नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि पराली जलाने की घटनाओं में पिछले साल की तुलना में इस बार 12 फीसदी की कमी आयी है. बता दें कि उत्तर भारतीय राज्यों में प्रदूषण की समस्या के बढ़ने से लोग परेशान हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की एक बड़ी वजह इससे सटे राज्यों में पराली जलाने को माना जा रहा है. दिल्ली से सटे पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों से पराली नहीं जलाने की बार-बार अपील की जा रही है.
आईसीएआर की क्रीम प्रयोगशाला के 4 नवंबर को जारी बुलेटिन के अनुसार इस साल 3 राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में अभी तक 12.1 फ़ीसदी की कमी देखी गई है. पिछले वर्ष अवधि में 33770 पराली जलाने की घटनाएं हुई थी, जो इस साल घटकर 31402 हो गई हैं. पंजाब में पिछले साल इसी अवधि में पराली जलाने की 27584 घटनाएं हुई थी जो इस वर्ष घटकर 25366 रह गई हैं यानी यहां 8.7 फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई है.
हरियाणा में पिछले साल 5000 पराली जलाने की घटनाएं हुई थी, जो इस साल घटकर 4414 रह गई है यानी 11.7 फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई है. उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष 3133 पराली जलाने की घटनाएं हुई थी जो इस साल घटकर 1622 रह गई हैं यानी 48.2 फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई है. पराली जलाने की घटनाओं में सबसे ज़्यादा कमी यूपी में ही दर्ज की गई है.
2017 में बनी थी कमिटी
कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने साल 2017 में दिल्ली से सटे राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं के कारण दिल्ली एनसीआर में होने वाले प्रदूषण का संज्ञान लेते हुए सचिव कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय तकनीकी समिति का गठन किया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट में पराली जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण हेतु पराली को मशीनों द्वारा प्रसंस्करण किए जाने की अनुशंसा की थी. समिति की अनुशंसा के बाद कृषि और कल्याण मंत्रालय द्वारा एक योजना तैयार की गई जिसकी घोषणा बजट 2018- 19 में की गई थी.
किसानों को दी गई मशीन
योजना के अनुसार पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकारों के प्रदूषण कम करने के प्रयासों को समर्थन देने के लिए पराली प्रसंस्करण में इस्तेमाल होने वाली लगभग 8 प्रकार की मशीनों पर इन राज्यों के किसानों को 50 फ़ीसदी मूल्य आधारित वित्तीय सहायता या डीबीटी के माध्यम से किसानों के समूहों को 80 फ़ीसदी मूल्य आधारित वित्तीय अनुदान देने का प्रावधान किया गया. इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित संबंधी काम राज्य सरकारों के माध्यम से किया गया. इन योजनाओं का लाभ सभी किसानों के लिए है.
इस स्कीम के अंतर्गत 2019 में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों और आईसीएआर के लिए 584.33 करोड़ रुपए जारी किए गए जिसके द्वारा 56290 मशीनों की खरीद पर वित्तीय मदद प्रदान की गई. इसके तहत 32570 मशीनें सीधे किसानों को और 23720 मशीनें किसानों के समूह को प्रदान की गई.
ताजा जानकारी के मुताबिक साल 2019-20 यानी इस वर्ष पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली एनसीआर रीजन में अभी तक इन मशीनों के लिए तकरीबन 595 करोड रुपए दिए जा चुके हैं जिससे 29488 मशीनों की खरीद पर वित्तीय सहायता प्रदान की गई है. इनमें से 10379 मशीनें किसान किसानों को तथा 19109 मशीनें किसान समूह को दी गई हैं.
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