नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव की घोषणा में अब दो महीने से भी कम समय बचा है. ऐसे में अगड़ी जाति के ग़रीब लोगों को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में 10 फ़ीसदी आरक्षण देने को नरेंद्र मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा है. लेकिन इस फ़ैसले के बाद अब कयास लगने लगे हैं कि आने वाले दिनों में मोदी सरकार कुछ और बड़े और चौंकाने वाले फैसले ले सकती है.


बुधवार को जब राज्यसभा में गरीब सवर्णों को आरक्षण देने से जुड़े 124वें संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान देश के कानून मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने जिन ''छक्कों'' के संकेत दिए उसने पहले से चल रहे अटकलों के बाज़ार को और गर्म कर दिया है. चर्चा है कि मोदी सरकार आने वाले दिनों में ताबड़तोड़ कुछ बड़े फैसले कर सकती है जिसका सीधा असर लोकसभा चुनाव पर भी पड़ना तय है.


किसान


एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक़ मोदी सरकार अगले चंद दिनों में देशभर के किसानों को राहत के तौर पर एक बड़े पैकेज का एलान कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक़ पैकेज का पूरा मसौदा तैयार कर लिया गया है और जल्द ही कैबिनेट से मंज़ूरी के बाद इसका एलान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं.


जानकारी के अनुसार मसौदे में तेलंगाना और उड़ीसा में चलाए जा रहे योजनाओं को मिलाकर एक योजना तैयार की गई है. तेलंगाना में हर बुवाई सीज़न के पहले जहां किसानों को प्रति एकड़ 4000 रुपये सब्सिडी के तौर पर सीधे उनके आते में दिया जाता है, वहीं ओडीसा में ये रकम 5000 रुपये प्रति एकड़ है. साल में खरीफ (अप्रैल-मई) और रबी (अक्टूबर-नवंबर) बुवाई सीजन के पहले पैसा खाते में भेजा जाता है.


किसानों को ये पैसा बुआई के पहले होने वाले खर्चे का भार वहन करने के लिए दिया जाता है ताकि वो बीज और फर्टिलाइजर समेत बाकी सामान खरीद सकें. हालांकि इसे लागू करने में सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या आएगी. आधे से ज़्यादा राज्यों में जमीन कम्पयुटरीकृत नहीं है. ऐसे में लाभार्थियों की पहचान मुश्किल होगी.


वहीं, सरकार ये भी सुनिश्चित करने की योजना बना रही है कि फसल कटने के बाद उसे बेचने पर किसानों को कम से कम सरकारी दाम तो जरूर मिले. इसके लिए मध्यप्रदेश में चलाई जा रही भावंतर भुगतान योजना के तहत किसानों को मदद किए जाने का भी प्रस्ताव है. इन दोनों स्कीमों को लागू करने के लिए सरकार को करीब 1.7 लाख करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी.


करदाता वर्ग


मोदी सरकार देश के करदाता वर्ग को भी राहत देने की तैयारी कर रही है. 1 फरवरी को संसद में मोदी सरकार अपना आख़िरी बजट पेश करेगी. चुनावी साल होने के कारण सरकार अंतरिम बजट ही पेश करेगी लेकिन उसमें मध्यम वर्ग के करदाताओं को राहत मिलने की संभावना है. कयास लग रहे हैं कि वित्त मंत्री अरुण जेटली चार लाख रुपये तक की आमदनी को इनकम टैक्स से छूट दे सकते हैं.


इसके अलावा जीएसटी काउंसिल की बैठक में अर्धनिर्मित घरों पर जीएसटी 12 फ़ीसदी से घटाकर पांच फीसदी करने का प्रस्ताव है. साथ ही, प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि विलासिता की कुछ वस्तुओं को छोड़कर सभी चीजों पर अधिकतम 18 फीसदी जीएसटी ही लगेगा. ज़ाहिर है सरकार के इस कदम से चीजों के दाम में कमी आएगी.


परंपरागत वोटर यानि व्यापारी वर्ग


केंद्र सरकार की नजर अपने परंपरागत वोटर यानि व्यापारी वर्ग पर भी है. गुरुवार को हुई जीएसटी काउंसिल की 32वीं बैठक में उन व्यापारियों को जीएसटी भरने से छूट देने का फ़ैसला लिया गया है जिनका सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपये या उससे कम है. पहले इस छूट की सीमा 20 लाख रुपये तक थी. इसी तरह सभी छोटे व्यापारियों को अब हर महीने टैक्स रिटर्न भरने के झंझट से भी मुक्ति दे दी गई है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में व्यापारियों के लिए कई और राहत का एलान किया जाएगा.


उज्जवला योजना


ग़रीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन देने की योजना, ''उज्जवला योजना'' को मोदी सरकार अपनी एक बड़ी उपलब्धि मानती है. राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि इस योजना ने बीजेपी को उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में सियासी फ़ायदा पहुंचाया है. लेकिन एक शिकायत अक्सर मिलती रही है कि योजना के तहत पहला सिलिंडर लेने के बाद ग़रीबों के लिए अपने पैसों से अगला भरा हुआ सिलिंडर लेना मुश्किल होता है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ जहां सामान्य लोग साल में 7 सिलिंडर का इस्तेमाल करते हैं वहीं उज्जवला के लाभार्थी केवल 3.8 सिलिंडर प्रति साल ही इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में सरकार इन लाभार्थियों के लिए साल में 2 या 3 सिलिंडर मुफ्त देने का भी एलान कर सकती है. अभी हाल ही में सरकार ने छह करोड़ लोगों को उज्जवला के तहत गैस कनेक्शन देने में कामयाबी हासिल की है. अगर सिलिंडर मुफ्त देने का एलान होता है तो इसका फायदा सीधे बीजेपी को ही मिलेगा.


मज़दूर वर्ग


इसके अलावा मोदी सरकार मज़दूर वर्ग के लिए देश का पहला लेबर कोड बिल तैयार कर रही है. इस बिल में देश भर के असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे सभी मज़दूरों और मेहनतकशों को एक तय रक़म देने के अलावा पीएफ और इएसआई की सुविधा देने का प्रावधान है.