नारदा केस: मंत्रियों समेत ममता के चारों नेताओं की जमानत रद्द, TMC बोली- मोदी सरकार से बर्दाश्त नहीं हो रही हार
सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में टीएमसी के नेता फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा, पूर्व टीएमसी नेता और कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी को जमानत दे दी थी, लेकिन कलकत्ता हाई कोर्ट ने जल्द ही निचली अदालत के आदेश के अमल पर रोक लगा दी.नारदा टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था, जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में एक कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए.
नारदा स्टिंग केस: पश्चिम बंगाल में नारदा स्टिंग केस को लेकर बवाल हो गया है. ममता बनर्जी सरकार के दो मंत्रियों समेत तृणमूल कांग्रेस के चारों नेताओं को आधी रात के करीब जेल भेज दिया गया. इससे पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने सभी की जमानत रद्द कर दी थी. सभी नेताओं को सीबीआई ने कल छापेमारी के बाद गिरफ्तार कर लिया था. सीबीआई की इस कार्रवाई के बाद टीएमसी ने कहा है कि मोदी सरकार बंगाल में हार बर्दाश्त नहीं कर पा रही है, इसलिए बदले की कार्रवाई कर रही है.
कई स्थानों पर हुए हिंसक प्रदर्शन
सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में टीएमसी के नेता फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा, पूर्व टीएमसी नेता और कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी को जमानत दे दी थी, लेकिन कलकत्ता हाई कोर्ट ने जल्द ही निचली अदालत के आदेश के अमल पर रोक लगा दी. पार्टी नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी छह घंटे तक सीबीआई कार्यालय में धरने पर बैठी रही, जबकि उनके समर्थकों ने परिसर को घेरे रखा. केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई के खिलाफ राज्य के कई स्थानों पर हिंसक प्रदर्शन हुए.
2017 को हाई कोर्ट ने दिए थे जांच के आदेश
बता दें कि हाई कोर्ट ने 16 अप्रैल 2017 को स्टिंग ऑपरेशन की जांच सीबीआई को करने के निर्देश दिए थे. बाद में एक विशेष अदालत ने तृणमूल कांग्रेस के नेता और राज्य के मंत्रियों फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी, पार्टी विधायक मदन मित्रा और पार्टी के पूर्व नेता और कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को जमानत दे दी. सीबीआई ने चारों नेताओं और आईपीएस अधिकारी एसएमएच मिर्जा के खिलाफ अपना आरोप-पत्र दाखिल किया था. मिर्जा इस समय जमानत पर हैं.
बीजेपी ने पिछले दरवाजे से घुसने की साजिश रची है- टीएमसी
तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी नीत केंद्र सरकार पर विधानसभा चुनाव में हार के बाद राजनीतिक प्रतिशोध के लिए सीबीआई के इस्तेमाल का आरोप लगाया. तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘बंगाल में रोजाना आने-जाने वाले जिन मुसाफिरों को राज्य की जनता ने चुनाव में पूरी तरह नकार दिया, उन्होंने इस महामारी के संकट के बीच पिछले दरवाजे से घुसने की साजिश रची है.’’ उन्होंने भी तृणमूल कार्यकर्ताओं से संयम बरतने का आग्रह किया.
कुणाल घोष ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गये मुकुल रॉय और शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी है जबकि उनके नाम भी मामले में सामने आये थे. इन आरोपों को खारिज करते हुए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि रॉय और अधिकारी ने सीबीआई की जांच में सहयोग दिया जबकि हिरासत में लिये गये तृणमूल नेताओं ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने प्रदर्शनकारियों द्वारा लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन किये जाने की निंदा की.
2014 में हुए थे स्टिंग्स
गौरतलब है कि नारदा टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था, जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में एक कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए. जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि हकीम को स्टिंग ऑपरेशन करने वाले से पांच लाख रुपये रिश्वत लेने की बात स्वीकार करते हुए देखा गया जबकि मित्रा और मुखर्जी को कैमरे पर पांच-पांच लाख रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया. चटर्जी को स्टिंग करने वाले से चार लाख रुपये लेते हुए देखा गया. सीबीआई के अनुसार मिर्जा को भी कैमरे पर पांच लाख रुपये लेते हुए पकड़ा गया.
यह टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सार्वजनिक हुआ था. हालांकि, चुनाव पर इसका असर नहीं पड़ा और बनर्जी की सत्ता में वापसी हुई. सीबीआई ने 16 अप्रैल 2017 को दर्ज प्राथमिकी में 13 लोगों को नामजद किया है जिनमें साल 2014 के ममता बनर्जी सरकार में मंत्री रहे तृणमूल नेता हकीम, मुखर्जी, मित्रा और चटर्जी शामिल हैं. हकीम और मुखर्जी हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में दोबारा जीते हैं जबकि चटर्जी तृणमूल छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए. अधिकारियों ने बताया कि आठ आरोपियों पर मामला चलाने की मंजूरी अबतक नहीं मिली है क्योंकि वे सभी संसद सदस्य हैं.
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