SC On Nagaland Firing Case: नागालैंड सरकार ने सोमवार (15 जुलाई 2024) को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. इसके तहत नागालैंड की सरकार ने 3 साल पहले राज्य के मोन क्षेत्र में 13 आम नागिरकों की हत्या के मामले में 30 सैनिकों पर कार्रवाई की गुहार लगाई है. अब इस मामले में कोर्ट ने नागालैंड केंद्र और रक्षा मंत्रालय से जवाब मांगा है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दलील सुनने के बाद इसे लेकर सोमवार को केंद्र और रक्षा मंत्रालय को नोटिस भी जारी किया था.


राज्य सरकार ने लगाया हत्या का आरोप


केंद्र सरकार ने डेढ़ साल पहले उन सेनाओं पर कार्रवाई नहीं करने का निर्णय लिया था, जिसे अब चुनौती दी गई है. यह आरोप है कि 4 दिसंबर 2021 को ये सैनिक नागालैंड के मोन जिले में उग्रवादियों पर धावा बोलने के लिए गए थे, लेकिन इस अभियान में 13 आम नागरिकों की हत्या हो गई थी. इस घटना के बाद नागालैंड पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज किया था. 


राज्य सरकार ने किया पुख्ता सबूत होने का दावा


राज्य सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर की है. इस अनुच्छेद के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की जा सकती है. राज्य सरकार ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उनके पास एक मेजर सहित सेना के जवानों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं, फिर भी केंद्र सरकार ने मनमाने ढंग से उन पर मुकदमा चलाने के मंजूरी देने से इनकार कर दिया है.


तीन सितंबर को होगी अगली सुनवाई


इससे पहले जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी सुरक्षाबलों की पत्नियों की याचिका पर विशेष बलों से संबंधित सेना के जवानों के खिलाफ मुकदमा चलाने पर रोक लगा दी थी. नागालैंड पुलिस और सेना ने इस पूरे मामले की अलग-अलग जांच भी की थी. इस मामले अब अगली सुनवाई तीन सितंबर 2024 को होगी. कोर्ट ने चार हफ्तों के भीतर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.


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