राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार को लेकर विवाद, जानिए क्या है पूरा मामला
इस साल के राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार को लेकर विवाद पैदा हो गया है. पिछले 62 सालों से इस वीरता पुरस्कार को आयोजन करने वाली संस्था, आईसीसीडब्लू से रक्षा मंत्रालय ने अपने आप को अलग कर लिया है.
नई दिल्ली: इस साल के राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार को लेकर विवाद पैदा हो गया है. पिछले 62 सालों से इस वीरता पुरस्कार को आयोजन करने वाली संस्था, आईसीसीडब्लू से रक्षा मंत्रालय ने अपने आप को अलग कर लिया है. इस साल महिला एवमं बाल कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार में वीरता कैटेगरी को बढ़ाकर तीन बच्चों को अलग से सम्मानित करने का फैसला किया है. अब मंत्रालय के इस पुरस्कार का नाम बदलकर प्रधानमंत्री नेशनल चिल्ड्रन अवार्ड कर दिया है.
लेकिन इंडियन काउंसेल फॉर चायल्ड वेलफेयर(यानि आईसीसीडब्लू) नाम की एनजीओ ने आज अपनी सालाना प्रेस कांफ्रेस का आयोजन कर 21 बहादुर बच्चों के नाम की घोषणा कर दी. हर साल ये प्रेस कांफ्रेस आईसीसीजडब्लू रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर करता था. लेकिन इस बार रक्षा मंत्रालय ने अपने को इस प्रेस कांफ्रेस से किनारा कर लिया है. इसके पीछे महिला एवमं बाल कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किया गया ये बयान है जिसमे मंत्रालय ने ये कहते हुए एनजीओ से अलग कर दिया है कि एनजीओ के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में वित्तीय गड़बड़ी का मामला सामने आया है. हालांकि आईसीसीडब्लू की अध्यक्षा ने एबीपी न्यूज से बातचीत में किसी भी तरह की अनियिमत्ता से इंकार किया है. लेकिन ये बात पक्की है कि इस बार एनजीओ द्वारा जारी किए गए बहादुर पुरस्कार पाने वाले बच्चे गणतंत्र दिवस की परे़ड का हिस्सा नहीं बन पाएंगे.
आईसीसीडब्लू द्वारा जारी किए गए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार में इस बार 21 बच्चों को चुना गया है. इसमें सबसे बड़ा भारत-अवार्ड सुंजवान मिलिट्री कैंप में हुए आतंकी हमले में आतंकियों से लोहा लेने वाले दो बच्चोंराष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार को लेकर विवाद पैदा हो को ये अवार्ड दिया गया है. जबकि गीता चोपड़ा अवार्ड दिल्ली के नितिशा नेगी को मरणोपरांत दिया गया है जिसने आस्ट्रेलिया में अपनी सहेली को समंदर में डूबने से बचते हुए अपनी जान दे दी थी. संजय चोपड़ा अवार्ड साढ़े छह साल जयराज को दिया गया है जिसने तेंदुए से अपने साथी की जान बचाई थी. बापू गायधानी अवार्ड राजस्थान की अनिका और मेघालय की कैमेलिया को दिया गया है.
भारत अवार्ड
1-गुरूगु हिमाप्रिया, जम्मू, उम्र 8 साल 7 महीने
10 फरवरी 2018 को जम्मू के सुंजवान मिलिट्री कैंप पर हुए आंतकी हमले में आतंकियों ने परिसर मे रह रहे सैनिकों के परिवारों का निशाना बनाने की कोशिश की थी. इसी दौरान एक आतंकी हिमाप्रिया के घर में घुस गया. हिमाप्रिया के पिता सेना में हवलदार हैं. लेकिन हिमाप्रिया ने आंतकी का मुकाबला किया और घर में घुसने नहीं दिया. हिमाप्रिया का विरोध देखकर आतंकी ने घर में ग्रेनेड फेंक दिया जिससे वो घायल हो गई. ग्रेनेड अटैक में उसकी मां भी घायल हो गई. लेकिन घायल होने के बावजूद हिमाप्रिया आतंकी का रास्ता रोककर खड़ी होगई और आंतकी से जिरह करने लगी. आतंकी द्वारा बंधक बनाए जाने के बावजूद वो आतंकी से लगातार 3-4 घंटे बातचीत करती रही और आतंकी को अपनी मां को अस्पताल ले जाने के लिए तैयार कर लिया. घर से बाहर निकलने के बाद भी उसने सैनिकों को अपनी जान बचाने के लिए नहीं बुलाया और सैनिकों को इशारे से दूर रहने के लिए कहा जिससे उनकी जान खतरें में ना पड़ जाए.
