कृषि मंत्री बोले- मनमोहन और पवार UPA सरकार के दौरान लाना चाहते थे कृषि कानून, लेकिन दवाब में नहीं लिया स्टैंड
तोमर ने कहा- हम सौभाग्यशाली है कि आज मोदी जी हमारे प्रधानमंत्री हैं जो देश के विकास और लोगों के कल्याण के लिए नि: स्वार्थ भावना के साथ काम कर रहे हैं.
केन्द्र सरकार की तरफ से तीन नए कृषि कानूनों पर पिछले करीब एक महीने से हजारों की तादाद में किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आसपास आकर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान संगठन तीनों नए कृषि कानूनों की वापसी की अपनी जिद पर अड़े हुए हैं. इस बीच केन्द्र सरकार ने बुधवार यानी 30 दिसंबर को किसान संगठनों को बातचीत के लिए दिल्ली के विज्ञान भवन में बुलाया है.
दबाव में पवार-मनमोहन ले पाए स्टैंड
इधर, केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने नए कृषि कानूनों का विरोध करने को लेकर विपक्ष को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा- यूपीए सरकार के दौरान मनमोहन सिंह और शरद पवार कृषि कानून लाना चाहते थे, लेकिन दबाव और प्रभाव के चलते उस पर स्टैंड नहीं ले पाए.
तोमर ने कहा- हम सौभाग्यशाली है कि आज मोदी जी हमारे प्रधानमंत्री हैं जो देश के विकास और लोगों के कल्याण के लिए नि: स्वार्थ भावना के साथ काम कर रहे हैं.
कृषि मंत्री ने कहा- मुझे पूरा विश्वास है कि आपकी मदद, सकारात्मक रुख और समझ से इन कानूनों को लागू किया जाएगा और हम किसानों को इसके बारे में समझाने में कामयाब होंगे. एक नया रास्ता का निर्माण होगा और भारत का कृषि संपन्न होगा.
I am confident that with your support, positive attitude, and understanding these laws will be implemented & we will succeed in explaining to the farmers. A new path will be created & India's agriculture will prosper: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar #FarmLaws https://t.co/StRxTNR5G2 pic.twitter.com/nu3HGNnqBA
— ANI (@ANI) December 28, 2020
30 दिसंबर को अगले दौर की वार्ता
गौरतलब है कि इससे पहले केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने भी यह कहा था कि अगले दौर की किसानों के साथ सरकार की वार्ता में समाधान निकल आएगा. ऐसे में सरकार के तरफ से किसानों को 30 दिसंबर को बुलावा को गतिरोध को खत्म करने कि दिशा में अहम कदम माना जा रहा है.
इससे पहले, किसान संगठनों के साथ पांच दौर की वार्ता का कोई भी नतीजा नहीं निकल पाया. सरकार कृषि कानूनों के संशोधन पर राजी थी और इसके लेकर किसान संगठनों के पास प्रस्ताव भी भेजा गया था. लेकिन, किसानों ने उन प्रस्तावों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी मांग है कि सरकार तीनों कानूनों को वापस ले. ऐसे में अब सभी की नजर बुधार को होने वाली किसान और सरकार के बीच की बैठक पर टिक गई है.
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