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Explained: गुड़गांव, भोपाल, लखनऊ, अलीगढ़ और अब मुरादाबाद, क्या मुसलमानों को घर में भी नमाज़ पढ़ने की इजाजत लेनी होगी?

Namaz Controversy: हिन्दू-मुस्लिम कौमी एकता की मिसाल अक्सर देखने को मिली है तो कभी दोनों के बीच नफरत की दीवारें भी खड़ी हुई हैं. हाल के दिनों में नमाज (Namaz) पढ़ने का मामला काफी सुर्खियों में रहा.

Namaz Controversy in India: भारत में सभी धर्मों, जाति और संप्रदायों के बीच शांति और एकता का संदेश सदियों पुरानी परंपरा रही है. देश में हिंदू-मुसलमानों (Hindu-Muslims) के बीच सौहार्द और भाईचारे की हजारों मिसाल हैं तो वहीं, नफरत की आग में झुलसने की कुछ घटनाओं ने लोगों को झकझोरा भी है. देश को आजाद हुए 75 साल हो गए और ऐसी कई उपलब्धियां हैं जिन पर हम इतराते हैं. हालांकि सच ये भी है कि आजादी के इतने सालों के बाद आज भी हम बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई, सामाजिक भेदभाव और आपसी नफरतों की दुनिया में कहीं न कहीं कैद हैं. 

कभी-कभी मामूली सी बात को लेकर देश का कोना-कोना नफरत की आग में सुलग उठता है. कभी मंदिरों और मस्जिदों में लाउडस्पीकर का विवाद, तो कभी गौहत्या और लिंचिंग, कभी पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी और फिर दंगा तो कभी खुले में नमाज (Namaz) को लेकर संघर्ष. 

मुरादाबाद में सामूहिक नमाज पर बवाल क्यों?

कोई इसे एक समुदाय विशेष के साथ अन्नाय तो कोई इसे संविधान में दिए गए लोकतांत्रिक अधिकारों के उलट बताने में लगा हुआ है. मामला मुरादाबाद का है, जब सामूहिक नमाज पढ़ने को लेकर विवाद खड़ा हो गया. दरअसल, मुरादाबाद में छजलैट थाना के गांव दूल्हेपुर में एक निजी घर में सामूहिक नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद दो पक्षों में विवाद खड़ा हो गया. पुलिस ने 26 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया. बताया ये भी जा रहा है कि गांव में मस्जिद या मदरसा नहीं है, इसलिए एक घर में सामूहिक नमाज होती है.

घर में भी नमाज़ पढ़ने की इजाजत लेनी होगी?

मुरादाबाद में एक निजी घर में सामूहिक नमाज़ पढ़ने पर बवाल खड़ा होने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या अब घर में भी नमाज पढ़ने की इजाजत लेनी होगी? इस पर सिसायत भी गरमा गई है. AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने पीएम मोदी से इसे लेकर सवाल पूछा है. ओवैसी ने सवाल किया कि क्या भारत में मुसलमान अब घरों में भी नमाज नहीं पढ़ सकते? क्या अब नमाज पढ़ने के लिए भी हुकूमत या पुलिस से इजाजत लेनी होगी? पीएम मोदी को इसका जवाब देना चाहिए, कब तक मुल्क में मुसलमानों के साथ दूसरे दर्जे के शहरी का सुलूक किया जाएगा? वहीं कई दूसरे मुस्लिम नेता भी इसे गलत ठहरा रहे हैं.

क्या कहता है कानून?

नमाज को लेकर विवादों के बीच अहम सवाल ये भी है कि आखिर कानून इसे लेकर क्या कहता है. मुरादाबाद के कांठ से एसडीएम जगमोहन गुप्ता का कहना है कि निजी संपत्ति में अकेले नमाज पढ़ना गलत नहीं है. परिवार के साथ भी नमाज पढ़ सकते हैं, लेकिन सामूहिक नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती है. इसके लिए इजाजत की जरूरत होती है. क़ानूनी रूप से निजी संपत्ति पर सामूहिक नमाज़ नहीं पढ़ सकते हैं. इसके लिए मस्जिद है. कुछ वरिष्ठ वकीलों के मुताबिक मॉल, अस्पताल, मंदिर-मस्जिद जैसे धार्मिक स्थल, सिनेमा हॉल, अदालतें, बारात घर या पार्क सार्वजनिक स्थल की कैटेगरी में आते हैं. कानून के मुताबिक अगर सार्वजनिक स्थल या संपत्ति का इस्तेमाल निर्धारित सेवा की जगह किसी दूसरी श्रेणी की सेवा के लिए हो तो यह सेवाओं का उल्लंघन है और इसके लिए प्रशासनिक अनुमति जरूरी है.

