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इंडिया बनाम भारत पर हायतौबा क्यों, संविधान के हर पहलू को समझिए

इंडिया या भारत नाम विवाद पर विपक्ष के कई नेता पीएम मोदी पर जमकर निशाना साध रहे हैं. कई नेताओ का कहना है कि संविधान को बदलने की कोशिश की जा रही है.

जी-20 सम्मेलन के दौरान 9 सितंबर की रात को होने वाले डिनर के निमंत्रण में 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखे जाने की चर्चा मंगलवार से जारी है. निमंत्रण पत्र में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह भरत लिखे जाने पर केंद्र की सत्ता में बैठी बीजेपी को विपक्ष के नेता जमकर घेर रहे हैं.

विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि ये संविधान के आर्टिकल-1 का उल्लंघन है.

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र की तरफ से भारत नाम के साथ एक बुकलेट भी जारी किया गया है. ये बुकलेट नरेंद्र मोदी के इंडोनेशिया में होने वाले आसियान सम्मेलन में शामिल होने से जुड़ा है.

इस बुकलेट का स्क्रीनशॉट बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने साझा किया है जिसपर पीएम मोदी को इंडिया के प्रधानमंत्री की जगह भारत के प्रधानमंत्री लिखा गया है. 

क्या कहता है संविधान का आर्टिकल-1

संविधान के आर्टिकल-1 के अनुसार इंडिया मतलब भारत, जो राज्यों का संघ है. इसे 18 सितंबर 1949 को संविधान सभा में अपनाया गया था. आसान भाषा में समझें तो दोनों नामों इंडिया और भारत को न्यायिक-राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उपयोग करने के लिए आधिकारिक और कानूनी बना दिया गया. 

हमारे देश को इंग्लिश में इंडिया और अन्य भारतीय भाषाओं में भारत कहते हैं. द्रविड़ और तमिल भाषाओं में भारत, मलयालम में भारतम और तेलुगु में भारत देशम है. हिंदी में संविधान को 'भारत का संविधान' कहा जाता है और अनुच्छेद 1(Article 1) है 'भारत अर्थात इंडिया, राज्यों का संघ होगा'.

इंडिया की जगह भारत लिखे जाने पर विपक्ष ने क्या कहा 

देश के नाम को लेकर शुरू हुए विवाद पर विपक्ष ने केंद्र सरकार और मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है. निमंत्रण पत्र में भारत लिखे जाने पर भड़की विपक्ष ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इंडिया नाम को बदलना चाहती है. 

हालांकि केंद्र सरकार ने इन सभी आरोपों को अफवाह करार दिया है. अब सत्ता पक्ष और विपक्ष की तरफ से कई नेता इस विवाद पर अपनी राय रख रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल ने साधा केंद्र पर निशाना 

इस विवाद के बीच दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इसकी बात कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है लेकिन अफवाहें सुनी हैं. यह कहा जा रहा है कि ऐसा इसलिए हो रहा है कि क्योंकि 28 पार्टियों ने एक साथ मिलकर इंडिया नाम से गठबंधन बनाया है. उन्होंने कहा, 'देश 140 करोड़ लोगों का है न कि किसी एक पार्टी का. अगर इंडिया गठबंधन अपना नाम बदलकर भारत कर लेता है, तो क्या वे भारत नाम भी बदल देंगे.'

तेजस्वी यादव ने पूछा सवाल 

वहीं राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'मोदी जी बहुत डरे हुए हैं. मैं सोच रहा हूं कि वह मेक इन इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया जैसी अपनी कई पहलों और कई योजनाओं का क्या करेंगे. अगर वह इंडिया नाम रखने वाली हर संस्था का नाम बदलने की कवायद शुरू करते हैं तो इससे सरकारी खजाने पर एक राज्य की जीडीपी के बराबर बोझ पड़ेगा.'

