नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के बीच बीते रोज़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का एलान किया था. अब आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहत पैकेज कहां और कैसे इस्तेमाल होगा इसकी जानकारी दी. इसके तहत उन्होंने MSMEs को फायदा पहुंचाने के लिए 6 बड़े फैसले लिए. इसमें MSMEs को बिना किसी गारंटी के 3 लाख करोड़ रुपये के लोन का भी प्रावधान किया गया है.


यहां पढ़ें सरकार के 6 बड़े फैसले


1. Collateral Free loan: 3 लाख करोड रुपये का कर्ज MSME को दिया जाएगा, जिसके लिए इन इकाइयों को कुछ भी गिरवी रखने की ज़रूरत नहीं होगी. 3 लाख करोड रुपये के इस कर्ज़ के लिए भारत सरकार 100% गारंटी देगी. इसके तहत 45 लाख MSME को फायदा होगा. ये कर्ज़ 31 अक्टूबर 2020 तक लिए जा सकेंगे. ये कर्ज़ 4 साल के लिए दिया जाएगा. इस कर्ज़ को लेने वाली MSME को पहले साल मूलधन (प्रिंसिपल) देने की ज़रूरत नहीं होगी.


2. Stressed or NPA MSME: जिन MSME के कर्ज़ NPA हो गए हैं या फंसे हुए कर्ज़ हैं, उनके लिए भी बैंकों से कर्ज लेने का रास्ता खोला गया है. इसके तहत 20 हज़ार करोड रुपये का कर्ज दिया जाएगा. केंद्र सरकार आंशिक ऋण गारंटी के तहत 4,000 करोड़ रुपये की गारंटी देगी. इससे 2 लाख MSME को फायदा होगा.


3. Fund of Funds: जिन MSME की वित्तीय सेहत बेहतर है और वो अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाना चाहती हैं, उन्हें 50 हज़ार करोड़ रुपये की इक्विटी मदद की जाएगी. यानी, इन कंपनियों को अपनी हिस्सेदारी के बदले ये रकम मिलेगी.


4. Defination of MSME: MSME की परिभाषा को बदल दिया गया है जिससे अब MSME कंपनियों को ज़्यादा फायदा होगा. अभी तक जिन कंपनियों में ₹2500000 का निवेश होता था, उन्हें माइक्रो कहा जाता था. अब इस निवेश की सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये तक कर दिया गया है. इसी तरह स्मॉल श्रेणी में निवेश की सीमा 10 करोड रुपये तक कर दी गयी है. मध्यम श्रेणी के उद्योगों के लिए निवेश की सीमा बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दी है.


5. Global Tender: केंद्र सरकार की पूरी खरीद प्रक्रिया में अब 200 करोड़ रुपए तक की खरीद के लिए वैश्विक टेंडर जारी नहीं होंगे. इसका फायदा यह होगा कि 200 करोड़ रुपए तक के जितने भी काम हैं, वह भारतीय कंपनियों को मिलेंगे. यह कंपनियां फिर भारतीय एमएसएमई कंपनियों से ही माल खरीदेंगे.


6. 45 Days: भारत सरकार और सभी केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों पर एमएसएमई सेक्टर का जितना भी पेमेंट है, वह अगले 45 दिन के अंदर वापस दे दिया जाएगा. जानकारों के अनुमान के मुताबिक यह रकम 50000 करोड़ रुपए से ज्यादा ही होगी.


NBFC, Discoms और कॉन्ट्रैक्टर को भी मदद 


1. NBFC/HFC/MFI: नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी, हाउसिंग फाइनेंस कंपनी और माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशन को खासतौर पर केंद्र सरकार ने नगदी देने की कोशिश की है, जिसके जरिए वह आगे अपने ग्राहकों को कर्ज दे सके. .इसके लिए एक विशेष लिक्विडिटी स्कीम के तहत 30,000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे. केंद्र सरकार इसकी पूरी गारंटी लेगी.


इसके अलावा 45000 करोड़ रुपए की एक और लिक्विडिटी स्कीम इन्हीं कंपनियों के लिए दी गई है. इस स्कीम के तहत केंद्र सरकार आंशिक तौर पर गारंटी लेगी. कुल नुकसान की सिर्फ 20 फ़ीसदी गारंटी की भारत सरकार इस आंशिक गारंटी फंड के जरिए लेगी.


2. Discoms: डिसट्रिब्यूशन कंपनियों यानी के बिजली वितरण कंपनियों को 90000 करोड़ रुपए की तरलता देने की कोशिश की है. इस स्कीम के तहत रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन बिजली वितरण कंपनियों से उनके रिसिवेबल्स के बदले 90000 करोड़ रुपए की तरलता मुहैया कराएंगे. हालांकि इसके लिए बिजली वितरण कंपनियों को राज्य सरकारों को गारंटी देनी होगी.


3. Contractors: रेलवे या फिर हाईवे या सार्वजनिक उपक्रमों के सभी ठेकेदारों या ठेका लेने वाली कंपनियों को कॉन्ट्रैक्ट पूरे करने के लिए अतिरिक्त 6 महीने तक का समय दिया जा सकता है और वह भी बिना किसी अतिरिक्त खर्च के. आमतौर पर होता यह है कि कॉन्ट्रैक्ट के नियमों के मुताबिक अगर तय समय में काम पूरा ना हो तो अतिरिक्त समय के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर जुर्माने के रूप में ज्यादा रकम ली जाती है.