मुंबई: औरंगाबाद और अहमदनगर के बाद एक और मुस्लिम नाम का शहर शिवसेना के रडार पर है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से मराठवाड़ा के उस्मानाबाद शहर को धाराशीव संबोधित किया गया है. सरकार में शामिल सहयोगी दल ने नामकरण की राजनीति पर कड़ी टिप्पणी की है.


महाविकास अघाड़ी की सरकार में गहराया विवाद


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नसीम खान ने कहा की नाम बदलने की राजनीति महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार के साझा कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है. साझा कार्यक्रम में नामकरण के एजेंडा पर पार्टी पहले ही स्थिति स्पष्ट कर चुकी है. विपक्षी पार्टी बीजेपी ने दोनों के बीच तकरार पर चुटकी ली है. बीजेपी नेता राम कदम ने पूछा है कि क्या नाम बदलने को लेकर कांग्रेस और शिवसेना की यह नौटंकी है ? राम मंदिर कब बनेगा पूछने वाले अब बताएं कि औरंगाबाद, अहमदनगर और उस्मानाबाद का नाम कब बदलेंगे, कब इसकी तारीख बताएंगे. सीएम के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में लिखा गया है, "कैबिनेट ने फैसला लिया है कि धाराशीव-उस्मानाबाद में 100 विद्यार्थियों की क्षमता वाला नया मेडिकल कॉलेज बनाया जाएगा. इसके साथ 450 बेड का अस्पताल का निर्माण भी होगा."





उस्मानाबाद शहर को धाराशीव से संबोधित किया गया


कांग्रेस को चिढ़ाने के लिए ट्वीट में मंत्री अमित देशमुख की तस्वीर का भी इस्तेमाल किया गया. ऊपर छोटे आकार में मुख्यमंत्री ठाकरे, अजित पवार और बालासाहेब थोराट की तस्वीर है. कांग्रेस की चेतावनी के बावजूद दूसरी बार उद्धव ठाकरे के आधिकारिक ट्वविटर हैंडल से किसी मुस्लिम शहर का नाम बदलकर लिख गया है. आपको बता दें कि उस्मानाबाद का नाम हैदराबाद के आखिरी  शासक मीर उस्मान अली खान पर रखा गया था. पिछले 40 साल से शिवसेना उस्मानाबाद को धाराशीव संबोधित करती आ रही है. शिवसेना में पार्टी संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे ने सबसे पहले उस्मानाबाद को धाराशीव कहा था. 5 जनवरी को राज ठाकरे की पार्टी ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर उस्मानाबाद का नाम बदलने की मांग की थी.


इतिहास के जानकार डॉ. धीरेंद्र सिंह बताते है, "धाराशीव नाम छठी शताब्दी के प्राचीन गुफाओं की वजह से पड़ा है. निजामों ने शहर का हिंदू नाम बदल कर अपने आखरी शासक के नाम पर रखा. ऐसी मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान राम ने कुछ वर्ष यहां बिताए थे. जटायू और रावण के बीच युद्ध इसी जगह पर हुआ. धाराशीव की गुफाओं में रामायण, महाभारत की कथाओं के शिल्प मिलते हैं. बौद्ध धर्म की भी शिल्प कला के निशान गुफाओं में देखे जा सकते हैं. 1947 में आज़ादी का जश्न मनाया जा रहा था, तब निजामों ने यहां रहने वाले लोगों को स्वतंत्रता का जश्न मनाने नहीं दिया. पिछले कई वर्षों से लोग मांग कर रहें हैं कि अब निजाम नहीं रहे तो दुबारा शहर का नामांतरण कर धाराशीव रखा जाए."


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