नई दिल्ली: आईएसआईएस से जुड़े 'हरकत-उल-हरब-ए-इस्लाम' की जांच के दौरान सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं. जांच के दौरान पता चला है कि आईएसआईएस के मुखौटे के पीछे पाकिस्तान की आईएसआई है जिसने बाकायदा भारतीय मुस्लिम युवाओं को गुमराह करने के लिए एक कॉल सेंटर भी खोला हुआ है. उस कॉल सेंटर में साइक्लोजिस्ट भी बैठाए हुए हैं. यही नहीं आईएसआई ने इस नई साजिश को 'उबर स्कीम' नाम दिया है यानि जो जेहाद के लिए सीधे नहीं लड़ना चाहता वो पैसे और हथियार मुहैया करा दे.


जांच एजेंसी एनआईए ने इसी सप्ताह छापा मारकर आईएसआईएस के माड्यूल 'हरकत-उल-हरब-ए-इस्लाम' का पर्दाफाश किया था और 10 लोगों को गिरफ्तार किया. ये लोग जेहाद के नाम जंग करने की तैयारी कर रहे थे औऱ समझ रहे थे कि वो आईएसआईएस के लिए काम कर रहे हैं. लेकिन खुफिया एजेंसियों की जांच में कुछ नए तथ्य सामने आ रहे हैं.


खुफिया एजेंसी के एक आला अधिकारी ने बताया कि आईएसआईएस के नाम पर पूरी तरह से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की साजिश है. जिसने एक पाकिस्तानी को एशिया का कथित प्रमुख बनाया हुआ है औऱ भारतीय युवाओं को गुमराह करने के लिए बाकायदा कॉल सेंटर खोला हुआ है जिसमें साइक्लोजिस्ट भी बैठते हैं.


सूत्रों के मुताबिक जैसे ही किसी वेबसाइट पर कोई भारत विरोधी पोस्ट लगती है, कई लोग उसपर भारत विरोधी कमेंट करने शुरू कर देते हैं और कई बार उत्साह में यह भी नहीं देखते कि वो लिख क्या रहे हैं. इसके बाद शूरु होती है पाकिस्तान की साजिश. पाकिस्तान का एक काल सेंटर ऐसी पोस्टों पर उत्साही कमेंट लिखने वालों की पूरी जांच करता है कि कहीं वो भारतीय एजेंसी का आदमी तो नहीं है. उसके बाद फेसबुक आदि के जरिए उसके पूरे दोस्तों और परिवार की जन्मपत्री खंगाली जाती है.


जब यह तय हो जाता है कि फलां शख्स इस्लाम के नाम पर कुर्बानी के लिए तैयार है तो उससे सोशल मीडिया पर बात शुरू होती है. जो धीरे से टेलीग्राम पर चली जाती है औऱ फिर ऐसे साफ्टवेयर्स के जरिए बात होती है जिनपर नंबर नहीं आता.


खुफिया सूत्रों के मुताबिक जेहाद करने वाले शख्स से आईएसआईएस के नाम पर बात की जाती है और जरूरत पड़ने पर उसके दिमाग को और ज्यादा भडकाने के लिए धर्मगुरू के नाम पर साइक्लोजिस्ट बात करता है. इसके बाद शिकार जैसा करना चाहता है वैसा काम बता दिया जाता है जिसे आईएसआई ने आपरेशन उबर नाम दिया है.


सूत्रों ने बताया कि आपरेशन उबर का मतलब है कि यदि कोई सामने आकर बम धमाके करने को तैयार नहीं है लेकिन पैसे या हथियार मुहैया करा सकता है तो उसे मुहैया करा दे. जो एक्टिव होकर लड़ना चाहता है वो फील्ड में काम करे. जिन 10 लोगों को एऩआईए ने गिरफ्तार किया है उनमें भी ऐसे लोग शामिल हैं जो सीधे लड़ना नहीं चाहते थे. सूत्रों के मुताबिक ऐसे एजेंटो को तैयार करने में आईएसआई चार से छह महीने लगाती है और पूरी तरह से निश्चिंत होने के बाद ही दांव खेला जाता है.


पाकिस्तान की इमरान सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उसके खाने के दांत और हैं, दिखाने के और. यानि नाम बदनाम हो आईएसआईएस का और काम हो पाकिस्तान का. फिलहाल एऩआईए इस मामले में कुछ और लोगों को गिरफ्तार कर सकता है.


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