दिल्ली: राज्यसभा से निलंबित सांसदों ने अपना धरना यह कहते हुए खत्म कर दिया की जब सदन के अंदर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने संपूर्ण विपक्ष के सदन की कार्रवाई के बहिष्कार की बात कर दी तो उससे संपूर्ण विपक्ष की एकजुटता और विपक्ष का रुख साफ हो गया. विपक्ष की अभी भी एक ही मांग है कि सरकार ने राज्यसभा से जिस तरीके से बिल पास करवाया गया उसको लेकर सरकार एक बार फिर से पुनर्विचार करें और इस बिल को वापस ले.
राज्यसभा में 2 दिन पहले किसान से जुड़े हुए बिल को पास करने के दौरान हुए हंगामे और उस हंगामे में शामिल 8 राज्यसभा सांसदों के निलंबन का मुद्दा आज एक बार फिर राज्यसभा में उठा. विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सरकार के बिल पास करवाने के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिन सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की गई वह सरकार के बिल पास कराने के तरीके के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. ऐसे में उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई को वापस लिया जाना चाहिए.
वहीं राज्यसभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने साफ तौर पर कहा कि जिस तरह का रवैया निलंबित सांसदों का सामने आया है वह सदन की गरिमा गिराने वाला था लिहाजा बिना माफी मांगे निलंबन वापस नहीं हो सकता. राज्यसभा में सांसदों के निलंबन के मुद्दे पर बोलते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 2 दिन पहले 18 पार्टियां बिल के विरोध में थी लेकिन फिर भी सरकार ने वह बिल पास करवा दिया. गुलाम नबी आजाद ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार किसी भी बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास नहीं भेजना चाहती वह किसी भी सूरत में बिल को पास करवाना चाहती है ऐसा ही किसान बिल के साथ भी हुआ.
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अलग अलग राजनैतिक दल बिल में संशोधनों पर वोटिंग की मांग कर रहे थे लेकिन सभापति ने उसको भी नकार दिया. गुलाम नबी आजाद ने इसके साथ ही मोदी सरकार द्वारा घोषित किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को लेकर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार एमएसपी तब लेकर आई जब सदन में हंगामा हो गया. अगर सरकार के बीच एमएसपी को लेकर आम सहमति थी तो यह एमएसपी तब आनी चाहिए थी जब सदन में बिल लाया जा रहा था और उसी दौरान इसकी घोषणा होनी चाहिए थी.
विपक्षी पार्टियों का पक्ष रखते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब तक सरकार निलंबित हुए सांसदों का निलंबन वापस नहीं लेती और किसानों से संबंधित एमएसपी पर स्थिति साफ नहीं करती तब तक कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल सत्र का बायकाट करेंगे. गुलाम नबी आजाद के बयान के बाद राज्य सभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने साफ कर दिया कि फिलहाल जिन सांसदों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई उनका निलंबन वापस नहीं होगा. इसके साथ ही वेंकैया नायडू ने उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने को भी नियमों के हिसाब से गलत बताया.
वेंकैया नायडू ने कहा की ऐसा कोई भी अविश्वास प्रस्ताव नियमों के हिसाब से कम से कम 14 दिन का नोटिस देने के बाद में लाया जा सकता है लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया और इसी वजह से इसको स्वीकार नहीं किया गया. किसान बिल के दौरान हुए हंगामे का जिक्र करते हुए राज्य सभा के चेयरमैन वेंकैया नायडू ने कहा कि उस दिन अलग-अलग पार्टियों के स्पीकर्स को उनके तय वक्त के हिसाब से बोलने का पूरा मौका दिया गया था. ऐसा होने के बाद ही मंत्री जवाब के लिए खड़े हुए थे जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया.
जबकि उस दौरान उपसभापति एक दो बार नहीं बल्कि 13 बार हंगामा करने वाले सांसदों से कहा कि वह अपनी सीट पर जाएं उसके बाद वह जो चाहते हैं उस पर विचार किया जाएगा. लेकिन हंगामा करने वाले सांसद कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे और इसी दौरान उन्होंने उपसभापति को लेकर अपशब्द भी बोले और सदन में मौजूद मार्शलों के साथ भी बदसलूकी की.
वेंकैया नायडू ने कहा की संसद में सदस्यों को डिवीजन मांगने का अधिकार है लेकिन जब वह अपनी सीट पर मौजूद हो तब. नायडू ने कहा इससे हमको भी दुख होता है हम भी आप लोगों के बीच का हिस्सा. वही संसदीय कार्य राज्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने भी निलंबित किए गए सांसदों के आचरण पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिल पर चर्चा के लिए पहले से 4 घंटे का वक्त तय कर दिया गया था और यह सभी की सहमति से हुआ था. जिस दौरान बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग हो रही थी उस दौरान हंगामा हो रहा था.
उपसभापति ने कई बार कहा कि आप लोग अपनी सीट पर जाकर मांग कीजिए तब उस पर विचार कर सकते हैं. प्रह्लाद जोशी ने कहा विपक्ष का आरोप पूरी तरह से गलत है कि सरकार के पास बिल को पास करवाने के लिए संख्या बल नहीं था। प्रहलाद जोशी के मुताबिक उस दिन सरकार के साथ 110 सदस्यों का समर्थन था जबकि विपक्ष के पास 72 सदस्यों का ही समर्थन मौजूद था.
हालांकि इस दौरान संसदीय कार्य राज्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने निलंबित हुए सांसदों को माफी मांग कर सदन की कार्रवाई में शामिल होने की बात भी की. संसदीय कार्य राज्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि अगर निलंबित किए गए सांसद अपने कृत्य पर खेद व्यक्त करते हैं और माफी मांगते हैं तो सरकार को अभी भी डिवीजन पर कोई एतराज नहीं है.
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