बियारिट्ज, फ्रांस: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ नई जंग छेड़ने के तैयारी कर चुके हैं. स्वतंत्रता दिवस से लेकर विदेशों में भारतीय बिरादरी से संवाद और यहां तक कि 'मन की बात' कार्यक्रम में इस मुहिम का मुसलसल जिक्र कर रहे हैं. हालांकि उनकी यह बात कोई अकेली पहल नहीं है बल्कि दुनिया में सबसे ज्यादा प्लास्टिक का कचरा उगलने वाली G-7 मुल्कों की अर्थव्यवस्थाएं भी अब इससे निजात पाने के तरीकों पर फिक्रमंद है. फ्रांस के बियारिट्ज में हो रहे G-7 शिखर सम्मेलन में प्लास्टिक नियंत्रण और प्रबंधन भी विश्व नेताओं के मंथन का एजेंडा है.
बीते साल कनाडा में हुए G-7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्लास्टिक चार्टर पर कई मुल्कों ने दस्तखत किए थे. हालांकि अमेरिका और जापान ने इस करार पर रजामंदी जताने से इनकार कर दिया था. एक बार फिर G-7 के मंच पर कोशिश हो रही है कि सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के लिए वैश्विक सहमति बन जाए. इस समस्या का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर साल समंदर में जा रहा प्लास्टिक का कचरा मैरीन इकोसिस्टम को 13 अरब डॉलर का नुकसान पहुंचा रहा है. हर साल एक करोड़ 30 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक समंदर में जा रहा है.
जिस सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर सबसे ज्यादा चिंता हो रही है उसका आलम यह है कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संस्था के मुताबिक हर साल 500 अरब प्लास्टिक की थैलियां इस्तेमाल होती हैं और हर मिनट करीब 10 लाख प्लास्टिक की बोतलें खरीदी जा रही हैं. भारत में भी तेजी से बढ़ता प्लास्टिक का कचरा न केवल शहरों से लेकर गांवों तक सैनिटेशन सिस्टम को चोक कर रहा है बल्कि घरों तक पहुंच रहे 43 फीसद पानी में प्लास्टिक के कण घुले हुए हैं जो सीधे शरीर में पहुंच रहे हैं. दुनिया में इस्तेमाल हो रहे कुल जमा प्लास्टिक में से आधी हिस्सेदारी सिंगल यूज प्लास्टिक की है.
G-7 शिखर बैठक के लिए बियारिट्ज पहुंचे पीएम मोदी ने भी रविवार को प्रसारित 'मन की बात कार्यक्रम' में सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ व्यापक जन अभियान छेड़ने का अह्वान किया. मोदी सरकार 2 अक्टूबर गांधी जयंति से सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ व्यापक अभियान छेड़ने की तैयारी कर रही है. प्रधानमंत्री ने लाल किले से दिए गए स्वतंत्रता दिवस भाषण में भी लोगों से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद करने की अपील की थी.
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