाता है कि लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों का नाम लेकर उन्हें घर से निकाला और फिर एक साथ सबको गोली मार दी. उस दौरान नदीमर्ग में करीब 50 कश्मीरी पंडित रह रहे थे, लेकिन आतंकियों के आने की खबर मिलते ही कई लोग वहां से जान बचाकर भागने में कामयाब हो गए.
सेना की वर्दी में आए थे आतंकी
पुलवामा जिले के नदीमर्ग गांव में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी सेना की वर्दी पहनकर आए थे. नदीमर्ग नरसंहार को लेकर कहा जाता है कि आतंकियों का इरादा कश्मीरी पंडितों की हत्या का आरोप भारतीय सेना पर लगाने का था. जिससे माहौल बने कि भारतीय सेना ही कश्मीरी पंडितों का नरसंहार करती है और इल्जाम आतंकियों पर लगा देती है.
23 मार्च 2003 की वो खौफनाक रात
नदीमर्ग नरसंहार को अंजाम देने से पहले आतंकियों ने कई दिनों तक वहां की रेकी कर कश्मीरी पंडितों की जानकारी जुटाई थी और सेना की वर्दी का सहारा लेकर हिंदुओं को वहां से निकालने का भरोसा दिलाया था. 23 मार्च 2003 की रात को आतंकियों ने वहां पहुंच कश्मीरी पंडितों को उनके घरों से खींचकर बाहर निकाला और सबको एक लाइन में खड़ा कर उन्हें गोलियों से भून दिया. नदीमर्ग नरसंहार कांड में मरने वाला एक बच्चा महज दो साल की उम्र का था.
इकलौते गवाह ने खोला थे सनसनीखेज राज
नदीमर्ग नरसंहार कांड में जिंदा बचे मोहन लाल भट ने इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि रात को अचानक एक शोर सुनाई दिया और तोड़-फोड़ की आवाजें आने लगीं. सेना की वर्दी में आए कुछ लोगों से मेरी मां हमें जिंदा छोड़ देने को कह रही थी. जिस पर आतंकियों ने कहा था, हम तुम्हें चुप कराने ही आए हैं. इसके बाद आतंकियों ने गोलियां बरसा दीं.
बच्चा रोया, तो चुप कराने के लिए सिर में उतार दी गोली
वरिष्ठ पत्रकार राहुल पंडिता की किताब 'आर मून हैस ब्लड क्लॉट्स' के अनुसार, ताबड़तोड़ गोलियां बरसाने के बावजूद एक बच्चा बच गया था. वो रो रहा था, तो आतंकियों ने उसे चुप कराने के लिए और गोलियां बरसा दीं. सिर में गोली लगते ही वो छोटा सा मासूम बच्चा तुरंत ही चुप हो गया. वहीं, मोहन लाल भट ने बताया कि उनके पूरे परिवार को आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया था. नदीमर्ग नरसंहार में मोहन ने अपने पिता, मां, बहन और चाचा को खोया था.
दो दशक बाद फिर खुला मामला
नदीमर्ग नरसंहार के बाद जैनापुर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था. पुलिस की जांच के बाद पुलवामा सेशंस कोर्ट में 7 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी. हालांकि, नदीमर्ग नरसंहार के गवाहों और चश्मदीदों में से ज्यादातर कश्मीर छोड़ कर चले गए थे और जान का खतरा देख वापस नहीं आना चाहते थे. ये केस बाद में बंद कर दिया गया था, लेकिन 2014 में एक नई रिवीजन याचिका दाखिल होने के बाद जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने नदीमर्ग नरसंहार केस को फिर खोलने का फैसला किया था.
द कश्मीर फाइल्स में था ये किस्सा
बीते साल की सुपरहिट फिल्मों में शामिल रही फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' में नदीमर्ग नरसंहार कांड को भी दिखाया गया था. कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स में अतीत के कई मनहूस पन्नों को सबके सामने रखा गया था. इस फिल्म ने बॉक्सऑफिस पर धीमी शुरुआत के बाद ताबड़तोड़ कमाई कर कई रिकॉर्ड अपने नाम किए थे.