नई दिल्ली: ना ना करते अब हां हो गई है. समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल के भाई बीजेपी में शामिल होंगे. उमेश अग्रवाल हरदोई से नगरपालिका अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ सकते हैं. वे पहले भी दो बार अध्यक्ष रह चुके हैं.


हरदोई के बीजेपी विधायक और लोकल नेता विरोध करते रह गए. लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) रामलाल से उमेश की रिश्तेदारी काम आ गई. रामलाल के भाई चंद्रभानु गुप्ता के वे समधी लगते हैं. भारी विरोध बावजूद उमेश को पार्टी ‘अपना’ बनाने को तैयार है. आज लखनऊ में बीजेपी नेताओं की बैठक है. संकेत मिल रहे हैं कि आज ही उमेश पार्टी में शामिल कर लिए जायेंगे.


बीजेपी ही नहीं समाजवादी पार्टी के लोग भी हैरान परेशान हैं. लोग जानना चाहते हैं इसमें नरेश अग्रवाल का क्या रोल है ? क्योंकि बिना उनकी कृपा के परिवार में पत्ता तक नहीं हिलता है तो फिर छोटे भाई समाजवादी पार्टी छोड़ कर बीजेपी में कैसे जा रहे हैं ?


क्या नरेश ने भी अखिलेश यादव का साथ छोड़ने की तैयारी कर ली है ? इस सवाल के जवाब के लिए नरेश से तो बात नहीं हो पाई. लेकिन उनके भाई उमेश ने बताया कि भैया का हमेशा मार्गदर्शन मिलता रहता है, अब वे आगे क्या करेंगे वे ही बतायेंगे.


नरेश अग्रवाल को लोग यूपी का रामविलास पासवान भी कहते हैं. जिधर सत्ता होती है, वे उसके साथ हो जाते हैं. वे राजनाथ सिंह की सरकार में बिजली मंत्री रहे. मायावती के राज में वे बीएसपी में चले गए थे. बाद में वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए.


बेटे नितिन अग्रवाल को अखिलेश सरकार में मंत्री बनवाया. कभी शिवपाल यादव के करीबी रहे नरेश अब समाजवादी पार्टी में रामगोपाल यादव के खासमखास हैं. वे राज्य सभा में सांसद हैं और पार्टी के महासचिव भी. लेकिन क्या भाई के बाद बीजेपी में वे भी शामिल हो सकते हैं? ये जवाब जानने के लिए बीजेपी और समाजवादी पार्टी के नेता-कार्यकर्ता बेचैन हैं.