नई दिल्लीः अब तक आंदोलनरत किसानों पर संभल-संभलकर बात करने वाले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के तेवर अब धीरे-धीरे कड़े होते दिख रहे हैं. किसान संगठनों के साथ 12 दौर की वार्ता कर चुके तोमर ने कृषि कानूनों के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन पर सवाल खड़े किए हैं. दिल्ली में गुरुवार को कृषि विज्ञान मेला 2021 के उद्घाटन भाषण में तोमर ने कृषि कानूनों को लेकर एक बार फिर सरकार की स्थिति साफ कर दी. कानूनों का खुलकर बचाव करते हुए तोमर ने कहा कि लोकतंत्र में कोई भी सरकार किसानों के खिलाफ कानून बनाने का साहस नहीं कर सकती. लेकिन उन्होंने दावा किया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने जो कानून बनाया है वो किसानों को अपनी फसल मनचाही कीमत पर पूरे देश में कहीं भी बेचने की आजादी देता है.


तोमर ने मेले में मौजूद किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज किसान को अपनी फसल मंडी में बेचने के लिए बाध्य होना पड़ता है और नीलामी में जो बोली लग जाती है उसी में बेचकर जाना पड़ता है. इसके अलावा मंडी का टैक्स भी चुकाना पड़ता है. कृषि मंत्री ने किसानों से पूछा कि अब किसान मंडी में जाए या नहीं, इतनी स्वतंत्रता देने में किसी को क्या दिक्कत हो सकती है? तोमर ने कहा, " मंडी में जाओगे तो टैक्स लगेगा लेकिन हमारा कानून कहता है कि मंडी के बाहर अपने घर से या कहीं से भी बेचोगे, तो ना केंद्र सरकार का टैक्स लगेगा और न राज्य सरकार का टैक्स लगेगा. आप की फसल की खरीद और बिक्री पर टैक्स को समाप्त करने वाली सरकार अच्छी है या टैक्स लगाने वाली सरकार? "


क्या आंदोलन जायज है? 


तोमर ने कहा कि किसान संगठन उन राज्य सरकारों के खिलाफ आंदोलन नहीं कर रहे हैं जो टैक्स लगाते हैं. उन्होंने कहा," आंदोलनकारी भाई भी उस सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं जिन्होंने टैक्स माफ कर दिया. क्या यह आंदोलन जायज और न्यायोचित है?


कुछ लोगों का काम है दिन रात मोदी को कोसना 


कृषि मंत्री ने कानून के विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा, "हमारे देश में लोकतंत्र है. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है और कुछ लोग तो देश में ऐसे हैं जब सुबह उनकी नींद खुलती है तभी से वह मोदी जी को कोसने का रात को सोने तक संकल्प ले लेते हैं. बस अंतर इतना ही है कभी चेहरा किसी का होता है कभी चेहरा किसी का होता है. लेकिन मोदी जी देश को आगे बढ़ा रहे हैं तो बहुत सारे लोगों को रास नहीं आ रहा है."


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