हाल ही में चुनाव प्रचार के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को लेकर मेमोरी लॉस वाली टिप्पणी की थी. इसको लेकर राष्ट्रीय मेडिकोस संगठन भारत ने आपत्ति जताते हुए कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी है. संगठन ने राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग की है और राजनीतिक संवाद से दूसरे पर कलंक न लगाने की बात कही.  


राष्ट्रीय मेडिकोस संगठन भारत ने चिट्ठी में लिखा, "प्रिय श्रीमती गांधी, हम यह पत्र चिकित्सा बिरादरी के चिंतित सदस्यों के रूप में लिख रहे हैं, जो राहुल गांधी की हाल ही में की गई टिप्पणियों से बहुत परेशान हैं, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की संज्ञानात्मक क्षमताओं का अपमान करती प्रतीत होती हैं. राहुल गांधी की ओर से एक विदेशी राष्ट्राध्यक्ष के बारे में इतनी भद्दी टिप्पणी देखना निराशाजनक है, जो उनसे बहुत वरिष्ठ और उम्र में बड़े हैं. यह हमारे बुजुर्गों का सम्मान करने की भारतीय लोकाचार के बिल्कुल विपरीत है. इस तरह की टिप्पणियां विपक्ष के नेता के लिए अनुचित हैं और समझ और संवेदनशीलता की कमी को दर्शाती हैं."


'गलत सूचना को बढ़ावा मिलने का जोखिम'


संगठन ने आगे लिखा, "इसके अलावा, सार्वजनिक मंच पर इस तरह के बयानों से गलत सूचना को बढ़ावा मिलने का जोखिम है, जो संभावित रूप से सार्वजनिक धारणा को इस तरह से आकार दे सकता है जो वास्तविक रोगियों की समझ और उपचार को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है. स्मृति हानि या संज्ञानात्मक गिरावट, कई तरह की अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियों से उत्पन्न हो सकती है, जिसमें अल्जाइमर रोग, उम्र से संबंधित मनोभ्रंश या यहां तक ​​कि तनाव या आघात से जुड़ी भूलने की बीमारी जैसी क्षणिक स्थितियां शामिल हैं."


'ये कोई मजाक नहीं'


चिट्ठी में आगे लिखा गया, "ये मजाक या पॉलिटिकल प्वाइंट-स्कोरिंग के मामले नहीं हैं. इसके विपरीत, वे सहानुभूति, जागरूकता और मरीजों और उनके परिवारों की ओर से झेली जाने वाली चुनौतियों की समझ की मांग करते हैं. राहुल गांधी की टिप्पणियां भी उम्रवादी क्षेत्र में जाती हैं, जो उम्र बढ़ने और संज्ञानात्मक स्वास्थ्य के बारे में हानिकारक रूढ़ियों को बढ़ावा देती हैं. यह न केवल लक्षित व्यक्तियों के लिए बल्कि भारत में अनगिनत वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी अपमानजनक है जो स्वास्थ्य चुनौतियों के बावजूद समाज में सार्थक योगदान देते हैं."


'आप भी रही हैं इस तरह की टिप्पणियों का शिकार, दर्द समझ सकती हैं'


एनएमओ भारत ने कहा, "श्रीमती गांधी, आप व्यक्तिगत रूप से ऐसी स्वास्थ्य संबंधी अफवाहों, गलत सूचनाओं और आरोपों का शिकार रही हैं. आपको पता होगा कि इस तरह की कहानियां न केवल लक्षित व्यक्तियों के लिए बल्कि समाज में व्यापक विमर्श के लिए भी कितनी हानिकारक हो सकती हैं. इससे हमें विश्वास होता है कि आप, सभी लोगों में से, समझ सकती हैं कि आपके बेटे की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण और गुमराह करने वाली क्यों थी."


'माफी मांगें राहुल गांधी'


चिट्ठी में आगे लिखा गया, “एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के नेता के रूप में, मिस्टर गांधी प्रभावशाली पद पर हैं. इसके साथ ही सम्मानजनक विमर्श को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी भी आती है, खासकर स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के बारे में जो लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं. ऐसे मामलों को हल्के में लेना न केवल मरीजों के संघर्ष को कमज़ोर करता है बल्कि हमारे नेताओं से अपेक्षित समझ और करुणा को भी खराब करता है. चिकित्सा समुदाय की ओर से हम राहुल गांधी से आग्रह करते हैं कि वे अपनी टिप्पणियों पर विचार करें, सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगें और भविष्य में ऐसी असंवेदनशील टिप्पणियां न करें. राजनीतिक संवाद को उत्थान और एकजुटता प्रदान करनी चाहिए, न कि कलंक लगाना या उपहास करना चाहिए.”


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