National Herald ऑफिस समेत दिल्ली-कोलकाता से मुंबई तक कई ठिकानों पर ED की छापेमारी, राहुल बोले- न डरेंगे न डराने देंगे
National Herald Case: नेशनल हेराल्ड केस मामले में सोनिया और राहुल से पूछताछ के बाद प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की टीम दिल्ली के हेराल्ड हाउस पहुंच गई है.
National Herald Case: नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) मामले में सोनिया और राहुल (Rahul Gandhi and Sonia Gandhi) से पूछताछ के बाद प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) यानी ईडी की टीम ने दिल्ली (Delhi) के हेराल्ड हाउस पर छापेमारी की. दस्तावेजों की तलाश में नेशनल हेराल्ड के ठिकानों पर ईडी के छापे मारे. इस दौरान दस जनपथ पर हुई बैठक के दस्तावेजों की भी तलाश की जा रही है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली, मुबई और कोलकाता समेत 10 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की है.
सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार ED ने एकाउंट सेक्शन के दो पुराने अधिकारियो से आरंभिक पूछताछ भी की है. उनसे हेराल्ड हाऊस में साल 2010 से 2015 तक के खातों के बारे में पूछा गया. वहीं फिलहाल टीम एकाउंट सेक्शन ने कांग्रेस से आए लोन वाली फाइल की तलाश कर रही है.
वहीं राहुल गांधी ने इस छापेमारी से थोड़ी देर पहले एक पोस्ट साझा किया जिसमें उन्होंने मंहगाई को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने पोस्ट में कहा कि ना हम डरेंगे, ना डरने देंगे. देश बेरोज़गारी की महामारी से जूझ रहा है, करोड़ों परिवारों के पास स्थिर आय का कोई साधन नहीं बचा. लेकिन सरकार सिर्फ़ एक 'अहंकारी राजा' की छवि चमकाने में अरबों रुपए फूंक रही है.
इससे पहले 27 जुलाई को ही ED ने सोनिया गांधी से करीब 11 घंटे तक सवाल-जवाब किया था. यह पूछताछ 3 दिनों तक चली थी. इस दौरान ED ने सोनिया से हेराल्ड से जुड़े 40 से ज्यादा सवाल पूछे थे. सोनिया से पहले ED राहुल गांधी से भी 50 घंटे से ज्यादा की पूछताछ कर चुकी है. हालांकि सोनिया गांधी और राहिल गांधी से किए गए पूछताछ पर कांग्रेस जोरदार विरोध कर रही है.
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
नेशनल हेराल्ड एक न्यूज पेपर है जिसे पंडित नेहरू ने साल 1938 में शुरू किया था. इसका मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड यानी एजीएल के पास था, लेकिन 70 साल बाद साल 2008 में घाटे की वजह से अखबार को बंद करना पड़ा. आरोप है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सहमति से कांग्रेस के फंड से 90 करोड़ का लोन एजीएल को दिया गया.
बाद में सोनिया और राहुल गांधी ने यंग इंडिया नाम से एक कंपनी बनाकर इस अखबार की संपत्ति पर कब्जा कर लिया. यंग इंडिया में सोनिया और राहुल के अलावा मोतीलाल वोरा और आस्कर फर्नांडिस की भी हिस्सेदारी थी. दोनों का निधन हो गया. साल 2012 में सुब्रमण्यन स्वामी की ओर से एक याचिका दाखिल कर इस पूरे कथित सौदे पर सवाल उठा दिए.
साल 2014 में सोनिया और राहुल के खिलाफ कोर्ट से समन जारी हुआ. इसके बाद ईडी इस मामले में जांच कर रही है. वहीं साल 2015 में दोनों नेताओं को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत भी दी गई है. वहीं साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों ने नेताओं को कोर्ट में सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से पेश न होने की इजाजत दे दी लेकिन केस को बंद नहीं किया.
ये भी पढ़ें: