कोहिमा: देश के पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड में विधानसभा चुनाव होने हैं, तमाम राजनीतिक दलों ने एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रखा है. बावजूद इसके इतने महत्वपूर्ण समय में भी शायद ही कोई नागालैंड की ख़बरें जानने में दिलचस्पी दिखाता होगा. लेकिन आज हम आपको जो ख़बर बता रहे हैं वो अपने आप में बेहद दिलचस्प है जिसे जान कर आप भी कहेेंगे कि क्या ये वाकई सच है?


बता दें नागालैंड को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले 54 साल बीत चुके हैं, अब तक 12 विधानसभाएं देख चुके नागालैंड के नागरिकों को अभी भी अपनी पहली महिला विधायक को देखना बाकी है. जी हां, नागालैंड के इतिहास में आज तक कोई भी महिला विधानसभा सदस्य के तौर पर नहीं चुनी जा सकी है.


इस विधानसभा चुनाव में 60 सीटों पर कुल 195 उम्मीदवार अपनी क़िस्मत आज़मा रहे हैं. जिनमें से महज़ 5 महिला उम्मीदवार हैं दौड़ में हैं जो नागालैंड के अब तक के इतिहास में महिलाओं की सबसे बड़ी भागीदारी है, क्योंकि एडीआर के मुताबिक़ पिछले विधानसभा चुनाव में दो और 2008 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ़ चार महिला प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आज़माने के लिए आई थीं.



इस बार महिला प्रत्याशियों की संख्या सबसे ज़्यादा है, इसलिए लोगों में यह उम्मीद है कि नागालैंड विधानसभा चुनाव में पहली महिला विधायक चुनी जाएगी. नागालैंड के मुख्य चुनाव अधिकारी अभिजीत सिन्हा इसके पीछे राज्य के पितृसत्तात्मक समाज को दोषी बताया साथ ही उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि मतदान में महिलाओं की भागीदारी बराबर की रहती है.


20 लाख की आबादी वाले नागालैंड में पुरुष और महिलाओं की संख्या लगभग बराबर है, लेकिन बावजूद इसके आज तक किसी भी महिला विधायक का न चुना जाना वाक़ई चिंताजनक है.


मतदान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाली महिलाएं चुनाव लड़ने में पीछे क्यों रह जाती हैं? पिछले साल जब सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद नागालैंड के मुख्यमंत्री टी आर जेलियांग ने शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण की घोषणा की थी लेकिन इसका असर ये हुआ कि पूरा नागालैंड जल उठा.


आख़िरकार आदिवासी संगठनों के विद्रोह के चलते मुख्यमंत्री को इस्तीफ़ा तक देना पड़ गया. इस घटना से यह अंदाज़ा लगाया जा सकता हैं कि नागालैंड का पितृसत्तात्मक समाज महिलाओं को किसी भी सूरत में नीति-निर्धारण करते हुए नहीं देखना चाहता.



नागालैंड यूनिवर्सिटी में इंग्लिश डिपार्टमेंट की एचओडी प्रोफ़ेसर रोज़मेरी जिन्होंने नागालैंड में स्थानीय निकायों में महिलाओंको आरक्षण दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुई है. प्रोफ़ेसर रोज़मेरी नागालैंड में पुरुषवादी सोच को दोषी ठहराती हैं.


चूंकि प्रोफ़ेसर रोज़मेरी ने राजनीतिक पार्टियों पर महिलाओं को अहमियत न देने का आरोप लगाया था, इसलिए राज्य की सत्ता पर क़ाबिज़ और नागालैंड की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी एनपीएफ से उनके पक्ष जायज़ा लिया गया. यहां आपका ये जानना ज़रूरी है कि एनपीएफ ने इस बार एक भी महिला उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है.



एनपीएफ की प्रवक्ता मेशिएट ऊकेन्ये ने महिलाओं को लेकर बड़ी-बड़ी बातें तो कीं लेकिन जब उनसे सवाल पूछा गया कि आख़िर आपने किसी भी महिला उम्मीदवार को टिकट क्यों नहीं दिया? तो इसका ठीकरा उन्होंने महिलाओं पर ही फोड़ दिया. उन्होंने कहा कि किसी महिला ने उनसे उम्मीदवारी के लिए सम्पर्क नहीं किया.


दरअसल, इस बार पांच सीटों पर महिला उमीदवार चुनावी मैदान में हैं जिनमें वेदिइ यू क्रोनू और मंगयांगपुला नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के टिकट से क्रमश: दीमापुर-तृतीय और नोकसेन विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रही हैं. राखिला तुएनसांग सदर-द्वितीय सीट से बीजेपी की उम्मीदवार हैं, अवान कोन्याक नवगठित एनडीपीपी से अबोई सीट से चुनाव मैदान में हैं जबकि रेखा रोज दुक्रू चिझामी विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार हैं.



चूंकि बीजेपी ने एक महिला उम्मीदवार को टिकट दिया है और वो पूर्वोत्तर में अपनी पकड़ मज़बूत बनाना चाहती है. नागालैंड बीजेपी के महासचिव एडूजू थेल्यो से बात-चीत के दौरान उन्होंने दावा किया कि बीजेपी महिलाओं को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही है. महिलाओं की नीति-निर्धारण में हिस्सेदारी न होने की वजह उन्होंने भी नागालैंड की पितृसत्तात्मक सोच को ठहराया.


2011 की जनगणना के मुताबिक नागालैंड में 76 फ़ीसदी महिलाएं पढ़ी-लिखी हैं और कामकाजी महिलाओं की अर्थव्यवस्था में भागीदारी भी पुरुषों के मुक़ाबले कम नहीं है लेकिन जब बात राजनीति में आकर नीति-निर्धारण की होती है तो यहां का पितृसत्तात्मक समाज महिलाओं को वो आज़ादी नहीं देता.


पिछले साल नागालैंड में स्थानीय निकाय चुनावों में महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण दिए जाने के बाद पूरे राज्य में हुए उग्र प्रदर्शन के बावजूद इस विधानसभा चुनाव में पांच महिलाएं ताल ठोक रही हैं, उम्मीद की जानी चाहिए कि जब इस विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे तो इन्हें इनकी पहली महिला विधायक ज़रूर मिलेगी.