Nagaland में सैन्य अधिकारियों की जांच के बीच केंद्र सरकार ने छह महीने के लिए बढ़ाया AFSPA
AFSPA In Nagaland: नागालैंड में सैन्य अधिकारियों की जांच के बीच केंद्र सरकार ने AFSPA को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है.
Nagaland AFSPA: नागालैंड में चल रही सैन्य अधिकारियों की जांच के बीच केंद्र सरकार ने संपूर्ण नागालैंड राज्य की सीमा को अशांत क्षेत्र घोषित करते हुए वहां पर आर्मैड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. ध्यान रहे कि नागालैंड के मौन इलाके में गलत पहचान के चलते सेना द्वारा 14 नागरिक मारे गए थे और इस मामले की जांच जारी है.
केंद्र सरकार के अपर सचिव पीयूष गोयल का जारी किए गए आदेशों के मुताबिक सरकार का यह मत है कि संपूर्ण नागालैंड राज्य की सीमा के भीतर आने वाला क्षेत्र ऐसी अशांत और खतरनाक स्थिति में है जिससे वहां नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का प्रयोग करना आवश्यक है. सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम 1958 की धारा 3 का प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार के उक्त अधिनियम को संपूर्ण नागालैंड राज्य में 30 दिसंबर 2021 से अशांत क्षेत्र घोषित करती है और इस अधिनियम को अगले 6 माह के लिए लागू करती है.
नागालैंड स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम मामले की कर रही जांच
नागालैंड में सेना का कथित गलत पहचान किए जाने के चलते 14 नागरिकों के एनकाउंटर के मामले में नागालैंड स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम की जांच जारी है. इसी सप्ताह वहां घटनास्थल पर सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने मुआयना भी किया. सूत्रों का कहना है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि राज्य स्तर की टीम की ओर से की जा रही जांच किस तरह से आगे बढ़ेगी क्योंकि नागालैंड में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट लागू है जो केंद्र की अनुमति के बिना सुरक्षाबल पर किसी भी तरह का अभियोग चलाने से सुरक्षाबलों को संरक्षण प्रदान करता है.
टीम को बांटा गया सात भागों में
यह विशेष पावर अधिनियम 30 दिसंबर को समाप्त होने जा रहा था लेकिन केंद्र सरकार ने आज अधिसूचना जारी करते हुए इस अधिनियम को फिर अगले 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. राज्य सरकार ने इस जांच को गति प्रदान करने के लिए नागालैंड एसआईटी का विस्तार करते हुए 8 सदस्यों की टीम को बढ़ाकर 22 सदस्य कर दिया था. इस टीम में 5 आईपीएस ऑफिसर भी शामिल है. जांच को जल्द पूरा करने के लिए इस टीम को सात भागों में बांटा गया है. देखना यह होगा कि विशेष अधिनियम को बढ़ाने के बाद यह जांच किस करवट बैठती है.
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