नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के उद्घाटन समारोह के मौके पर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि साल 2009 में सेना ने 1 लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट की मांग की थी. 2009 से लेकर 2014 तक पांच साल बीत गए, लेकिन सेना के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं खरीदी गई. ये हमारी ही सरकार है जिसने बीते साढ़े चार वर्षों में 2 लाख 30 हजार से ज्यादा बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदी है.


इस मौके पर उन्होंने रक्षा बलों के लिए तीन सुपर स्पेशियेलिटी अस्पतालों की घोषणा की. उन्होंने कहा, ''बहुत लंबे समय से आपकी मांग थी कि आपके लिए सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल बनाया जाए. आज इस ऐतिहासिक अवसर पर मुझे आपको ये बताने का सौभाग्य मिला है कि एक नहीं बल्कि हम ऐसे तीन सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल बनाने जा रहे हैं.''


उन्होंने कहा, ''सेना और देश की सुरक्षा को उन लोगों ने अपनी कमाई का साधन बना लिया था. शायद शहीदों को याद करके उन्हें कुछ मिल नहीं सकता था, इसलिए उन्हें भुलाना ही उन्हें आसान लगा.''


पीएम मोदी ने कहा, ''बोफोर्स से लेकर हेलीकॉप्टर तक, सारी जांच का एक ही परिवार तक पहुंचना, बहुत कुछ कह जाता है. अब यही लोग पूरी ताकत लगा रहे हैं कि भारत में राफेल विमान न आ पाए. अगले कुछ महीनों में जब देश का पहला राफेल, भारत के आसमान में उड़ान भरेगा, तो खुद ही इनकी सारी साजिशों को ध्वस्त कर देगा.''


उन्होंने कहा, ''सेना के लिए अत्याधुनिक राइफलों को खरीदने और भारत में बनाने का काम भी हमारी सरकार ने ही शुरु किया है. हाल ही में सरकार ने 72 हजार आधुनिक राइफल की खरीद का ऑर्डर दिया है. साथ ही हमारी सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपए का एम्यूनीशन यानि गोला-बारूद और गोलियां मिशन मोड में खरीदी है.''


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मोदी ने कहा, ''आज देश को राष्ट्रीय समर स्मारक मिलने जा रहा है लेकिन राष्ट्रीय पुलिस मेमोरियल की भी तो यही कहानी थी. इस मेमोरियल को बनाने और राष्ट्र को समर्पित करने का सौभाग्य भी हमारी ही सरकार को मिला. करीब ढाई दशक पहले इस स्मारक की फाइल चली थी, बीच में अटल जी की सरकार के समय बात आगे बढ़ी लेकिन उनकी सरकार के जाने के बाद स्थिति फिर जस की तस हो गई.''


उन्होंने कहा कि आज देश का हर फौजी, हर नागरिक ये सवाल पूछ रहा है कि आखिर शहीदों के साथ ये बर्ताव क्यों किया गया? देश के लिए खुद को समर्पित करने वाले महानायकों के साथ इस तरह का अन्याय क्यों किया गया? वो कौन सी वजहें थीं, जिसकी वजह से किसी का ध्यान शहीदों के लिए स्मारक पर नहीं गया?


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प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आगे कहा कि इंडिया फर्स्ट और फैमिली फर्स्ट का जो अंतर है, वही इसका जवाब है. स्कूल से लेकर अस्पताल तक, हाईवे से लेकर एयरपोर्ट तक, स्टेडियम से लेकर अवॉर्ड तक – हर जगह एक ही परिवार का नाम जुड़ा रहता था.



उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय समर स्मारक की मांग कई दशक से निरंतर हो रही थी. बीते दशकों में एक-दो बार प्रयास हुए लेकिन कुछ ठोस हो नहीं पाया. आपके आशीर्वाद से साल 2014 में हमने राष्ट्रीय समर स्मारक बनाने के लिए प्रक्रिया शुरु की और आज तय समय से पहले ही इसका लोकार्पण होने वाला है. शहीद हुए सैनिकों की याद में इंडिया गेट के पास राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाया गया है. युद्ध स्मारक बनाने में कुल 176 करोड़ रुपये की लागत आई है.