ममता बनर्जी ने कहा- नाम बदलने की जरूरत क्यों पड़ गई

कई विपक्षी नेताओं की तरह पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी इंडिया की जगह भारत नाम रखे जाने पर अपनी राय दी है. ममता बनर्जी ने कहा, 'मैंने सुना है कि इंडिया का नाम बदला जा रहा है. माननीय राष्ट्रपति के नाम से भेजे गए जी20 के निमंत्रण पत्र पर भारत लिखा हुआ है.

अंग्रेजी में हम इंडिया कहते हैं, इंडियन कांस्टिट्यूशन कहते हैं, जबकि हिंदी में हम इसे भारत का संविधान कहते हैं.' उन्होंने कहा कि दुनिया हमें इंडिया के नाम से जानती है. अचानक क्या हो गया कि देश के नाम को बदलने की जरूरत पड़ गई.

वहीं कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि, 'मुझे उम्मीद है कि सरकार इतनी मूर्ख नहीं होगी कि उस 'इंडिया' नाम को पूरी तरह से खत्म कर दे, जिसकी सदियों से एक बड़ी ब्रांड वैल्यू बनी हुई है. इतिहास को फिर से जीवंत करने वाले नाम, दुनिया भर में पहचाने जाने वाले नाम पर अपना दावा छोड़ने के बजाय हमें दोनों शब्दों का इस्तेमाल जारी रखना चाहिए.'

बीजेपी नेताओं ने भी दी प्रतिक्रिया

इस  मामले पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और सात बार की सांसद सुमित्रा महाजनइस ने कहा कि, ' यह बात मेरी समझ में नहीं आती कि भारत और इंडिया के नामों को लेकर विवाद की स्थिति क्यों होनी चाहिए? हमारे देश का नाम मूल भारत ही है.

इसके अलावा, इसे हिंदुस्तान भी कहा जाता है. सिंधु घाटी सभ्यता को अंग्रेजों ने इंडस वैली सिविलाइजेशन कहा था. नतीजतन अंग्रेजों ने अपनी समझ से भारत को इंडिया के रूप में संबोधित किया. भारत पर अंग्रेजों के राज के कारण यह शब्द प्रचलन में कायम रहा.'

जबकि विदेश मंत्री एस. जयशंकर का कहना है कि जो लोग भारत नाम पर आपत्ति जता रहे हैं, उन्हें एक बार संविधान जरूर पढ़ना चाहिए. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए एस.

जयशंकर ने कहा, 'इंडिया दैट इज भारत और यह संविधान में है. मैं हर किसी को इसे (संविधान) पढ़ने के लिए कहूंगा. जब आप भारत कहते हैं, तो एक अर्थ, एक समझ और एक अनुमान आता है और मुझे लगता है कि यही हमारे संविधान में भी परिलक्षित है..' 

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा

वहीं असम के मुख्यमंत्री इस विवाद को लेकर सोशल मीडिया पर रिपब्लिक ऑफ भारत लिखते हुए कहते हैं कि देश का इंग्लिश नाम क्यों होना चाहिए? उन्होंने कहा, 'हमारे संविधान में ये साफ तौर पर लिखा है कि इंडिया ही भारत है.

भारत नाम हज़ारों सालों से इस्तेमाल हो रहा है. ऐसे में भारत को नया नाम देने की कोई ज़रूरत नहीं है. हमारा देश भारत था, है और रहेगा. पीएम मोदी भी अतीत में कई मौकों पर भारत के गौरवशाली इतिहास, सभ्यता जैसी बातें करते रहे हैं."

अब सवाल ये उठता है कि क्या इंडिया नाम को ड्रॉप किया जा रहा है?

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में इस सवाल के जवाब में अनुराग ठाकुर कहते हैं, ''किसने ड्रॉप किया है? किसी ने नहीं किया है. यहां तक की  जी-20 की ब्रांडिंग करते वक्त भी इंडिया 2023 और भारत लिखा हुआ है. मुझे नहीं समझ आ रहा कि भारत लिखे जाने पर किसी को भी आपत्ति क्यों हो रही है. ये ब्रैंडिंग बीते एक साल से चल रही है.''

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