देश में आज राष्ट्रीय महिला दिवस (National Women's Day ) मनाया जा रहा है. भारत में हर साल 13 फरवरी को स्वतंत्रता आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू की जयंती को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है. वे हमारे की देश की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं.


सरोजिनी नायडू एक स्वतंत्रता आंदोन की एक राजनीतिक कार्यकर्ता होने के साथ-साथ कवियत्री भी थीं. उन्हें भारत कोकिला (नाइटिंगेल ऑफ इंडिया) कहा जाता है. वे देश की पहली महिला राज्यपाल भी रही. ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका और दूसरे कार्यों के लिए सम्मानित करने के लिए उनकी जयंती को देश में राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज उनकी 142वीं जयंती मनाई जा रही है.


स्वतंत्रता आंदोलन के समय की बार गईं जेल
सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी, 1879 को हैदराबाद में हुआ. उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा हासिल की. इसके बाद वे देश में चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गईं और कई बार जेल गई. 1925 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान नायडू करीब 21 महीने तक जेल में रहीं.


2014 में राष्ट्रीय महिला दिवस की हुई शुरुआत


देश की आजादी के बाद 1947 में उन्हें तत्कालीन उत्तरप्रदेश की राज्यपाल के बनाया गया और वे देश की पहली पहली महिला राज्यपाल बनीं. 13 फरवरी 2014 से उनकी जंयती को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई.


कई विषयों पर लिखी कविताएं
सरोजिनी नायडू एक प्रसिद्द कवि भी थीं और उन्होंने रोमांस, देशभक्ति और त्रासदी जैसे कई विषयों पर कविताएं लिखी हैं. उनकी कविताओं की आजादी के कई नायकों भी प्रशंसा की. नायडू की कविताओं को देश में काफी पढ़ा जाता है.


गोल्डन थ्रेसहोल्ड (1905) उनका पहला कविता संग्रह था. इसके अलावा द बर्ड ऑफ टाइम: सांग्स ऑफ लाइफ, डेथ, एंड द स्प्रिंग, द ब्रोकन विंग, द सेप्ट्रेड फ्लूट: सांग्स ऑफ इंडिया, इलाहाबाद: किताबीस्तान द इंडियन वीवर्स आदि उनकी प्रमुख रचनाएं हैं.


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