नई दिल्ली: रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया का सबसे पहला और सफल उपक्रम बन गया है. इसका नाम नैनी एयरोस्पेस लिमिटेड है. हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड यानि एचएएल के अंतर्गत काम करने वाली नैनी एयरोस्पेस स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस और दूसरे हेलीकॉप्टर्स के लिए बॉडी-पार्ट्स और स्पेशल ल-लूम बनाती है. इनसे फाइटर जेट और हेलीकॉप्टर देश की रक्षा और सुरक्षा करने में सक्षम बनते हैं.
नैनी एयरोस्पेस लिमिटेड प्लांट की शुरूआत फरवरी 2017 में हुई थी, जब एचएलएल ने इलाहाबाद यानि प्रयागराज में 15 साल से बंद पड़ी एक सरकारी कंपनी ''हिंदुस्तान केबिल्स लिमिटेड'' का अधिग्रहण किया. नैनी एयरोस्पेस लिमिटेड के शानदार कैंपस, लॉन, बिल्डिंग को देखकर कोई भी हैरान हो सकता है कि 15 साल से बंद पड़ी एक फैक्ट्री का कायापलट आखिर कैसे हुआ.
दिसंबर 2016 तक ये प्लांट ऐसा नहीं था जैसा आज है. 1989 में हैवी इंडस्ट्रीज़ मिनिस्ट्री यानि भारी उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत शुरू हुई ये कंपनी लिबराईजेशन, ग्लोबलाईजेशन और प्राईवेटाईजेशन का शिकार हो गई थी. इसके साथ-साथ मोबाइल क्रांति ने इस कंपनी पर हमेशा के लिए ताले लगा दिए क्योंकि ये कंपनी लैंडलाइन फोन के फाइबर ऑप्टिकल केबिल बनाती थी.
50 एकड़ से भी ज्यादा एरिया में फैले हिंदुस्तान केबिल लिमिटेड में आखिरी उत्पादन 2003-04 के आसपास हुआ. इसके बाद कंपनी को ऑर्डर मिलने बंद हो गए थे. कई कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी थी क्योंकि उनकी सैलरी आनी बंद हो गई थी. सरकार की तरफ से साल में तीन-चार महीने ही सैलरी आती थी.
हालात तब बदले जब साल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आई. मोदी सरकार ने वर्ष 2014 में पहली बार सरकार बनाने के बाद 'मेक इन इंडिया' का नारा दिया. इसके तहत, तत्कालीन रक्षा मंत्री, मनोहर पर्रीकर ने वर्ष 2016 में देश की सबसे बड़ी स्वदेशी एयरस्पेस कंपनी एचसीएल को टेकऑवर करने का निर्देश दिया.
आसान नहीं था एचसीएल को नैनी एयरोस्पेस लिमिटेड बनाना
एचसीएल को नैनी एयरोस्पेस लिमिटेड बनाना इतना आसान नहीं था. ये एक बड़ी चुनौती थी जो नैनी एयरोस्पेस के सीईओ आर के मिश्रा और उनकी टीम के पांच सदस्यों को दी गई थी. एचसीएल पर करोड़ों रूपये का इंकमटैक्स, सेल्सटैक्स, जीएसटी इत्यादि था. 15 साल का बिजली का बिल बकाया था और बकाया ना देने के चलते बिजली और पानी का कनेक्शन तक काट दिया गया था.
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जहां ये प्लांट था, वो कभी इंडिस्ट्रियल एरिया हुआ करती थी लेकिन सूबे की चरमराई अर्थव्यवस्था, कानून व्यवस्था और दूसरे कारणों से यहां पर धीरे-धीरे कर सभी कारखाने बंद हो गए. ऐसे में नैनी एयरोस्पेस जैसे एक स्टेट ऑफ द आर्ट प्लांट को खड़ा करना इतना आसान नहीं था.
सीईओ आर के मिश्रा और उनकी टीम के सामने चुनौती पुराने हो चुके उन कर्मचारियों की भी थी जिनकी औसतन आयु 50 साल थी और उन्हें केबिल बनाने के सिवाए कोई और काम नहीं आता था. वो काम जो उन्होनें 15 साल से भी नहीं किया था. जबकि एयरोस्पेस केबिल लूम बनाने का काम बेहद तकनीकी था. जरा सी गलती विमान और पायलट के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती थी. ऐसे में सभी 128 कर्मचारियों को स्किल इंडिया के तहत ट्रैनिंग के लिए एचएएल बेंगलुरू भेजा गया.
तीन महीने की स्किल ट्रैनिंग, योगा, स्पोर्टस और ह्यूमन बिहेवियर की क्लास का नतीजा ये हुआ कि पुरानी एचसीऐल कंपनी में महज छह महीने के अंदर ही केबिल लूम का काम शुरू हो गया. जुलाई 2017 में काम शुरू करने के महज एक साल के अंदर ही नैनी एयरोस्पेस ने तेजस और एएलएच हेलीकॉप्टर के 900 लूम रिकोर्ड समय में तैयार कर एचएएल को सौंप दिए.
नैनी एयरोस्पेस में केबिल लूम के साथ साथ एएलएच-ध्रुव हेलीकॉप्टर के स्ट्रक्चर और फ्यूसीलाज भी तैयार किए जाते हैं. करीब करीब 40-45 प्रतिशत एएलएच का ढांचा यहीं पर तैयार होता है. भविष्य में यहां तेजस की बॉडी और इसरो के लिए स्पेस में जाने वाले सैटेलाइट्स के लिए भी कैबिल लूम तैयार करने का प्लान है.
महज तीस करोड़ में शुरू हुई नैनी एयरोस्पेस ने पहले ही वित्त-वर्ष में एचएएल को पांच करोड़ का मुनाफा कमा कर दे दिया है. आने वाले समय में करीब 16 करोड़ के ऑर्डर पाइपलाइन में हैं, लेकिन सबसे बड़ी उपलब्धि नैनी एयरोस्पेस ने हिंदुस्तान केबिल्स लिमिटेड के उन कर्मचारियों को एक बार फिर से रोजगार देकर नया जीवनदान दिया है जिनका भविष्य, करियर और परिवार अंधकार और दुखमय जीवन व्यतीत कर रहा था.
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