आतंकवादी का सामना करने के उसके सहज प्रयास और अनुकरणीय साहस ने उसके परिवार का ही जीवन नहीं बचाया बल्कि कई जीवन नष्ट होने से बचाया. बहादुर लड़की का कहना है कि उसकी तमन्ना थी कि वो प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मुलाकात करे.
2. सौम्यादीप जाना, 13 साल 7 महीने
जम्मू के सुंजवान सैन्य छावनी में हुए हमले में आंतकियों से मुकाबला करते हुए उसके शरीर का बांया हिस्सा पेरालाइज हो गया जिसके कारण वो व्हीलचेयर पर आ गया. उसके देखने, सुनने और समझने की क्षमता पर असर पड़ा. लेकिन उसके असाधारण शौर्य ने दो लोगों की जान बचा ली. इसीलिए सौम्यादीप को भी वीरता के सबसे बड़े भारत अवार्ड से नवाजा गया है.
घटना के दिन सौम्यादीप अपने परिवार के साथ आवासीय परिसर में था. इसी दौरान आतंकियों ने उसके घर में घुसने की कोशिश की. शौरगुल सुनकर उसने अपनी मां और बहन को घर के अंदर भेज दिया और घर का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. आतंकियो ने जब घर में घुसने की कोशिश की तो उसने दरवाजे पर लोेहे का संदूक लगाकर अवरोध पैदा कर दिया. गुस्साएं आंतिकयो ने दरवाजे पर हैंड-ग्रैनेड फेंक कर और गोलियों की बौछार कर दरवाजा खुलवाना चाहा. लेकिन बम धमाके और गोलियों की आवाज सुनकर सैनिक वहां पहुंच गए और आतंकियों को आमने सामने की मुठभेड़ में मार गिराया. इस हमल में बुरी तरह घायल हुआ सौम्यादीप पूरे तीन महीने तक कोमा में रहा. अभी भी दिल्ली के आरएंडआर हॉस्पिटल मेX उसकी फिजियोथेरेपी होती है. पिता ने बात की है जो सेना में हवलदार हैं.
गीता चोपड़ा अवार्ड
नितिशा नेगी (मरणोपरांत), दिल्ली, उम्र 15 साल 9 महीने
फुटबॉल प्लेयर नितिशा अपने स्कूल की तरफ से ऑस्ट्रेलिया में पैसेफिक स्कूल गेम्स में हिस्सा लेने गई थी. 10 दिसम्बर 2017 को एडीलेड बीच पर वो अपने दोस्त के साथ गई हुई थी. उसी दौरान उसने देखा कि उसकी एक दोस्त समंदर में डूब रही है. ये देखकर वो समंदर में कूद गई और अपने दोस्त को बचा लिया. लेकिन एक तेज लहर की चपेट में वो आ गई और अपने प्रांण गंवा बैठी. नितिशा के माता-पिता पर उसपर बेहद नाज है. वे कहते हैं कि उन्हें पता था कि उनकी बेटी एक स्पोटर्सपर्सन है जो किसी की भी मदद कर सकती है. लेकिन इस मदद में उसकी खुद की जान चली जायेगी उन्हें जरा भी अंदेशा नहीं था.
संजय चोपड़़ा अवार्ड जयराज सिंह गोहिल-6 साल 5 महीने
23 सितबंर 2017 को जयराज अपने दोस्त के साथ खेल रहा था, तभी एक तेंदुए ने उसके दोस्त पर हमला कर दिया. हमला होता देख जयराज ने एक पत्थर उठाया और तेंदुए पर दे मारा. इसके बाद जयराज ने अपने हाथ में ले रखी टॉय-कार फेंक कर मार दी. क्योंकिं खिलौना गाड़ी में आवाज हो रही थी उसकी आवाज से चकित होकर तेंदुआ वहां से भाग खड़ा हुआ. जयराज हिंदी नहीं बोल पाता है. लेकिन उसके पिता के मुताबिक बड़ा होकर वो एक बड़ा अफसर बनना चाहता है. उसके पिता का कहना है कयोंकि प्रधानमंत्री मोदी उनके राज्य से हीं हैं इसलिए पीएम को इस साल के बहादुर बच्चों से मिलना चाहिए जैसाकि वे पहले करते थे.
