नई दिल्ली: राम मंदिर निर्माण को लेकर सरकार कोई भी प्रयोग करने के मूड में नहीं है. इसकी गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मंदिर निर्माण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने भरोसेमंद अधिकारियों को निर्माण के मैदान में उतार दिया है. तीनों प्रमुख लोगों ने अपने सबसे विश्वस्त अधिकारियों को ना सिर्फ ट्रस्ट के कामकाज में लगाया है, बल्कि मंदिर निर्माण की भी जिम्मेदारी दी है, ताकि निर्धारित समय में भव्य मंदिर का निर्माण पूरा कराया जा सके.
15 सदस्यीय राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में नौ अस्थाई सदस्यों के अलावा दो नामित सदस्य रखे गए हैं. नामित सदस्यों के लिए नृत्य गोपाल दास और चंपत राय का चयन किया गया, जबकि अयोध्या के जिलाधिकारी के अलावा केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से एक-एक वरिष्ठ अधिकारी को भी सदस्य बनाया गया है. उन वरिष्ठ अधिकारियों का चयन भी केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से किया जाना होता है.
ट्रस्ट की पहली बैठक में केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से अमित शाह के भरोसेमंद अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार को बैठक में भेजा गया, जबकि राज्य सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे भरोसेमंद अधिकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी को ट्रस्ट की बैठक में हिस्सा लेने के लिए भेजा गया. यह दोनों अधिकारी केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में ट्रस्ट के कामकाज में प्रतिभाग करेंगे, जबकि ट्रस्ट ने जिस निर्माण समिति का गठन किया उसके पहले अध्यक्ष के रूप में पूर्व आईएएस अधिकारी नृपेंद्र मिश्र का चयन किया गया. नृपेंद्र मिश्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद भरोसेमंद और साफ-सुथरी छवि के अधिकारी में गिने जाते हैं.
दरअसल सरकार चाहती है कि राम मंदिर का निर्माण ना केवल जल्द से जल्द हो, बल्कि बिना किसी विवाद और रुकावट के हो. इसीलिए राज्य- केंद्र की ओर से ऐसे अधिकारियों को ट्रस्ट में भेजा गया है, जो किसी भी रुकावट को दूर करने में सक्षम हैं. अवनीश अवस्थी इन दिनों राज्य सरकार के सबसे ताकतवर अधिकारी माने जाते हैं. जबकि ज्ञानेश कुमार गृह मंत्रालय में ना केवल अच्छी छवि के अधिकारी बल्कि गृह मंत्री अमित शाह के करीबी भी माने जाते हैं.
वहीं निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र 2014 से लेकर 2019 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख सचिव के रूप में कार्य कर चुके हैं. जिसकी वजह से प्रधानमंत्री कार्यालय के बीच संवाद में भी दिक्कत नहीं आएगी. दरअसल ऐसे कामों में सबसे बड़ी बात होती है संवाद और कानूनी पेचीदगियां. अक्सर महत्वपूर्ण फाइलें विभागों में चक्कर काटती रहती हैं, जबकि सरकार चाहती है राम मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द हो. इसी वजह से केंद्र और राज्य सरकार के अलावा निर्माण समिति अध्यक्ष का चयन एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया गया है.
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