नकवी बोले- कानून बनने के बाद तीन तलाक के मामले 80% कम हुए, मोदी सरकार ने की अधिकारों की रक्षा
मुख्तार अब्बास नकवी, स्मृति ईरानी तथा भूपेंद्र यादव यहां ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ कार्यक्रम में शामिल हुए. मंत्रियों ने कई मुस्लिम महिलाओं से भी बातचीत की, जो फौरी तीन तलाक प्रथा की पीड़ित थीं.
नई दिल्ली: केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शनिवार को कहा कि ‘तीन तलाक’ (तलाक-ए-बिद्दत) विरोधी कानून बनने के बाद तीन तलाक के मामलों में कमी आई है. उन्होंने कहा कि इस कानून के बनने से मुस्लिम महिलाओं का संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक अधिकार सुनिश्चित हुआ है.
तीन तलाक के खिलाफ कानून लागू करने के उपलक्ष्य में, रविवार को देशभर में विभिन्न संगठनों ने मुस्लिम महिला अधिकार दिवस के तौर पर मनाया और कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक नकवी ने बताया कि कानून बनने के बाद तीन तलाक के केस में 80% की कमी आयी है.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी तथा श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव यहां ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ कार्यक्रम में शामिल हुए. केंद्रीय मंत्रियों ने कई मुस्लिम महिलाओं से भी बातचीत की, जो फौरी तीन तलाक प्रथा की पीड़ित थीं. ईरानी ने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और श्रम मंत्रालय उन सबको प्रोत्साहित करने के लिए एकजुट होकर काम करेंगे. इस अवसर पर यादव ने कहा कि मोदी नेतृत्व वाली सरकार समाज के हर वर्ग की महिलाओं की गरिमा और सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है.
कार्यक्रम में मुस्लिम महिलाओं ने एक अगस्त 2019 को इस प्रथा के खिलाफ कानून लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया. कानून के तहत इस प्रथा को अपराध करार दिया गया. मुस्लिम महिलाओं ने मंत्रियों के साथ संवाद में कहा कि मोदी नेतृत्व वाली सरकार ने देश की मुस्लिम महिलाओं में ‘‘आत्मनिर्भरता, स्वाभिमान और आत्मविश्वास’’ को मजबूत किया है. उन्होंने कहा कि एक बार में कहकर दिए जाने वाले तीन तलाक की कुप्रथा के खिलाफ कानून लाकर उनके संवैधानिक, मौलिक और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा की है.
बता दें कि 1 अगस्त, 2019 को कानून लागू होने से पहले उत्तर प्रदेश में 63 हजार से ज्यादा मामले दर्ज थे, जो कानून लागू होने के बाद 221 रह गए. वहीं, एक्ट लागू होने के बाद बिहार में 49 मामले ही दर्ज हुए. आंकड़ों से साफ है कि तीन तलाक के खिलाफ बने कानून का असर जमीन पर भी देखने को मिल रहा है.
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