बापू गायधानी अवार्ड़
1. अनिका जैमिनी, 8 साल 11 महीने, राजस्थान
19 अप्रैल 2018 को अनिका जयपुर स्थित अपने घर से दूध लेने के लिए दुकान गई थी. जब वहां से दूध लेकर लौट रही थी तो एक बाइक सवार बदमाश ने उसे अगवा कर लिया. लेकिन बाइक पर आगे बैठाकर जब वो अनिका को लेकर भाग रहा था तो अनिका ने बाइक बंद कर दी. बाइक बंद होते ही वो अपने घर की और दौड़ पड़ी. बदमाश ने कुछ दूरी तक उसका पीछा किया लेकिन तभी पड़ोसियों ने देख लिया और बदमाश को धर दबोचा. अनिका के माता-पिता को अफसोस है कि उनकी बच्ची इस साल गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा नहीं होगी.2. कैमिलिया, 12 साल 9 महीने, मेघालय
6 जुलाई 2017 को कैमिलिया के पड़ोस वाले घर में आग लग गई. घटना के दौरान वो अपने घर में अपने एक 17 साल के मानसिक रूप से विक्षिप्त भाई के साथ घऱ में थी. आग पड़ोस वाले घर से उसके घर तक पहुंच गई थी. लेकिन उसका भाई बाहर निकलने में असमर्थ था. ऐसे में कैमिलिया ने ना केवल अपने आप को बल्कि अपने बड़े भाई को भी सुरक्षित वहां से बाहर निकाल लिया. उसके इस अप्रतिम साहस के लिए बापू गायधानी अवार्ड से नवाजा गया है. कैमिलिया बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती है.
सामान्य वीरता पुरस्कार
1. मुस्कान और सीमा-हिमाचल प्रदेश के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली मुस्कान और सीमा ने एक मनचले की जमकर पिटाई की और इस दौरान मनचले ने मुस्कान को ढलान से नीचे फैंक दिया था लेकिन मुस्कान, सीमा और बाकी छात्राओं ने उस मनचले को पकड़़कर पुलिस के हवाले कर दिया.
2. रितिक और झगेन्द्र साहू- 29 जुलाई 2017 को रितिक और झगेन्द्र अपने साथियों के साथ नहाने के लिए खारून नदी गए थे. नहाते हुए उनके दो दोस्तों का पैर फिसल गया. लेकिन रितिक और झगेन्द्र ने एक दोस्त को तो बचा लिया लेकिन दूसरे दोस्त को नहीं बचा सके. बाद में पुलिस और स्थानीय लोगों की मदद से दूसरे दोस्त का शव नदीं से बाहर निकाल लिया गया.
3. कुंवर दिव्यांश सिंह, 12 साल 6 महीने, यूपी
31 जनवरी 2018 को दिव्यांश अपनी छोटी बहन समृद्धि के साथ स्कूल से लौट रहा था. तभी एक मरखने बैल ने उसकी बहन पर हमला कर दिया. लेकिन दिव्यांश घवराया नहीं और अपने बैग से बैल पर हमला कर दिया. इस दौरान बैल ने दिव्यांश पर भी हमला कर दिया जिससे वो घायल हो गया.
4. मंदीप कुमार पाठक, 13 साल 3 महीने--दिल्ली
19 अक्टूबर 2017 को दिवाली के दौरान मंदीप ने देखा कि एक शख्स ने रास्ते में पटाखा जलाया है और उसे छोड़कर चला गया. इसी दौरान एक छोटी बच्ची ने उस जलते हुए बम को उठाने की कोशिश की. लेकिन जैसे ही मंदीप ने देखा तो उसने वो पटाखा बच्ची के हाथ से छीन लिया. लेकिन इसे कोशिश में उसका हाथ जल गया जिसके प्लास्टिक सर्जरी करानी पड़ी.
5. श्रीकांत गंजीर, 9 साल 11 महीने
23 दिसम्बर 2017 को श्रीकांत ने तालाब में डूब रहे एक बच्चे की जान बचाई. हालांकि उसे तैरना नहीं आता था लेकिन इसके बावजूद उसने तालाब में छलांग लगा दी और बच्चे की जान बचा ली.
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