सीबीआई ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील मंगलवार को वापस ले ली. कलकत्ता हाईकोर्ट ने नारदा स्टिंग केस में टीएमसी के तीन नेताओं सहित चार नेताओं को नजरबंद (हाउस अरेस्ट) रखने की अनुमति दी थी. जिसके बाद इस फैसले के खिलाफ केन्द्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से यह टिप्पणी की गई कि यह बेहतर होगा अगर सीबीआई टीएमसी के चार नेताओं को घर में नजरबंदी के फैसले के खिलाफ अपनी याचिका वापस ले लेती, क्योंकि यह केस कोलकाता हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच में लंबित है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम मामलों के तथ्यों पर कोई आदेश नहीं देना चाहते हैं. कलकत्ता हाईकोर्ट में पांच सदस्यीय बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. सभी पक्ष वहीं पर अपनी बातें रखें.
क्या-क्या हुआ सुप्रीम कोर्ट में?
इससे पहले, सीबीआई की तरफ से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल मेहता से सुप्रीम कोर्ट ने यह पूछा कि आप किस आदेश को चुनौती दे रहे हैं? अगर आपको जस्टिस बनर्जी के आदेश से समस्या नहीं, तब तो अंतिम जमानत मिल जाना चाहिए? कोर्ट ने अभिषेक सिंघवी और सिद्धार्थ लूथरा से पूछा कि वह किन आरोपियों के लिए पेश हुए हैं.
जज ने कहा कि हमें नहीं लगता है कि भीड़ जुटाकर किसी कोर्ट पर दबाव बनाया जा सकता है. अगर हम ऐसा मान लें तो यह निचली अदालतों और हाईकोर्ट को हतोत्साहित करेगा. आप चाहें तो अभी अपना केस वापस लेकर हाईकोर्ट में अपनी बातें रख सकते हैं.
इससे पहले, सीबीआई के वकील ने कोर्ट से कहा कि सीबीआई के दफ्तर को हजारों लोगों ने घेरा, पथराव किया. आखिर आरोपियों को निचली अदालत में वीडिया कॉन्फ्रेंसिंग से पेश करने के लिए हमें हाईकोर्ट में आवेदन देना पड़ा. मेहता ने आगे कहा कि राज्य के कानून मंत्री तक पूरा दिन कोर्ट परिसर में बैठे रहे, वहां पर पूरी तरह आराजकता थी. पश्चिम बंगाल में ऐसा लगातार हो रहा है. मामला किसी आरोपी की जमानत का नहीं है. उन्हें हाउस अरेस्ट में रहने दीजिए. लेकिन, पहले सुप्रीम कोर्ट पूरा मामाले देखे.
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