(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जिलों के नाम बदलने का जिन्न फिर बाहर, अब मेरठ, मुजफ्फरनगर और गाजियाबाद का नाम बदलने की सुगबुगाहट
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक इस विषय में प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग ने तीनों जिलों के अधिकारियों से तुरंत जवाब देने को कहा है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जिलों के नाम बदलने की खबर फिर हवाओं में तैरने लगी है. अभी आगरा का नाम अग्रवन रखे जाने को लेकर सरकार ने सफाई दी ही रही थी कि मेरठ, गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर का नाम बदलने की चर्चा शुरू हो गई.
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक इस विषय में प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग ने तीनों जिलों के अधिकारियों से तुरंत जवाब देने को कहा है. वहीं मुख्यमंत्री कार्यालय ऐसी किसी तैयारी से साफ इंकार कर रहा है. जिलाधिकारियों को राजस्व विभाग की तरफ से लिखे पत्र के मुताबिक प्रदेश सरकार के एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (IGRS) में मेरठ के नाम पंडित गोडसे नगर, हापुड़ का नाम महंत अवैद्यनाथ नगर और गाजियाबाद का नाम महंत दिग्विजय नगर के रूप में करने का संदर्भ है.
सूत्रों ने बताया कि हापुड़ जिला प्रशासन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ के नाम पर जिले का नाम बदलने अनुरोध को ठुकरा दिया है. हालांकि पत्र में यह नहीं बताया गया कि मुजफ्फरनगर का नाम किस पर बदलने की मांग की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक पिछले चार महीनों में तीनों जिलाधिकारियों को इस विषय में तीन बार रिमाइंडर भेजा जा चुका है. इससे जिला प्रशासन की चिंता खासी बढ़ गई है. राजस्व विभाग का कहना है कि जिला अधिकारियों को तय समय सीमा के भीतर मामले (लोगों या संगठनों द्वारा की गई शिकायत या मांग) का निपटारा करने की जरुरत है. विभाग ने आखिरी बार पत्र दो दिसंबर को जारी किया था.
प्नशासन के एक अधिकारी ने बताया कि अगर समय सीमा के भीतर इन मामलों का निपटारा नहीं किया जाता है तो सीएम योगी की समीक्षा बैठकों में इस पर स्पष्टीकरण भी देना होगा. अधिकारी ने बताया कि जब भी ऐसी कोई मांग या अनुरोध होता है तो सरकार जिला प्रशासन से राय मांगती है. सरकार ऐतिहासिक तथ्यों और अन्य विचारों के आधार पर ही निर्णय लेती है. वहीं पूरे मामले पर मुख्यमंत्री कार्यालय का कहना है कि जनसुनवाई पोर्टल पर उन्हें ऐसी कई मांगे मिलती रहती हैं. बाद में इन्हें IGRS को भेज दिया जाता है. आईजीआरएस एक सरकारी पोर्टल है जो आटो रिस्पांस सिस्टम के तहत कार्य करता है, इसके तहत जिस जिले से संबंधित प्रश्न या समस्या होती है, उस जिले को अग्रसारित कर भेज दी जाती है. किसी जिले का नाम बदलने का ना तो कोई प्रस्ताव है, और ना ही राज्य सरकार की तरफ से इस बारे में कोई अधिकृत प्रस्ताव मांगा गया है. सूत्रों का कहना है कि यह कहना मुश्किल है कि किसने या किस संगठन ने नाम बदलने की मांग की है. हालांकि मेरठ में एक संगठन ने बीती 15 नवंबर को गोडसे के नाम पर मेरठ का नाम बदले की मांग की थी.
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