नई दिल्ली: पाकिस्तान में इमरान खान सरकार के सत्ता संभालने के बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्तों की गाड़ी पटरी पर लाने के लिए नए प्रयासों की सुगबुगाहट तेज़ हो गई है. इमरान खान ने भारत के एक कदम पर दो कदम उठाने का वादा किया. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पाक पीएम को भेजी बधाई की चिट्ठी के साथ सकारात्मक संवाद और संबंध सुधार के लिए साझा प्रयासों के लिए संकल्प जताया. हालांकि फिलहाल अवसरों की मौजूदगी के बावजूद दोनों प्रधानमंत्रियों की 2019 के मध्य से पहले संभावना बड़ी धुंधली है.


भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के मुलकात की पहली संभावना यूं तो अगले माह ही मौजूद होगी. सितंबर 2018 में ताजिकिस्तान के दुशांबे में शांघाई सहयोग संगठन की बैठक होनी है तो वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा की भी बैठक निर्धारित है. इन दोनों ही बैठकों में दोनों प्रधानमंत्रियों के मिलने का अवसर हो सकता है. मगर इन अवसरों के मुलाकात में बदलने की उम्मीद नहीं नज़र आती है.


सूत्रों के मुताबिक फिलहाल इमरान खान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आमना-सामना होने की संभावना न के बराबर है. ताजिकिस्तान के दुशांबे में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन  राष्ट्राध्यक्षों के सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे. वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की बात रखने के लिए प्रधानमंत्री की बजाय विदेशमंत्री सुषमा स्वराज रखेंगी.


पाकिस्तान की ओर से फिलहाल नुमन्दगी करने वाले चेहरे का ऐलान नहीं किया गया है. लेकिन संकेत हैं कि इमरान खान संयुक्त राष्ट्र महासभा और SCO जैसे मंच पर पाकिस्तान की बात रखने पहुंच सकते हैं. पीएम मोदी जून में चीन के चिंगदाओ में आयोजित SCO शासनाध्यक्षों के सम्मेलन में शिरकत की थी.


भारतीय खेमे के सूत्रों की मानें तो दोनों मुल्कों के प्रधानमत्रियों का किसी अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर आमने-सामने पड़ने का मौका फिलहाल 2019 के मध्य में होने वाली SCO शासनाध्यक्ष सम्मेलन से पहले नज़र नहीं आता है. इतना ही नहीं फिलहाल भारत की मंशा फौज की मदद से सत्ता में आई इमरान सरकार के इरादों को असलियत की ज़मीन पर आँकने की भी है. खासतौर पर अमन की बातों को सीमापार आतंकवाद के मर्चे पर परखने की.


प्रधानमंत्री मोदी ने इमरान को भेजे शुभकामना संदेश की चिट्ठी में भले ही पाकिस्तान से सकारात्मक संवाद की उम्मीद जताई हो. पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने पहले भाषण में भारत के साथ रिश्ते ठीक करने के लिए कदम उठाने की बात कही हो. लेकिन,


2019 के आने वाले चुनाव भी एक बड़ी वजह है जिसके चलते फिलहाल भारत-पकिस्तान रिश्तों में बड़े निवेश की उम्मीद नहीं है. पाकिस्तान की कोशिश जहां भारत में चुनाव के बाद नई सरकार के कामकाज संभालने तक किसी बड़ी पहल के लिए इंतज़ार करने की होगी. वहीं सत्ता में मौजूद बीजेपी भी इमरान के साथ संबंध सुधार की किसी बड़े कदम के साथ चुनावी परीक्षा में जाने से बचना पसंद करेंगी.


हालांकि सूत्र इस बीच छोटे कदमों  के सहारे संबंध सुधार की नई कोशिशों के लिए जमीन तलाशने की संभावना से इनकार नहीं करते. सूत्र कहते हैं कि पाकिस्तान की नई सरकार की तरफ पर्दे के आगे और पर्दे के पीछे उठने वाले कदम तय करेंगे कि भारत क्या प्रतिक्रिया होगी क्योंकि गेंद पाक के पाले में है. इस बीच पर्दे के पीछे दोनों मुल्कों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात जैसे मौके भी तलाशे जा सकते हैं.


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