महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर नाना पटोले ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. माना जा रहा है कि पटोले ने इसलिये इस्तीफा दिया है क्योंकि कांग्रेस उन्हें अपनी राज्य इकाई का प्रभार सौंपने जा रही है. पटोले वही शख्स हैं जिन्होंने 2017 में मोदी के खिलाफ बगावत करते हुए सांसद पद से और बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था.


साल 2014 में नाना पटोले महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट सांसद चुने गये थे. उन्होने एनसीपी के उम्मीदवार प्रफुल्ल पटेल को डेढ लाख मतों से हराया था. पटोले सांसद तो चुन लिया गए, लेकिन उन्होने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया. दिसंबर 2017 में उन्होने लोकसभा और बीजेपी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा का कारण उन्होने पीएम नरेंद्र मोदी की कार्यशैली को बताया.


पटोले का कहना था कि मोदी अपने सांसदों से अपमानजनक व्यवहार करते हैं. मोदी को अपनी ही पार्टी के लोगों से सवाल पूछा जाना पसंद नहीं. पटोले के मुताबिक उन्होने जब एक बार किसानों से जुड़े किसी मुद्दे पर मोदी से सवाल किया तो मोदी उन पर भड़क गए. सवाल पूछे जाने पर पीएम मोदी उल्टा सवाल करते थे कि क्या उन्होने पार्टी का घोषणा पत्र नहीं पढ़ा. पटोले का आरोप था कि वे केंद्र में मंत्री नहीं बनना चाहते थे क्योंकि केंद्र के मंत्री डरे हुए रहते थे.


बीजेपी से बाहर होते वक्त अपने इस्तीफे में उन्होने 14 बिंदु रखे और केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की तत्कालीन देवेंद्र फडणवीस सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जताई. पटोले का कहना था कि सरकार की नीतियां उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने वाली थीं और सरकार चाहती थी कि सब कुछ निजी हाथों में और ठेकेदारों के पास चला जाये.


बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद पटोले कांग्रेस में शामिल हो गए. किसान के मुद्दों पर पटोले की समझ को देखते हुए उन्हें ऑल इंडिया किसान कांग्रेस का प्रमुख बनाया गया. साल 2019 के चुनाव के बाद कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी की मदद से वे विधान सभा के स्पीकर चुने गये. हाल ही में बाला साहब थोराट ने राज्य कांग्रेस के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद उनकी जगह पटोले की नियुक्ति पर चर्चा चल रही है. स्पीकर पद से उनके इस्तीफे के पीछे भी यही कारण माना जा रहा है. पटोले की इमेज एक आक्रमक नेता की रही है और कांग्रेस को राज्य के नेतृत्व की खातिर ऐसे ही चेहरे की तलाश थी.


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