नई दिल्ली: देश में डर के माहौल पर बयान देने के बाद नसीरूद्दीन शाह की किताब चुपके चुपके का अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल में विमोचन हो गया. वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए नसीर ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि इस मुल्क से मुझे कोई नहीं निकाल सकता. नसीरुद्दीन ने कहा कि मुझे यहां से कोई नही निकाल सकता. यह मेरा मुल्क है और मेरा शरीर इसी मुल्क की मिट्टी में दफन होगा. उन्होंने कहा कि यह मेरा मुल्क है और यदि यहां कुछ गलत हो रहा है तो उसके लिए बोलना मेरा फर्ज है. मेरी पांच पुश्ते इसी मुल्क की मिट्टी में दफन में हुई है और में और मेरी औलाद भी मरते दम तक यही रहेंगे.


ओवैसी ने इमरान खान को दिखाया आईना, कहा- अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर भारत से सीखे पाकिस्तान

शाह की बचपन की जिंदगी के पंद्रह साल अजमेर में ही बीते है और यही की गलियों में घूमने फिरने के दौरान उन्होंने स्कूल के थियेटर में अपना पहला अभिनय किया था. उनके द्वारा लिखी गई किताब में भी अजमेर के बारे में बहुत ही यादें बयान की गई है. यही वजह थी कि शाह अपनी किताब का विमोचन करने के लिए ही इस कार्यक्रममे शामिल होने अजमेर आये थे.


बुलंदशहर हिंसा पर नसीर ने कहा था कि उन्हें मौजूदा माहौल पर गुस्सा आता है उन्हें अपने बच्चों के लिए डर लगता है. इस बयान पर खूब हंगामा हो रहा है. इसके चलते अजमेर में लिटरेचर फेस्टिवल के बाहर भी प्रदर्शनकारियों ने हंगामा किया.


नसीर के बयान पर इमरान खान ने अलापा 'अल्पसंख्यक हितैषी राग'
अपने मुल्क में अशिक्षा, आतंकवाद और स्वास्थ्य जैसी जरूरतों पर ध्यान देने के बजाए पाकिस्तान के नेता दूसरे मुल्कों में चल रही गतिविधियों पर ध्यान ज्यादा देते हैं, नसीरुद्दीन के डर वाले के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि हम मोदी सरकार को दिखाएंगे कि अल्पसंख्यकों के साथ कैसे व्यवहार करते हैं. जिससे अल्पसंख्यक सुरक्षित, संरक्षित महसूस करें और उन्हें 'नए पाकिस्तान' में समान अधिकार हों.


नसीरुद्दीन का इमरान खान को जवाब
इमरान खान के बयान पर नसीरुद्दीन शाह ने करारा हमला बोला था. उन्होंने पाकिस्तानी पीएम को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा, ''मुझे लगता है कि इमरान खान को उन मुद्दों पर टिप्पणी करने कs (जिनका उनसे लेना-देना नहीं है) बजाय अपने देश के बारे में सोचना चाहिए. हमारे देश में 70 साल से लोकतंत्र बना हुआ है और हम जानते हैं कि हमें अपनी देखभाल कैसे करनी है.''