Nagaland News: नागालैंड में गलत सूचना और गलत पहचान के कारण पैरा-एसएफ के ऑपरेशन में मारे गए मजूदरों के मामले में सेना ने उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी है. मेजर जनरल रैंक के एक अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि आखिर भारतीय सेना की एलीट, पैरा-एसएफ यानी स्पेशल फोर्सेज़ से इतनी भयंकर चूक कैसे हो सकती है कि छह मासूम लोगों की जान चली जाए.
भारतीय सेना की ये वही पैरा-एसएफ यूनिट है, जिसने वर्ष 2015 में म्यांमार सीमा में घुसकर उग्रवादी कैंप पर क्रॉस-बॉर्डर रेड (सर्जिकल स्ट्राइक) की थी और बड़ी संख्या में उग्रवादियों को ढेर किया था. शनिवार की शाम को पैरा एसएफ की इस टुकड़ी को इस ऑपरेशन के लिए खासतौर से असम से नागालैंड के मोन जिले में बुलाया गया था. सूचना इस बारे में थी कि म्यांमार सीमा से प्रतिबंधित एनएससीएन संगठन के कुछ उग्रवादी और ओजीडब्लू यानी ओवर ग्राउंड वर्कर्स एक गाड़ी में जा रहे हैं.
अभी तक की मिली जानकारी के मुताबिक, सेना द्वारा कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में इस बात पर भी जांच होगी कि आखिरकार गलत खुफिया सूचना कैसे सेना तक पहुंची. या ऐसा तो नहीं कि सूचना सही थी लेकिन ऐन मौके पर उग्रवादियों को इसकी भनक लग गई और उन्होंने गाड़ी में कोयला खदान में काम करने वाले मजदूरों को बिठा दिया और अगर पिक-अप वैन में मजूदर जा रहे थे तो पैरा-एसएफ कमांडोज़ ने बिना 'वेरिफाई' किए गाड़ी पर फायरिंग क्यों की.
रविवार को सेना की दीमापुर (नागालैंड) स्थित 3 कोर (स्पियर कोर) और असम राइफल्स ने बयान जारी कर बताया था कि एक पुख्ता खुफिया सूचना के आधार पर मोन जिले के तिरु में एक 'स्पेस्फिक'ऑपरेशन का प्लान तैयार किया गया था. खुफिया सूचना उग्रवादियों के मूवमेंट से जुड़ी थी. बिना ऑपरेशन की ज्यादा जानकारी देते हुए सेना ने कहा कि "घटना और उसके बाद हुई (हिंसा) को लेकर गहरा खेद है. घटना में जान गंवाने के कारणों की उच्च स्तर पर जांच की जा रही है और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी."
अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक, ऑपरेशन में सिर्फ पैरा-एसएफ कमांडोज़ शामिल थे (शुरुआत में पुलिस और असम राइफल्स के जवानों के भी शामिल होने की सूचना थी). सूत्रों के मुताबिक, शाम के करीब 5.30 बजे जिस पिक अप वैन में मजूदर जा रहे थे उन्होंने एक चेक-पोस्ट (नाके) पर अपना गाड़ी नहीं रोकी थी.
गाड़ी के ना रुकने पर शक हुआ तो पैरा एसएफ कमांडोज़ ने गाड़ी के टायर पर फायरिंग कर रोकने की कोशिश की. हालांकि, इस बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि मजदूरों के पास एक सिंगल बैरल वाली गन थी, जिसे नागालैंड के लोग जंगल में शिकार के लिए इस्तेमाल करते हैं. इस गन को देखते ही कमांडोज़ ने सभी मजदूरों पर फायरिंग शुरू कर दी. फायरिंग रुकने के बाद करीब जाकर देखा तो वे उग्रवादियों की जगह मजदूर निकले. छह मजदूरों की तो घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी, जबकि दो गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
इस दौरान ओटिंग गांव के लोग भी वहां पहुंच गए. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने अपने पारंपरिक हथियारों से कमांडोज़ पर हमला बोल दिया. इस हमले में एक पैरा कमांडो की जान चली गई. इसके बाद बाकी कमांडोज़ ने अपना सुरक्षा के लिए उग्र भीड़ पर फायरिंग शुरू कर दी. इस फायरिंग में भी स्थानीय लोगों की मौत की खबर है.
...और पैदा हो गया तनाव
इन घटनाओं के बाद पूरे मोन जिले में तनाव पैदा हो गया. स्थानीय लोग असम राइफल्स के कैंप में घुसकर तोड़फोड़ मचाने लगे और कई जगह कैंप में आग भी लगा दी. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए भी असम राइफल्स के जवानों ने भी फायरिंग की. इस आगजनी, तोड़फोड़ और फायरिंग के कई वीडियो वायरल हो रहे हैं. कुल मिलाकर अबतक एक दर्जन से ज्यादा लोगों की जान शनिवार से अबतक नागालैंड में जा चुकी है.
सेना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी ऑपरेशन (एनकाउंटर) की जांच करेगी, जबकि राज्य सरकार द्वारा गठित एसआईटी पूरे घटनाक्रम और हिंसा की जांच करेंगी.
खबर है कि नागालैंड पुलिस ने भी पैरा-एसएफ यूनिट के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. नागालैंड में क्योंकि आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल पावर एक्ट यानी आफ्सपा लागू है, ऐसे में पुलिस सैनिकों पर एफआईआर तो दर्ज कर सकती है, लेकिन अदालत में अभियोग के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होगी.
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