Union Health Ministry: केंद्र सरकार ने शुक्रवार (17 मार्च) को कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रस्ताव पर असहमति जताई. दरअसल ये प्रस्ताव फार्मासिस्टों को प्रिस्क्रिप्शन लिखने की अनुमति देने को लेकर था. सरकार ने कहा कि एक प्रिस्क्रिप्शन लिखना रोगियों की जांच और निदान करने पर निर्भर है.


स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में एक सवाल का लिखित में जवाब देते हुए ये बात कही. मंत्री पवार ने यह भी कहा कि सरकारी अस्पतालों में फार्मासिस्टों की भर्ती, उनकी सैलरी और किसी भी राज्य के अस्पतालों में फार्मासिस्ट बनने की योग्यता संबंधित राज्य के नियमों के अनुसार होती है.


2015 और उसके बाद संशोधन जारी किए
स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन, 2015 और उसके बाद संशोधन जारी किए हैं. इसके अनुसार फार्मा डी स्नातकों के लिए अलग-अलग पदों पर अस्पतालों में काम करने का प्रावधान है.


इस रूप में काम करने के लिए पात्र
इसके अलावा, डी फार्म और बी फार्म स्नातक चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के सहयोग से सामुदायिक फार्मासिस्ट तौर पर काम करने के लिए पात्र हैं. ये सभी रोगी की देखभाल करते हैं, जो दवा के इस्तेमाल और स्वास्थ्य, कल्याण और रोग को रोकने में सहायक होते हैं. स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा कि असम के गुवाहाटी में एक क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला कार्यरत है. उन्होंने कहा कि प्रयोगशाला ने 2018 में 1,133 नमूनों की तुलना में 2022 में 3,285 नमूनों का परीक्षण किया गया है.


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