Joshimath Sinking: राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) ने मंगलवार (10 जनवरी) को जोशीमठ की स्थिति की समीक्षा की जहां इमारतों और अन्य ढांचों में दरारें आ गई हैं. इस बात पर जोर दिया कि तत्काल प्राथमिकता प्रभावित क्षेत्र से पूरी तरह से और सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने की होनी चाहिए.


एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एनसीएमसी की एक बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने इस बात पर जोर दिया कि संवेदनशील ढांचे को सुरक्षित तरीके से गिराने को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए. एनसीएमसी ने कहा कि भू-तकनीकी, भूभौतिकीय और हाइड्रोलॉजिकल सहित सभी अध्ययनों तथा जांचों को एक समन्वित और समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाना चाहिए. 


उत्तराखंड सरकार ने क्या कहा


उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने एनसीएमसी को वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी और बताया कि गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त मकानों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा रहा है. बयान में कहा गया है कि प्रभावित परिवारों को समायोजित करने के लिए जोशीमठ और पीपलकोटी में राहत आश्रयों की पहचान की गई है. राज्य सरकार उचित मुआवजा और राहत उपाय प्रदान कर रही है.


केंद्र सरकार क्या करेगी 


मुख्य सचिव ने समिति को अवगत कराया कि जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन बंद कर दिया गया है और जोशीमठ नगर पालिका क्षेत्र तथा उसके आसपास के निर्माण कार्यों को अगले आदेश तक रोक दिया गया है. जिला प्रशासन को उनके राहत और पुनर्वास प्रयासों में मदद करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य आपदा मोचन बलों को तैनात किया गया है. कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने मुख्य सचिव को आश्वासन दिया कि सभी केंद्रीय एजेंसियां आवश्यक सहायता के लिए उपलब्ध रहेगी. 


बता दें कि भू-धंसाव के कारण जोशीमठ में छतिग्रस्त भवनों की संख्या हुई 723 हो गई है. सुरक्षा को देखते हुए कुल 131 परिवारों को अस्थाई रूप से विस्थापित किया गया है. जोशीमठ नगर क्षेत्रान्तर्गत अस्थाई रूप से 1425 क्षमता के 344 राहत शिविर के साथ ही जोशीमठ क्षेत्र से बाहर पीपलकोटी में 2205 क्षमता के 491 कक्षों/हॉलों को चिन्हित किया गया है.


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