नई दिल्ली: दिल्ली सरकार दिल्ली में जल्द ही नई आबकारी नीति यानी एक्साइज पॉलिसी लाने जा रही है. दिल्ली सरकार का दावा है कि ये एक महत्वाकांक्षी एक्साइज पॉलिसी पूरे भारत में एक मॉडल के तौर पर जानी जाएगी और इसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा. शुक्रवार को दिल्ली कैबिनेट की बैठक में इस नई आबकारी नीति के लिए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता में एक मंत्री समूह के गठन को मंजूरी दी गई. दिल्ली सरकार को उम्मीद है कि नई आबकारी नीति से करदाताओं और व्यापार क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ेगी और लोगों को कारोबार करने में आसानी होगी. इसके साथ ही, दिल्ली सरकार के सरकारी राजस्व में भी बढ़ोत्तरी होगी.


दिल्ली कैबिनेट की बैठक में नई आबकारी नीति को पारदर्शी और प्रगतिशील बनाने का निर्देश दिया गया है. नीति निर्माण के लिए जिस मंत्री समूह का गठन किया गया है उसकी अध्यक्षता उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया करेंगे. स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन और कानून मंत्री कैलाश गहलोत इस मंत्री समूह के अन्य सदस्य बनाए गए हैं. यह मंत्री समूह, उत्पाद शुल्क प्रशासन की वर्तमान प्रणाली के सभी पहलुओं, विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और हितधारकों, आम जनता से मिले सुझावों, फीडबैक और टिप्पणियों की जांच करेगा और मंत्रिपरिषद को पारदर्शी तरीके से प्रगतिशील नई उत्पाद नीति का सुझाव देगा, जिससे आने वाले सप्ताहों में अंतिम नीतिगत निर्णय लेने की उम्मीद है.


दिल्ली सरकार का कहना है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में दिल्ली एक मॉडल राज्य है और इसी तर्ज पर दिल्ली सरकार देश के बाकी राज्यों के लिए दिल्ली आबकारी नीति को एक मॉडल नीति की तरह स्थापित करने की तैयारी में है. 2020 की अंतिम तिमाही में दिल्ली सरकार ने विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था, जिसके द्वारा दिये गये सुझाव थे:


- राज्य उत्पाद शुल्क राजस्व में वृद्धि
- शराब मूल्य निर्धारण तंत्र को सरल बनाना
- शराब के कारोबार में गड़बड़ी और ड्यूटी की चोरी की जांच करना
- शराब की आपूर्ति के लिए समान पहुंच सुनिश्चित करना
- राष्ट्रीय राजधानी के बदलते कद के अनुरूप शराब व्यापार की प्रकृति को बदलना


कैबिनेट द्वारा गठित मंत्री समूह दिल्ली में शराब पीने की उम्र कम करने और ड्राई डे की संख्या कम करने के सुझावों का भी आंकलन करेगी. दिल्ली सरकार ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के बाद हितधारकों और आम जनता से सुझाव आमंत्रित किए थे. सरकार को हितधारकों और आम जनता से 14,000 से अधिक सुझाव और फीडबैक मिले हैं.


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