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मून मिशन पर NASA ने कहा- 60 सालों में आधे मिशन ही सफल, यहां जानिए इन मिशनों की पूरी कहानी

देश के चंद्रयान 2 मिशन का लैंडर विक्रम जब चांद से सिर्फ 2.1 किमी दूर था तब उसका संपर्क इसरो से टूट गया. इस बात का वैज्ञानिक पता लगा रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों हुआ और इसके पीछे की वजहें क्या हैं. इसी बीच नासा ने एक बयान जारी कर कहा है कि पिछले 60 सालों में चांद पर लैंडिंग से जुड़े आधे मिशन ही सफल रहे हैं.

नई दिल्ली: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चांद पर विभिन्न अंतरिक्ष एजेंसी के द्वारा लैंडिंग करने से संबंधित एक महत्वपूर्ण तथ्य सामने लाया है. नासा का कहना है कि चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग (उतरने) से संबंधित केवल आधे मून मिशनों को ही पिछले 60 सालों में सफलता मिली है. एजेंसी के मुताबिक 1958 से कुल 109 चंद्रमा मिशन संचालित किए गए, जिसमें 61 सफल रहे. करीब 46 मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरने से जुड़े हुए थे जिनमें रोवर की ‘लैंडिंग’ और ‘सैंपल रिटर्न’ भी शामिल थे. इनमें से 21 सफल रहे जबकि दो को आंशिक रूप से सफलता मिली.

इजराइल का चांद मिशन फरवरी 2018 में असफल हो गया  

बता दें कि सैंपल रिटर्न उन मिशनों को कहा जाता है जिनमें नमूनों को एकत्रित करना और धरती पर वापस भेजना शामिल है. पहला सफल सैंपल रिटर्न मिशन अमेरिका का ‘अपोलो 12’ था जो नवंबर 1969 में शुरू किया गया था. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो सका. लैंडर का अंतिम क्षणों में जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया. इसरो के अधिकारियों के मुताबिक चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पूरी तरह सुरक्षित और सही है. इस साल इजराइल ने भी फरवरी 2018 में चंद्र मिशन शुरू किया था, लेकिन यह अप्रैल में नष्ट हो गया. भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 मिशन शुरू किया था जिसमें एक ‘ऑर्बिटर’ और एक ‘इंपैक्टर’ शामिल था. इस मिशन की एक उपलब्धि चंद्रमा पर पानी के कणों की खोज थी.

मून मिशन में सबसे पहले सोवियत रूस को मिली सफलता 

पहले चंद्र अभियान की योजना अमेरिका ने 17 अगस्त, 1958 में बनाई, लेकिन पाइनियर 0 का लॉन्च असफल रहा. पहला सफल चंद्र अभियान चार जनवरी 1959 को शुरू किया गया सोवियत रूस का लूना 1 था. यह स‍फलता छठे चंद्र मिशन में मिली. साल 1958 से 1979 तक केवल अमेरिका और यूएसएसआर ने ही मून मिशन शुरू किए. इन 21 सालों में दोनों देशों ने 90 अभियान शुरू किए. इसके बाद जपान, यूरोपीय संघ, चीन, भारत और इजराइल ने भी इस क्षेत्र में कदम रखा. इन देशों ने विभिन्न चंद्रमा मिशन- ऑर्बिटर, लैंडर और फ्लाईबाय (चंद्रमा की कक्षा में रहना, चंद्रमा की सतह पर उतरना और चंद्रमा के पास से गुजरना) जैसे मिशन शुरू किए.

चांद की सतह से पहली तस्वीर 1966 में ली गई

एक साल से थोड़े अधिक समय के भीतर अगस्त 1958 से नवंबर 1959 के दौरान अमेरिका और सोवियत रूस ने 14 अभियान शुरू किए. इनमें से सिर्फ 3 (लूना 1, लूना 2 और लूना 3) सफल हुए. ये सभी यूएसएसआर ने शुरू किए थे. इसके बाद जुलाई 1964 में अमेरिका ने रेंजर 7 मिशन शुरू किया, जिसने पहली बार चंद्रमा की नजदीक से फोटो ली. रूस द्वारा जनवरी 1966 में शुरू किए गए लूना 9 मिशन ने पहली बार चंद्रमा की सतह को छुआ और इसके साथ ही पहली बार चंद्रमा की सतह से तस्वीर मिलीं. पांच महीने बाद मई 1966 में अमेरिका ने सफलतापूर्वक ऐसे ही एक मिशन सर्वेयर-1 को अंजाम दिया.

अपोलो 11 अभियान एक ऐतिहासिक मिशन था जिसके जरिए 1969 में इंसान के पहले कदम चांद पर पड़े. तीन सदस्यों वाले इस अभियान दल की अगुवाई नील आर्मस्ट्रांग ने की. जापान ने जनवरी 1990 में ऑर्बिटर मिशन हिटेन शुरू किया. यह जापान का पहला चंद्रमा मिशन भी था. इसके बाद जापान ने सितंबर 2007 में एक और ऑर्बिटर मिशन ‘सेलेन’ शुरू किया.

2000 से लेकर 2009 तक छह मून मिशन शुरू किए गए. इनमें यूरोप का स्मार्ट-1, जापान का सेलेन, चीन का चेंज’ई 1, भारत का चंद्रयान-1 और अमेरिका का लूनर रिकॉनेंसा ऑर्बिटर और एलसीसीआरओएसएस शामिल है. 2000 से 2019 तक 10 मिशन शुरू किए गए जिनमें से चीन ने 5, अमेरिका ने 3 और एक-एक भारत और इजराइल ने भेजे. 1990 से अमेरिका, जापान, भारत,यूरोपीय संघ, चीन और इजराइल ने 19 चंद्रमा मिशन शुरू किए.

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