Omar Abdullah on J&K: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार (24 फरवरी) को केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव नहीं करवाए जाने को लेकर सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव का ऐलान चुनाव आयोग या सरकार के बजाय सुप्रीम कोर्ट को करना पड़ा है, ये बेहद शर्म की बात है. मुंबई में आयोजित हुए एबीपी नेटवर्क के कार्यक्रम 'आइडिया ऑफ इंडिया' समिट में पूर्व मुख्यमंत्री ने केंद्रशासित प्रदेश को लेकर चर्चा की.
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि चुनाव आयोग के बजाय सुप्रीम कोर्ट को जम्मू-कश्मीर में चुनाव के लिए निर्देश जारी करना पड़ा, जो काफी शर्म की बात है. उन्होंने कहा कि लगातार ये कहा जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में जितनी भी समस्याएं थीं, उसकी जड़ अनुच्छेद-370 था, जो कि बिल्कुल भी सही नहीं है. पूर्व सीएम ने कहा कि अब जम्मू, राजौरी और पूंछ जैसे इलाकों में आतंकवादी हमले हो रहे हैं, जहां पहले इस तरह की गतिविधियां नहीं होती थीं. ये इलाके आतंकवाद मुक्त थे.
SC की समयसीमा के भीतर क्या करेगी सरकार? उमर अब्दुल्ला ने पूछा सवाल
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने दावा किया कि अतीत से तुलना करने पर पता चलता है कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में घाटी में हुए हमलों में पहले की सरकारों के मुकाबले ज्यादा कश्मीरी पंडित मारे गए हैं. उमर अब्दुल्ला ने सवाल किया, 'सुप्रीम कोर्ट के जरिए तय की गई समयसीमा पर बीजेपी और भारत सरकार क्या करने जा रही है?' उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा है कि सितंबर के अंत तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने चाहिए.
2019 में हटाया गया अनुच्छेद-370
दरअसल, जम्मू-कश्मीर से पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद-370 हटा दिया गया. इसके बाद राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेश में बांट दिया गया है. इसमें एक केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर बना, जहां विधानसभा रखी गई है, जबकि दूसरा केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख बना. हालांकि, 2019 से अब तक यहां विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं. इस वजह से प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टियां लगातार सरकार पर दबाव बना रही हैं कि केंद्रशासित प्रदेश में जल्द से जल्द चुनाव करवाए जाएं.
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