नई दिल्ली: रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार रक्षा खरीद प्रक्रिया को तेज कर रही है और देश में रक्षा बलों के लिए बजट संबंधी जरूरतों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा. जेटली ने साल 2017-18 के लिए रक्षा मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि देश की सुरक्षा के लिए संसाधनों की उपलब्धता जरूरी है. जिसके लिए विभिन्न स्तरों से राजस्व एकत्रित करने के प्रयास किये जाते हैं ताकि रक्षा जरूरतों को पूरा किया जा सके.


हम पिछली सरकार के समय रही व्यवस्था में सुधार कर रहे हैं: जेटली


जेटली ने कहा कि संसाधनों की उपलब्धता के संबंध में हम पिछली सरकार के समय रहीं व्यवस्था में सुधार कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘सेना के लिए खरीद के स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा चाहे दूसरे खर्चों को कम करना पड़े.’’ हाल ही में मनोहर पर्रिकर के गोवा के मुख्यमंत्री बनने के बाद रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार जेटली को मिला है.


रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा सैनिकों के वेतन और पूर्व सैनिकों के पेंशन पर खर्च होता है: जेटली


जेटली ने कहा कि देश के राजस्व का बड़ा हिस्सा राज्यों को दिया जाता है, बड़ा हिस्सा गरीबों की मदद के लिए सब्सिडी में चला जाता है, बड़ा हिस्सा ब्याज अदा करने में जाता है और बड़ा हिस्सा विकास कार्यों में खर्च होता है. उन्होंने कहा कि इतनी स्पर्धा के बीच देश की सुरक्षा के लिए अधिक से अधिक संसाधन जुटाने का प्रयास रहता है. रक्षा बजट में बड़ा हिस्सा सैनिकों के वेतन और पूर्व सैनिकों की पेंशन और उनकी सुविधाओं पर खर्च होता है.


देश की सुरक्षा और देश के सैनिकों की तैयारी राजनीतिक विषय नहीं हैं: जेटली 


रक्षा मंत्री ने चर्चा में विपक्षी सदस्यों की आलोचनात्मक टिप्पणियों के संदर्भ में कहा कि देश की सुरक्षा और देश के सैनिकों की तैयारी राजनीतिक विषय नहीं हैं. इसमें राजनीतिक दलों को एक दूसरे पर प्रहार नहीं करना चाहिए. दशकों से देश में कुछ अव्यवस्थाएं और अच्छी व्यवस्थाएं दोनों हैं. इससे पहले चर्चा में भाग ले रहे कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में पिछले तीन साल में सरकार की ना तो कोई नीति रही और ना ही कोई नीयत थी.