भोपाल के डीबी मॉल में नमाज को लेकर बवाल

नमाज को लेकर पिछले कुछ महीनों में कई जगहों पर बवाल खड़े हुए हैं. अभी हाल ही में भोपाल के एक बड़े मॉल में नमाज पढ़ने का मामला सामने आया था, इसके बाद बजरंग दल ने काफी हंगामा किया था. वीडियो भोपाल के सबसे बड़े डीबी मॉल का बताया गया था. इस मॉल में कुछ लोग नमाज अदा करते दिखे थे. हिंदूवादी संगठनों ने मॉल प्रबंधन को यह चेतावनी दी थी कि अगर ऐसा हुआ तो हमलोग भी यहां सुंदरकांड का पाठ करेंगे. विरोध करने वाले लोगों ने मॉल में भजन भी शुरू कर दिया था. बताया गया कि नमाज पढ़ने वाले डीबी मॉल के ही कर्मचारी थे, ऐसे में सवाल उठे कि क्या जानबूझकर कुछ लोगों ने माहौल खराब करने की कोशिश की.

लखनऊ के लुलु मॉल में नमाज पर बखेड़ा

लखनऊ के बहुचर्चित लूलू मॉल (Lulu Mall) में इसी साल जुलाई महीने में ही नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद काफी विवाद हुआ था. पुलिस ने इस दौरान आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. कई हिन्दू संगठनों ने लूलू मॉल के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन कर रहे लोगों की तैयारी मॉल के अंदर उसी जगह पर सुंदर कांड करने की थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें ऐसा करने नहीं दिया. हिन्दू महासभा ने 14 जुलाई को लूलू मॉल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था और 15 जुलाई को मॉल के भीतर सुंदर कांड का पाठ करने की घोषणा की थी, लेकिन ऐसा करने से पहले ही प्रशासन ने उन्हें मॉल के अंदर नमाज पढ़ने वालों पर कार्रवाई का भरोसा दिया था. बाद में एसीजेएम कोर्ट ने आरोपियों को सशर्त जमानत पर रिहा कर दिया था.

गुरुग्राम में खुले में नमाज पढ़ने पर हंगामा

गुरुग्राम में खुले में नमाज पढ़ने को लेकर पिछले साल काफी बवाल हुआ था. मामला इतना अधिक बढ़ गया था कि सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था.  राज्यसभा के पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने हरियाणा के डीजीपी और मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि हरियाणा सरकार के अधिकारी सांप्रदायिक और हिंसक प्रवृत्तियों को रोकने के लिए उपाय करने में असफल रहे हैं. गुरुग्राम के उद्योग विहार इलाके में हिन्दू संगठन के लोग और नमाजी भिड़ गए थे. इस दौरान काफी देर तक हंगामा होता रहा था. दरअसल, कुछ हिंदू संगठनों ने ये कह कर खुले में नमाज का विरोध किया था कि जिस सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढ़ी जाती है, उस पर बाद में धर्म विशेष के लोग कब्जा जमा लेते हैं.

नोएडा में नमाज पर बवाल

पिछले साल दिसंबर के महीने में नोएडा में नमाज को लेकर काफी हंगामा हुआ था. नोएडा के सेक्टर-54 स्थित खरगोश पार्क में जुमे की नमाज पढ़ने पहुंचे लोगों को पुलिस ने रोक दिया था. हालांकि पार्क के पास मजार पर जुमे की नमाज पहले की तरह ही पढ़ी गई थी. पुलिस ने खुले और सार्वजनिक जगहों पर इस प्रकार की धार्मिक गतिविधियों पर बैन का हवाला देकर लोगों को पार्क से वापस लौटा दिया था. इस पार्क में सेक्टर 57, 58 59, और 60 की फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोग नमाज पढ़ने आते थे. इस साल जून में भी जुमे की नमाज को लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में पुलिस का कड़ा पहरा दिखा. प्रदेश में चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी के साथ ड्रोन से भी निगरानी की गई थी.

अलीगढ़ में नमाज पढ़ने पर बवाल

यूपी के अलीगढ़ (Aligarh) में इसी साल मई महीने में कॉलेज कैंपस में प्रोफेसर के नमाज (Namaz) पढ़ने पर बवाल खड़ा हो गया था. नमाज पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद हिंदूवादी नेताओं ने शिक्षक पर माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए गांधी पार्क थाने में तहरीर दी थी. कुछ छात्रों ने इसके विरोध में हनुमान चालीसा का पाठ करने की चेतावनी भी दी थी. ये मामला अलीगढ़ के वार्ष्णेय कॉलेज कैंपस का था, जहां एक प्रोफेसर के नमाज पढ़ने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. उन्हें एक महीने के लिए अवकाश पर भेज दिया गया था. प्रिंसिपल ने कहा था कि ये शिक्षण संस्थान है, यहां पढ़ाई के अलावा किसी को भी धार्मिक कार्य करने की इजाजत नहीं है. 

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