India Block In Kashmir: लोकसभा चुनाव से पहले पूरे देश में जारी राजनीतिक सरगर्मी का असर जम्मू कश्मीर पर भी है. घाटी की सर्दी के बीच राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है. इसकी वजह है कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) कश्मीर में सीट बंटवारे को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के साथ गतिरोध को खत्म करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हस्तक्षेप की उम्मीद कर रही है.
 एनसी राज्य की तीन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. इधर पीडीपी को उम्मीद है कि गांधी परिवार के अब्दुल्ला परिवार के साथ घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध हैं, और राहुल कश्मीर में सभी तीन सीटों पर चुनाव लड़ने की नेशनल कॉन्फ्रेंस की जिद छोड़ने के लिए मना सकेंगे.


क्या है कांग्रेस की भूमिका?


सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने एनसी और पीडीपी नेताओं से अनुरोध किया है कि कोई भी कदम उठाने से पहले वे दिल्ली में राहुल के साथ बैठक का इंतजार करें. फिलहाल राहुल अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के अंतिम चरण में महाराष्ट्र में हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कश्मीर की सीटों - श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग - पर इस आधार पर दावा किया है कि उसने 2019 के लोकसभा चुनावों में तीनों सीटें जीती थीं. 


बीजेपी भी है मजबूत‌ स्थिति में


 अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू में बीजेपी पहले से ही मजबूत स्थिति में है - पार्टी ने 2019 में भी प्रांत की दोनों सीटें जीती थीं - कांग्रेस को डर है कि अगर एनसी-पीडीपी गठबंधन नहीं होता है तो बीजेपी कश्मीर में अनंतनाग भी छीन लेगी. इसलिए‌ चिंता बढ़ रही है.


इन वजहों से बीजेपी को है उम्मीद


जिस मुद्दे ने अनंतनाग में बीजेपी की संभावनाओं को बढ़ाया है, वह 2022 के परिसीमन के बाद निर्वाचन क्षेत्र का पुनर्गठन है, जिसमें जम्मू प्रांत के कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है. वहां बड़ी संख्या में गुज्जर और बकरवाल हैं. जम्मू-कश्मीर में पहली बार एसटी को राजनीतिक आरक्षण प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें वन अधिकार अधिनियम के तहत सुरक्षा प्रदान करने के लिए ये दोनों एसटी समुदाय मोदी सरकार के पक्ष में हैं. इसलिए बीजेपी सधे हुए कदम बढ़ा  रही है और इंडिया गठबंधन आपसी तकरार को लेकर मुश्किल में है.


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