(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जब सच साबित हुई थी हीराबा की वो भविष्यवाणी, लोकतंत्र के आंगन में शुरू हुआ था एक नया युग
नरेंद्र मोदी की मां पहली बार 2012 में राष्ट्रीय मीडिया में बेटे के पीएम बनने की भविष्यवाणी की. हीराबा ने एबीपी से बात करते हुए कहा था कि अब वक्त आ गया है, मेरे बेटे के प्रधानमंत्री बनने का
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबा 100 साल की उम्र में अनंत यात्रा पर चली गई हैं. शुक्रवार को अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में उनका निधन हुआ था. हीराबा 2012 में पहली बार राष्ट्रीय मीडिया में सामने आईं थीं.
गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार जीत के बाद उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि मेरा बेटा अब प्रधानमंत्री बनेगा. उस वक्त एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए हीराबा ने कहा था कि नरेंद्र में काबिलियत है और समय आ गया है, उसके प्रधानमंत्री बनने का.
हीराबा की यह भविष्यवाणी 2014 के मई में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही सही साबित हो गई.
नरेंद्र मोदी कैसे बने थे प्रधानमंत्री, 2 प्वॉइंट्स...
- 2012 में गुजरात जीत के बाद बीजेपी के अंदर नरेंद्र मोदी का कद बढ़ता गया. 2013 में गोवा अधिवेशन में बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को पार्टी का चेहरा घोषित किया. इस फैसले के बाद संगठन में बड़े बदलाव किए गए.
- 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने 282 सीटों पर जीत हासिल की और पूर्ण बहुमत की सरकार बना ली. इसके बाद संसदीय दल की बैठक में मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए चुना गया.
आइए अब हीराबा निधन पर उनसे संबंधित 3 और किस्से जानते हैं...
1. टीवी देखकर देश-दुनिया की खबरें समझती थीं
2015 में फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग से बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने बताया कि मां पढ़ी लिखी नहीं हैं, लेकिन टीवी देखकर देश-दुनिया की खबरें समझ लेती हैं. वहीं एक इंटरव्यू में पीएम के भाई प्रह्लाद मोदी ने बताया कि शुरू में हमारे पिताजी धार्मिक कथा की किताबें पढ़ते थें और मां उसे सुनकर समझती थीं.
(Source-Facebook Townhall)
मां की वजह से ही नरेंद्र भाई को 18 घंटे काम करने की प्रेरणा मिली. कम उम्र में शादी हो जाने की वजह से हीराबा कभी पढ़ाई नहीं कर सकीं, लेकिन उन्होंने अपने सभी बच्चों को पढ़ाया.
2. नरेंद्र मोदी की वजह से 2 बार परेशान हुई थीं हीराबा
एक इंटरव्यू में हीराबा ने कहा था कि हमारा परिवार गरीब था और बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए मैं मेहनत करती थी. नरेंद्र की वजह से मैं दो बार परेशान हुई हूं. एक बार तब, जब उन्होंने पानी से मगरमच्छ निकाल लाया.
नरेंद्र भाई कपड़ा धोने तालाब गए थे और वहां से मगरमच्छ निकाल लाए. उनके पिताजी ने पूछा तो कहा कि बा (मां) को दिखाने लाया हूं.
हीराबा ने आगे कहा कि मैं जब उसे मगरमच्छ के साथ देखी तो परेशान हो गई. बाद मैं उसने खुद मगरमच्छ को पानी में छोड़ आया.
मोदी के घर छोड़ने पर भी हीराबा परेशान हो गई थीं. हालांकि, इस संबंध में उन्होंने ज्यादा जिक्र कभी नहीं किया.
3. इलाके के लोग देसी मां कहते थे
हीराबा को इलाके के लोग देसी मां कहते थे. इसकी बड़ी वजह उनका घरेलू नुस्खा पर विश्वास था. प्रह्लाद मोदी ने एक इंटरव्यू में बताया कि मां के 100 साल में भी स्वस्थ्य रहने की बड़ी वजह घरेलू नुस्खा का उपयोग ही है.
प्रह्लाद मोदी ने आगे बताया कि उन दिनों वडनगर में कई महिलाएं मां के पास अपनी समस्याएं लेकर आती थीं. मां उसका इलाज देसी उपचार का सुझाव देकर करती थीं. इसी वजह से इलाके के लोग उन्हें देसी मां भी कहते थे.
2 सवाल, जिसका जवाब खुद प्रधानमंत्री ने दिया था...
पीएम हाउस में क्यों नहीं रहती थीं हीराबा?
बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार से बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने इस सवाल का जवाब दिया था. पीएम मोदी ने कहा कि मैंने एक बार मां से चलने के लिए कहा, तो उनका जवाब था कि मैं वहां किससे बात करूंगी? तुम रहोगे नहीं, रहोगी भी तो तुमसे क्या बात करूंगी?
मोदी ने आगे बताया कि दूसरी वजह जुड़ाव का भी था. मैं बचपन में ही घर छोड़ आया था और मां परिवार के अन्य लोगों के साथ रहती थीं. इसलिए वे हमेशा वहीं रहना चाहती थीं.
घर छोड़ते वक्त मां ने नहीं रोका था?
एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने बताया कि उनको पहले ही यह आभास हो गया था. घर छोड़ने को लेकर जब उनसे मैंने जिक्र किया तो उन्होंने कहा कि जो मन करे, वो करो.
पीएम मोदी ने एक वाकया का जिक्र करते हुए बताया कि मैं पहली बार सीएम बना तो मां को मंच पर आने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. उन्होंने मुझे कहा कि जन्म भले मैंने दिया हो, लेकिन तुम्हें भगवान ने गढ़ा है.
परिवार का संदेश- सभी लोग काम करें, यही हीराबा को श्रद्धांजलि
हीराबा के निधन के बाद परिवार ने देशवासियों के नाम एक संदेश जारी किया है. परिवार की ओर से कहा गया है कि हम इस कठिन समय में उनके लिए की गई प्रार्थनाओं के लिए सभी का धन्यवाद करते हैं. सभी से हमारा विनम्र अनुरोध है कि दिवंगत आत्मा को अपने विचारों में रखें और अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम और प्रतिबद्धताओं को जारी रखें. हीराबा को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री अंतिम संस्कार के बाद सभी तय कार्यक्रमों में शामिल होंगे.