यंगून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के म्यांमार के दौरे का आज आखिरी दिन है. आज वो भारत के आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के मकबरे पर गए. इससे पहले उन्होंने आज सुबह म्यांमार में बौद्ध मंदिर में भी प्रार्थना की है.
2,500 साल पुराने श्वेदागोन पगोडा को देश की सांस्कृतिक विरासत की धुरी माना जाता है. बौद्ध बहुलता वाले देश की तीन दिवसीय द्विपक्षीय दौरे के अंतिम दिन मोदी ने आज पगोडा के दर्शन किये. प्रधानमंत्री ने पगोडा परिसर में एक बोधी वृक्ष का पौधा लगाया जो साझी विरासत के महत्व को दर्शाता है.
यंगून में रॉयल लेक (शाही झील) के पश्चिम में स्थित पगोडा को म्यांमा के लोग सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल मानते हैं. शुरुआत में 8.2 मीटर जगह में बना यह पगोडा अब 110 मीटर के परिसर में फैला हुआ है. पगोडा सोने की सैकड़ों चादरों से ढका हुआ है, जबकि स्तूप के शीर्ष पर 4,531 हीरे जड़े हुए हैं. सबसे बड़ा हीरा 72 कैरेट का है.
‘इंडियन नेशनल आर्मी’ स्मारक बनाये जाने का प्रस्ताव रखा
कल पीएम मोदी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने वाले लोगों के बलिदान की याद में एक ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ (आईएनए) स्मारक बनाये जाने का प्रस्ताव रखा था. मोदी ने यहां भारतीय मूल के लोगों को संबोघित करते हुए कहा ‘‘नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने म्यामां में ‘‘तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हे आजादी दूंगा’’का आहवान किया था और हजारों की संख्या में पुरूषों तथा महिलाओं ने इसका जवाब दिया था.’’
मोदी ने कहा कि भारत और म्यामां यहां एक आईएनए स्मारक के लिए एक साथ मिलकर सर्वेक्षण कर सकते है. महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, रवीन्द्रनाथ टैगोर और बहादुर शाह जफर का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि म्यामां स्वतंत्रता सग्राम के दौरान अपने घरों को छोड़ने वाले इन लोगों के लिए ‘‘दूसरा घर’’ बन गया था. ‘‘आजाद हिन्द फौज’’ के नाम से जानी जाने वाली आईएनए का गठन ब्रिटिश शासन से भारत को आजादी दिलाने के लिए द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दक्षिणपूर्व एशिया में वर्ष 1942 में भारतीय क्रांतिकारियों ने किया था.