नई दिल्ली: एबीपी न्यूज़ के खास शो मातृभूमि में आज बात भारत-चीन संबंधों पर. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग चेन्नई से 60 किलोमीटर दूर महाबलीपुरम में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे. दुनिया की नजर इस मुलाकात पर होगी लेकिन पाकिस्तान के लिए एक-एक पल भारी होगा क्योंकि इस मुलाकात में मोदी, जिनपिंग के सामने पीओके में निवेश का मुद्दा भी उठा सकते हैं.


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तमिलनाडु के महाबलीपुरम का दुल्हन की तरह श्रृंगार किया जा रहा है, पूरे शहर के एक-एक कोने की रंगाई पुताई ऐसे चल रही है मानो दीवाली हो, सुरक्षा इतनी कड़ी है कि बिना इजाजत परिंदा भी महाबलीपुरम में दस्तक ना दे पाए. सुरक्षाबलों को निर्देश दिए जा रहे हैं, नौकरशाहों को आदेश दिए जा रहे हैं कि देखो कहीं कोई कमी ना रह जाए, कहीं कोई चूक ना हो जाए. तैयारी ऐसी होनी चाहिए कि दुनिया बस देखती रह जाए.


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मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात यानि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के निर्वाचित नेता और विश्व के सबसे बड़े कम्युनिस्ट शासन के नेता की मुलाकात, नए शब्दों में कहा जाए तो दुनिया की दो सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं की मुलाकात. चेन्नई पहुंचने के बाद शी जिनपिंग 60 किलोमीटर का सफर तय करके महाबलीपुरम पहुंचेंगे जिस रास्ते से जिनपिंग का काफिला गुजरेगा उसके चप्पे चप्पे पर सुरक्षाबलों की नजर होगी.


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महाबलीपुरम- यानि हिंदुस्तान की वो जगह जिसके साथ चीन के ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं. मोदी और जिनपिंग के बीच अनौपचारिक मुलाकात होगी यानि बातचीत रिकॉर्ड पर नहीं रखी जाएगी. बैठक ना कोई एजेंडा है और ना ही किसी समझौते या घोषणा का दबाव इसलिए दोनों नेता हर मुद्दे पर खुलकर बात करेंगे. मोदी जिनपिंग से पीओके में निवेश का जिक्र भी कर सकते हैं.


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मौजूदा वक्त में पीओके मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है. पीओके भारत की कूटनीति का वो हिस्सा है जिसे मोदी सबसे ऊपर रखना चाहते हैं. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीन का निवेश भारत के लिए बेहद नाजुक मुद्दा है. मुमकिन है कि मोदी जिनपिंग के साथ मुलाकात में इसका जिक्र करेंगे.


तय है कि चीन से पीओके का जिक्र पाकिस्तान को रास नहीं आएगा क्योंकि पाकिस्तान को चीन की सख्त जरूरत है. उसे वैश्विक मंच पर भी चीन का साथ चाहिए और अपने देश के लिए आर्थिक मोर्चे पर भी चीन चाहिए यानि इमरान को हर हाल में चीन चाहिए लेकिन चीन को तो हिंदुस्तान चाहिए क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच रिश्ते बिगड़ रहे हैं. अमेरिका चीन पर प्रतिबंध लगा रहा है तो चीन के लिए बाजार की जरूरत भारत पूरी करेगा.


- भारत-चीन के बीच 6 लाख 9 हजार करोड़ रुपये का कारोबार है
- भारत 4.92 लाख करोड़ रुपये का आयात और 1.17 लाख करोड़ रुपये का निर्यात करता है
- 2014 से अब तक दोनों देशों के बीच कारोबार में 38% का इजाफा हुआ है


ऐसे में भारत अगर चीन के लिए अपने बाजार की पहुंच बंद कर देता है तो चीन के लिए मुश्किल पैदा हो जाएगी. भारत और चीन दोनों को एक दूसरे की जरूरत है यही वजह है कि पिछले पांच साल में मोदी और जिनपिंग के बीच 10 से ज्यादा बार मुलाकात हो चुकी है.