Narayana Murthy: 'अगर हम चाहते हैं कारोबारी देश में रहें तो..,' भारत के बिजनेस कल्चर पर नारायण मूर्ति ने जताई चिंता, दिया चीन का उदाहरण
N R Narayana Murthy का कहना है कि 1940 में भारत और चीन का आकार एक ही था, लेकिन आज चीन छह गुना बड़ा हो गया है. नारायण मूर्ति के मुताबिक, चीन ने ईमानदार कल्चर का पालन किया है.
Narayana Murthy: इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति ने भारत के मौजूदा व्यवसायिक वातावरण पर बात की है. उन्होंने गुरुवार (23 फरवरी) को कहा कि भारत को एक देश के रूप में समृद्ध होने के लिए ईमानदारी की संस्कृति की जरूरत है. नारायण मूर्ति के मुताबिक, भारत में ऐसा कल्चर होना चाहिए, जहां बिना पक्षपात के तेजी से निर्णय लिए जाएं और लेनदेन को ईमानदारी और आसानी से पूरा किया जा सके.
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को एशिया आर्थिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया था. संवाद कार्यक्राम में नारायण मूर्ति ने कहा कि देश में केवल एक छोटा वर्ग कड़ी मेहनत करता है और अधिकतर लोग उस कल्चर का पालन नहीं कर रहे हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक है.
नारायण मूर्ति ने दिया चीन का उदाहरण
इंफोसिस के सह-संस्थापक ने कहा, "हमें तेजी से निर्णय लेने, तुरंत काम करने, परेशानी रहित लेन-देन, लेन-देन में ईमानदारी, कोई पक्षपात नहीं करने की संस्कृति बनाने की आवश्यकता है." उन्होंने कहा कि 1940 के दशक के अंत में भारत और चीन दोनों एक ही आकार के थे, लेकिन अब उत्तरी पड़ोसी भारत की तुलना में छह गुना बड़ा हो गया है, क्योंकि वो बिजनेस के इस कल्चर को अपना चुका है.
'अगर हम चाहते हैं व्यवसायी भारत में रहें तो...'
नारायण मूर्ति ने कहा, "भारत का एक छोटा वर्ग है जो कड़ी मेहनत करता है, जो ईमानदार है, जिसके पास अच्छी कार्य नीति, अनुशासन है, कुल मिलाकर यह प्रमुख प्रकृति नहीं है." उन्होंने आगे कहा कि अगर हम चाहते हैं कि व्यवसायी केवल भारत में ही रहें और सब कुछ भारत में करें, तो मुझे लगता है कि उन्हें ऐसा करने में बहुत खुशी होगी. हम अनुरोध कर रहे हैं कि तेजी से निर्णय लिए जाएं, उन्हें शीघ्रता से लागू किया जाए और व्यवसायी का उत्पीड़न न हो.
'भारत में अच्छी बाजार शोध कंपनियों की कमी'
नारायण मूर्ति ने ये भी कहा कि भारत में अच्छी बाजार शोध कंपनियों की कमी है, जिससे यूनीकॉर्न्स (एक अरब डॉलर से ज्यादा के मूल्यांकन वाले स्टार्टअप) अवसरों का जरूरत से ज्यादा अनुमान लगा लेते हैं और उससे बड़ा नुकसान होता है. मूर्ति ने कहा, "भारत में इस स्तर पर इस समय एक कमी यह भी है कि हमारे पास ऐसी कोई कंपनी नहीं है जो गुणवत्तापूर्ण बाजार शोध में विशेषज्ञ हो."