Row Over National Emblem: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार को नये संसद भवन की छत पर लगे विशालकाय राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ (Ashoka Pillar) का अनावरण किया था. जिसे लेकर अब विवाद हो गया है. विपक्ष समेत तमाम विरोधी दल बीजेपी पर राष्ट्रीय चिह्न (National Emblem) को बदलने का आरोप लगा रहे हैं. कांग्रेस ने राष्ट्रीय चिह्न को लेकर प्रधानमंत्री पर हमला बोला.


कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने अशोक स्तंभ को लेकर कहा कि, एक ऐसे फंक्शन में सरकार के अलावा किसी भी विपक्ष को नहीं बुलाना भर्त्सना योग्य है. सिंघवी ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय चिह्न पर सत्यमेव जयते लिखा हुआ कहीं नहीं दिख रहा है, इसे अभी भी ठीक किया का सकता है. उन्होंने कहा राष्ट्रीय चिह्न हमेशा आपने देखा होगा की पदासीन व्यक्ति के पीछे  होता है. अशोक स्तंभ पर हमेशा सत्यमेव जयते लिखा रहता है. 


कांग्रेस की ओर से जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने भी इस विवाद पर सरकार को घेरने की कोशिश की. जयराम रमेश ने ट्वीट किया कि सारनाथ में अशोक के स्तंभ पर शेरों के चरित्र और प्रकृति को पूरी तरह से बदलना भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का एक बेशर्म अपमान है!


वहीं राष्ट्रीय चिह्न को लेकर लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की राष्ट्रीय जनता दल ने भी सवाल खड़े किए हैं. RJD की ओर से एक ट्वीट किया गया कि, "राष्ट्रीय प्रतीक में शेरों की अभिव्यक्ति हल्की होती है, लेकिन जो नई मूर्ति पर हैं उनमें "नरभक्षी प्रवृत्ति" दिखाई देती है." 






AAP ने अशोक स्तंभ की बनावट पर उठाए सवाल


वहीं इस विवाद को लेकर आम आदमी पार्टी ने भी केंद्र सरकार पर राष्ट्रीय धरोहर से छेड़छाड़ करने का आरोप लगया है. आप नेता सौरव भारद्वाज (Saurav Bharadwaj) ने इस विवाद को लेकर कहा कि, "आम आदमी पार्टी का मानना है कि किसी भी धरोहर के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. मुद्रा का कोई नियम नहीं है, लेकिन मतलब अलग अलग होता है."  वहीं इस विवाद को लेकर आप नेता संजय सिंह ने भी बीजेपी की नियत पर सवाल उठाए हैं. संजय सिंह (Sanjay Singh) ने एक ट्वीट को शेयर करते हुए सवाल उठाए कि मैं 130 करोड़ भारवासियों से पूछना चाहता हूं कि राष्ट्रीय चिन्ह बदलने वालों को राष्ट्र विरोधी बोलना चाहिये कि नहीं बोलना चाहिये.






टीएमसी सांसद ने उठाए सवाल


TMC सांसद जवाहर सरकार ने भी इस मुद्दे को लेकर सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा कि ये हमारे राष्ट्रीय चिह्न का अपमान है. असली तस्वीर लेफ्ट में है. वहीं सीधे हाथ में मोदी वर्जन है. जिसे नई संसद बिल्डिंग के ऊपर लगाया गया है. ये अनावश्यक रूप से आक्रमक है. उसे तुरंत बदला जाए. वहीं टीएमसी सासंद महुआ मोइत्रा ने भी इस विवाद पर ट्वीट किया है. मोइत्रा ने अशोक स्तंभ की एक पुरानी और नई तस्वीर शेयर की है. 






CPM ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि "शक्तियों के संवैधानिक पृथक्करण" को "कार्यपालिका के प्रमुख द्वारा विकृत किया जा रहा है." AIAMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे पर अपनी राय देते हुए ट्वीट किया, "सरकार के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री को नए संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण नहीं करना चाहिए था. प्रधानमंत्री ने सभी संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया है.


वहीं विवाद को लेकर इतिहासकार एस इरफान हबीब ने भी एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा, हमारे राष्ट्रीय प्रतीक के साथ हस्तक्षेप करना पूरी तरह से अनावश्यक और परिहार्य था. हमारे शेरों को क्रूर और क्रोध से भरा क्यों दिखना चाहिए? ये 1950 में स्वतंत्र भारत द्वारा अनुकूलित अशोक के शेर हैं. 


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