ED On National Herald Case: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड मामले में एक बड़ा दावा किया है, जिससे लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. केंद्रीय एजेंसी ने कहा है कि कांग्रेस की ओर से संचालित एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल), को नेशनल हेराल्ड चलाने के लिए विभिन्न शहरों में रियायती दरों पर जमीन मिली.


एजेंसी ने कहा कि देश भर में जमीन मिलने के बाद कंपनी ने 2008 में अखबार बंद कर दिया था. कंपनी ने सभी कर्मचारियों को वॉलंटरी रिटायरमेंट दी. उसके बाद कंपनी के खाते में 90 करोड़ रुपये थे जिसका अधिग्रहण यंग इंडिया (YI) ने किया. 


यंग इंडिया में सोनिया-राहुल की हिस्सेदारी
ईडी ने कहा कि इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की हिस्सेदारी 76 फीसदी है. जब इस भ्रष्टाचार के बारे में केंद्रीय एजेंसियों ने जांच शुरू की तब से केवल दिखाने के लिए अखबार का प्रकाशन हो रहा है. 2016 के आसपास कंपनी ने अपने समाचार का संचालन ऑनलाइन फिर से शुरू किया, "सिर्फ यह दिखाने के लिए कि वह अभी भी प्रकाशन में लगी हुई है."


प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 21 नवंबर को यंग इंडियन (YIL) और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की साढ़े सात सौ करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी. एजेएल की 691.9 करोड़ और यंग इंडियन की 90 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी.


क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने साल 1938 में 5 हजार स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया था, लेकिन साल 2008 में इसका प्रकाशन बंद कर दिया गया. नेशनल हेराल्ड का संचालन एसोसिएट जर्नल (AJL) करता था. एजेएल ने ही हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज और अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया था.


एजेएल पर जवाहर लाल नेहरू का मालिकाना हक नहीं था क्योंकि इसे शुरू करने में 5 हजार स्वतंत्रता सेनानी भी शामिल थे. अखबार पर 90 करोड़ रुपये का कर्ज था, जो चुकाया नहीं गया.


कांग्रेस ने नई कंपनी बनाकर कर लिया था अधिग्रहण
साल 2010 में एक नई कंपनी यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड बनाई गई. यंग इंडियन को कांग्रेस ने 90 करोड़ का लोन ट्रांसफर कर दिया और एसोसिएट जर्नल ने भी अपना सारा शेयर नई कंपनी को दे दिया. बदले में यंग इंडियन ने एजेएल को केवल 50 लाख रुपये दिए.


साल 2012 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कर धन के आपराधिक दुरुपयोग का आरोप लगाया.


उन्होंने कहा कि पार्टी के पैसों से एजेएल का लोन खरीदने के लिए साल 2010 में यंग इंडियन (YIL) कंपनी की स्थापना की गई. इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76 फीसदी की हिस्सेदारी है और 12-12 फीसदी शेयर मोतीलाल बोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास थे.


'2000 करोड़ की कंपनी को केवल 50 लाख में खरीदा'


स्वामी ने अपनी शिकायत में 2000 करोड़ रुपये की कंपनी को सिर्फ 50 लाख रुपये में खरीदने को लेकर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि महज 50 लाख खर्च कर 90 करोड़ की वसूली कर ली गई.


ईडी ने और क्या बताया?
ईडी ने बताया कि यंग इंडियन सहित सात आरोपी व्यक्तियों और संस्थाओं ने प्रथम दृष्टया भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक विश्वासघात के अपराध किए, जिसमें धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति के लेनदेन को प्रेरित करना, संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग और आपराधिक साजिश शामिल हैं.


ईडी का आरोप है कि आरोपी व्यक्तियों ने यंग इंडियन के जरिए एजेएल की करोड़ों रुपये की संपत्ति हासिल करने के लिए आपराधिक साजिश रची. ईडी का कहना है कि एजेएल को समाचारपत्र प्रकाशित करने के उद्देश्य से भारत के विभिन्न शहरों में रियायती दरों पर जमीन दी गई थी.


ईडी ने आरोप लगाया कि एजेएल ने 2008 में अपना प्रकाशन बंद कर दिया और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए संपत्ति का उपयोग करना शुरू कर दिया. इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक, कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी थर्ड पार्टी के साथ पैसों का लेनदेन नहीं कर सकती.


सोनिया, राहुल समेत कांग्रेस के ये नेता हैं आरोपी
इस केस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे को आरोपी बनाया गया था. एजेंसी ने मामले के सिलसिले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के नेता पवन बंसल, डी. के. शिवकुमार (कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री) और उनके सांसद भाई डी.के. सुरेश से साल 2022 में पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किए थे.


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