नई दिल्ली: राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विजेता 12 साल की जेन गुनरतन सदावरते ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी है. अपनी चिट्टी में उन्होंने बच्चों के प्रदर्शन में हिस्सा लेने पर रोक लगाने की मांग की है.


सुप्रीम कोर्ट से क्या लगाई गई गुहार?


पिछले दिनों शाहीन बाग धरनास्थल से लौटे दंपति के एक मासूम की मौत का मामला सामने आया था. जिसके बाद जेन गुनरतन सदावरते ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े से गुहार लगाई है कि अधिकारियों को प्रदर्शन में मासूम बच्चों के शामिल होने को रोकने का आदेश दें. बच्चों और मासूमों को धरना प्रदर्शन में लेकर जाना उनके साथ यातना और क्रूरता है.


शाहीन बाग में नागरिकता कानून के खिलाफ 50 दिनों से ज्यादा प्रदर्शन चल रहा है. यहां प्रदर्शनकारी बच्चों और मासूमों के साथ धरना देने आ रहे हैं. पिछले दिनों ठंड के कारण चार महीने के मासूम की मौत हो गई थी. उसके माता-पिता प्रदर्शन में उसके साथ हिस्सा लेने साथ गये थे. वापसी पर ठंड के कारण मासूम की मौत हो गयी.


मासूम की मां नाजिया का कहना था कि 9 जनवरी की रात शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन से लौटकर बच्चे को सुलाया. सुबह उठने के बाद देखा कि बच्चा कुछ हरकत नहीं कर रहा है. जब उसको पास के ही अल शिफा अस्पताल में लेकर गए तो डॉक्टर ने बताया कि 4 से 5 घंटे पहले ही बच्चे की मौत हो चुकी है. जेन ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि मासूम की मौत उसके साथ किये गये अत्याचार के कारण हुई. इसलिए कि उसके माता-पिता शाहीन बाग प्रदर्शन में हिस्सा लेने उसको लेकर गये थे.


जेन ने मुख्य न्यायाधीश से अपनी मांग के समर्थन में संविधान की धारा 21 का हवाला दिया है. उनका कहना है कि जीवन का अधिकार सभी को है चाहे बच्चा हो बूढ़ा. ऐसे में मासूम की ठंड और भीड़ के कारण मौत उसके जीवन के अधिकार पर हमला है. उन्होंने कहा कि मासूम के माता-पिता और शाहीन बाग प्रदर्शन के आयोजक बच्चे के अधिकार की हिफाजत करने में नाकाम रहे. पुलिस का धरना में बच्चों के शामिल होने से रोकने में नाकाम रहना बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है.


कौन हैं जेन गुनरतन सदावरते ?


जेन गुनरतन सदावरते इस साल राष्ट्रपति के हाथों वीरता पुरस्कार प्राप्त करनेवाली 12 वर्षीय बालिका हैं. जेन को ये पुरस्कार 2018 में मुंबई में हुई क्रिस्टल टॉवर अग्निकांड में अनुकरणीय साहस के सम्मान में दिया गया. अग्निकांड में उन्होंने 17 जिंदगियों को बचाकर बहादुरी की मिसाल कायम की थी.