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National Emblem Dispute: अशोक स्तंभ को लेकर छिड़ा विवाद, विपक्ष ने आकार बदलने के लगाए आरोप, सरकार ने भी दिया जवाब

National Emblem Row: कांग्रेस समेत तमाम विरोधी दलों ने सरकार पर अशोक स्तंभ के आकार को बदलने का आरोप लगाया है. सरकार ने भी विपक्ष के आरोपों पर पलटवार किया है.

National Emblem Dispute: पीएम मोदी द्वारा नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ (Ashok Stambh) का अनावरण करने के बाद विवाद छिड़ गया है. कांग्रेस (Congress) समेत तमाम विपक्षी दलों ने अशोक स्तंभ की बनावट बदलने के आरोप लगाए हैं और पीएम (PM Modi) द्वारा अनावरण करने को लेकर सरकार पर कई सवाल खड़े किए. वहीं विपक्ष दलों के आरोपों पर सरकार ने भी पलटवार किया है. आपको बताते हैं कि क्या है पूरा विवाद और अब तक किसने क्या कहा है. 

दरअसल, पीएम मोदी ने बीते दिन यानि सोमवार को नए संसद भवन की छत पर लगे विशालकाय राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ का अनावरण किया था. इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी कार्यक्रम में मौजूद रहे. ये प्रतीक कांस्य से बना है और इसका कुल वजन 9,500 किलोग्राम है. इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है और इसे नए संसद भवन के केंद्रीय फोयर के शीर्ष पर कास्ट किया गया है. प्रतीक के समर्थन के लिए लगभग 6,500 किलोग्राम वजन वाले स्टील की एक सहायक संरचना का निर्माण किया गया है. 

पीएम के द्वारा अनावरण करने पर उठाए सवाल

नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ को अनावरण के साथ ही विपक्ष ने सरकार पर कई आरोप मढ़ दिए. इसकी शुरूआत की हैदराबाद के सांसद और AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने. उन्होंने पीएम के द्वारा अनावरण करने को संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन बताया. उन्होंने कहा कि, "संविधान संसद, सरकार और न्यायपालिका की शक्तियों को अलग करता है. सरकार के प्रमुख के रूप में पीएम को नए संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण नहीं करना चाहिए था." 

राष्ट्रीय चिह्न को बदलने का लगाया आरोप

इसके बाद तमाम विपक्षी दल सरकार पर टूट पड़े. कांग्रेस समेत बाकी विरोधी दलों ने सरकार पर राष्ट्रीय चिह्न को बदलने का आरोप भी लगाया. विपक्षी दलों अशोक की लाट के ‘मोहक और राजसी शान वाले’ शेरों की जगह उग्र शेरों का चित्रण कर राष्ट्रीय प्रतीक के रूप को बदलने का आरोप लगाया. उन्होंने इसे तत्काल बदलने की मांग की. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ट्वीट किया, ‘‘नरेंद्र मोदी जी, कृपया शेर का चेहरा देखिए. यह महान सारनाथ की प्रतिमा को परिलक्षित कर रहा है या गिर के शेर का बिगड़ा हुआ स्वरूप है. कृपया इसे देखिए और जरूरत हो तो इसे दुरुस्त कीजिए.’’ 

क्या कहा विपक्षी नेताओं ने?

कांग्रेस के मीडिया प्रभारी और राज्य सभा सदस्य जयराम रमेश ने भी सरकार को घेरा. जयराम रमेश ने ट्वीट कर लिखा कि, "सारनाथ में अशोक के स्तंभ पर शेरों के चरित्र और प्रकृति को पूरी तरह से बदलना भारत के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान है." 

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट किए. उन्होंने सबसे पहले ट्विटर पर नए और पुराने अशोक स्‍तंभ की तस्‍वीर शेयर की. इसके बाद उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि, "सच कहा जाए, सत्यमेव जयते से सिंघमेव जयते में बदलाव पूरा हुआ है." इस ट्वीट के बाद उन्होंने एक और ट्वीट कर लिखा कि, "क्षमा करें, मेरा मतलब था कि सत्यमेव जयते से संघीमेव जयते में बदलाव पूरा हो गया है. 
शेरों को शामिल न करें." 

इतिहासकार ने भी जताई आपत्ति

सिर्फ विपक्ष ही नहीं बल्कि इतिहासकार एस इरफान हबीब ने भी नए संसद भवन की छत पर लगाए गए राष्ट्रीय प्रतीक पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे राष्ट्रीय प्रतीक के साथ छेड़छाड़ पूरी तरह अनावश्यक है और इससे बचा जाना चाहिए. हमारे शेर अति क्रूर और बेचैनी से भरे क्यों दिख रहे हैं? ये अशोक की लाट के शेर हैं जिसे 1950 में स्वतंत्र भारत में अपनाया गया था.’’ वहीं वरिष्ठ वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि, ‘‘गांधी से गोडसे तक, शान से और शांति से बैठे हमारे शेरों वाले राष्ट्रीय प्रतीक से लेकर सेंट्रल विस्टा में निर्माणाधीन नये संसद भवन की छत पर लगे उग्र तथ दांत दिखाते शेरों वाले नये राष्ट्रीय प्रतीक तक. यह मोदी का नया भारत है.’’ 

सरकार ने किया पलटवार

विपक्ष की ओर से किए गए हमले पर सत्ता पक्ष की ओर से भी पलटवार किया गया. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि, "जिन्होंने खून से होली खेली है, जिन्होंने बीजेपी वर्करों को मारा हैं, जो जिहाद के नारा देते हैं, जिनकी सांसद काली माता का अपमान करती है, जिन लोगों ने संविधान को अपने पैर से कुचला है, वो आज अशोक स्तंभ से डर रहे हैं. जो लोग मां काली का अपमान करते हैं वो राष्ट्रीय प्रतीक का भी अपमान करते हैं, हैरानी की बात नहीं है."

केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी विपक्ष पर पलटवार करते हुए जोर दिया कि यदि सारनाथ स्थित राष्ट्रीय प्रतीक के आकार को बढ़ाया जाए या नए संसद भवन पर बने प्रतीक के आकार को छोटा किया जाए, तो दोनों में कोई अंतर नहीं होगा. पुरी के मंत्रालय पर सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत नए संसद भवन के निर्माण का जिम्मा है. उन्होंने कहा कि दो संरचनाओं की तुलना करते समय कोण, ऊंचाई और माप के प्रभाव की सराहना करने की आवश्यकता है. 

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने क्या कहा?

केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट किया कि, "यदि कोई व्यक्ति नीचे से सारनाथ प्रतीक को देखता है, तो वह उतना ही शांत या क्रोधित दिखाई देगा, जितना बताया जा रहा है. यदि मूल प्रतीक की वास्तविक प्रतिकृति नयी इमारत पर लगाई जाती है, तो वह दूर से नहीं दिखाई देगी." उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों को ये भी पता होना चाहिए कि सारनाथ में रखा गया मूल प्रतीक जमीन पर है जबकि नया प्रतीक जमीन से 33 मीटर की ऊंचाई पर है. 

हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "अगर सारनाथ (Sarnath) स्थित प्रतीक चिन्ह के आकार को बढ़ाया जाए या नए संसद भवन पर लगे प्रतीक के आकार को छोटा कर दिया जाए तो दोनों में कोई फर्क नहीं दिखेगा.’’ पुरी ने सारनाथ स्थित प्रतीक चिन्ह की एक तस्वीर भी ट्वीट की. बीजेपी (BJP) ने विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर राजनीतिक कारणों से एक के बाद विवाद पैदा करने की कोशिश कर रहा हैं. 

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