Nagaland Firing Case: सेना (Indian Army) के 31 जवानों को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बुधवार को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ नागालैंड (Nagaland) के मॉन जिले की कोर्ट में चल रही कार्रवाई पर रोक लगा दी है. 21 पैरा स्पेशल फोर्स के इन जवानों के खिलाफ नागालैंड पुलिस (Nagaland Police) ने 6 लोगों की हत्या का आरोप लगाते हुए चार्जशीट दाखिल की थी. पिछले साल 4 दिसंबर की इस घटना में सेना के एक जवान की भी मौत हुई थी.


सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि नागालैंड में आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट, 1958 लागू है. इस एक्ट की धारा 6 में इस बात का प्रावधान है कि बिना केंद्र सरकार की सहमति के सैन्य बलों के लोगों के खिलाफ न मुकदमा दर्ज किया जा सकता है, न कोई दूसरी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. नागालैंड पुलिस ने केंद्र को सहमति मांगते हुए चिट्ठी तो लिखी, लेकिन बिना केंद्र का जवाब मिले कार्रवाई शुरू कर दी.


जवानों की पत्नियों ने दायर की थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पूरी कार्रवाई को धारा 6 के खिलाफ बताते हुए रोक लगा दी है. मामले में 8 हफ्ते बाद सुनवाई होगी. इस मामले में मुकदमे में फंसे सेना (Indian Army) के जवानों की पत्नियों ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट ने आज उनकी तरफ से वरिष्ठ वकील विकास सिंह की दलीलें सुन कर निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक लगा दी.


क्या है AFSPA ?
आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल पावर एक्ट यानि (AFSPA) संसद द्वारा बनाया गया कानून है जिसे वर्ष 1958 में लागू किया गया था. इस कानून को अशांत-क्षेत्र में लागू किया जाता है जहां राज्य सरकार और पुलिस-प्रशासन कानून-व्यवस्था संभालने में नाकाम रहती है. ये ऐसी 'खतरनाक स्थिति' में लागू किया जाता है जहां पुलिस और अर्द्धसैनिक बल आतंकवाद, उग्रवाद या फिर बाहरी ताकतों से लड़ने में नाकाम साबित होती हैं. 


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