(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
National Family Health Survey: देश की आबादी में पहली बार 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं, कुल प्रजनन दर घटकर 2 रह गई
National Family and Health Survey: बच्चों और महिलाओं में एनीमिया चिंता का विषय बना हुआ है. भारत की कुल प्रजनन दर (टीएफआर), प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या राष्ट्रीय स्तर पर 2.2 से घटकर 2 हो गई है.
India Records more Women than Men: भारत की आबादी में पहली बार प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1020 हो गई है. ये जानकारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में सामने आई है. नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ विनोद कुमार पॉल और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने बुधवार को 2019-21 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) फैक्टशीट जारी की. इससे पहले NFHS-4 में प्रति 1000 पुरुषों की आबादी में महिलाओं की संख्या 991 थी.
सर्वे के पहले चरण में शामिल 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध में एनएफएचएस-5 के निष्कर्ष दिसंबर 2020 में जारी किए गए थे. फेस 2 में जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का सर्वेक्षण किया गया, वो हैं अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पुद्दुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड. NFHS-5 सर्वे कार्य देश के 707 जिलों (मार्च 2017 तक) के लगभग 6.1 लाख नमूना परिवारों में किया गया है, जिसमें जिला स्तर तक अलग-अलग अनुमान प्रदान करने के लिए 724,115 महिलाओं और 101,839 पुरुषों को शामिल किया गया.
- कुल प्रजनन दर (टीएफआर), राष्ट्रीय स्तर पर प्रति महिला बच्चों की औसत संख्या 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है और सभी 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ में 1.4 से लेकर उत्तर प्रदेश में 2.4 हो गई है. मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश को छोड़कर सभी चरण-II राज्यों ने प्रजनन क्षमता का प्रतिस्थापन स्तर (2.1) हासिल कर लिया है.
- ओवरऑल कॉन्ट्रासेप्टिव प्रिवलेन्स रेट (सीपीआर) अखिल भारतीय स्तर पर और पंजाब को छोड़कर लगभग सभी चरण-II राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 54 प्रतिशत से 67 प्रतिशत तक बढ़ गई है.
- अखिल भारतीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा अनुशंसित चार या अधिक एएनसी विजिट पाने वाली महिलाओं की संख्या 51 प्रतिशत से बढ़कर 58 प्रतिशत हो गई है. 2015-16 से 2019-20 के बीच पंजाब को छोड़कर सभी चरण-II राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने सुधार दर्शाया है.
- अखिल भारतीय स्तर पर अस्पतालों में जन्म 79 प्रतिशत से बढ़कर 89 प्रतिशत हो गए हैं. पुद्दुचेरी और तमिलनाडु में अस्पतालों में प्रसव 100 प्रतिशत है और दूसरे चरण के 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 7 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 90 प्रतिशत से अधिक है.
- अस्पतालों में जन्मों की संख्या वृद्धि के साथ-साथ, कई राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में विशेष रूप से निजी स्वास्थ्य सुविधाओं में सी-सेक्शन प्रसव में भी पर्याप्त वृद्धि हुई है.
- लगभग सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में गर्भ निरोधकों के आधुनिक तरीकों का उपयोग भी बढ़ा है.
- 12-23 महीने की आयु के बच्चों के बीच पूर्ण टीकाकरण अभियान में अखिल भारतीय स्तर पर 62 प्रतिशत से 76 प्रतिशत तक पर्याप्त सुधार दर्ज किया गया है. 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 11 में 12-23 महीने की आयु के पूर्णटीकाकरण वाले तीन-चौथाई से अधिक बच्चे हैं और यह ओडिशा के लिए अधिकतम (90 प्रतिशत) है.
- बच्चों और महिलाओं में एनीमिया चिंता का विषय बना हुआ है. एनएफएचएस-4 की तुलना में सभी चरण-II राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और अखिल भारतीय स्तर पर गर्भवती महिलाओं द्वारा 180 दिनों या उससे अधिक समय तक आयरन फोलिक एसिड (आईएफए) गोलियों के सेवन के बावजूदआधे से अधिक बच्चे और महिलाएं (गर्भवती महिलाओं सहित) एनीमिया से ग्रस्त हैं.
- 6 महीने से कम उम्र के बच्चों को विशेष रूप से स्तनपान कराने से अखिल भारतीय स्तर पर 2015-16 में 55 प्रतिशत से 2019-21 में 64 प्रतिशत तक सुधार हुआ है. दूसरे चरण के सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश भी काफी प्रगति दिखा रहे हैं.
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