देश में कोरोना की रफ्तार रोजाना अब चार लाख के ऊपर जाने लगी है. पिछली बार कोरोना का जो पीक आया था उसके मुकाबले चार गुणा से भी ज्यादा. ऐसे में कोरोना के नए रिकॉर्ड मरीजों की वजह से लड़खड़ती स्वास्थ्य सेवाओं के बीच यह सवाल उठ रहा है कि आखिर कैसे इस पर रोकथाम की जाए. कुछ लोगों का जहां यह मानना है कि देशव्यापी लॉकडाउन लगा देना चाहिए तो कुछ इसके विपरीत राय रखते हैं. हालांकि, एक्सपर्ट देश में संपूर्ण लॉकडाउन के खिलाफ राय रखते हैं. आइये जानते हैं क्या मानना है देश के बड़े एक्सपर्ट का.


गुलेरिया बोले- जहां रेट ज्यादा वहां लगे लॉकडाउन  


एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने एबीपी न्यूज पर शुक्रवार की शाम को कोरोना के सवालों  जवाब देते हुए देश में संपूर्ण लॉकडाउन के पक्ष में नहीं दिखे. उन्होंने कहा कि कई राज्यों ने अपने-अपने स्तर पर कदम उठाए हैं. लॉकडाउन का सिर्फ ये मतलब है कि लोगों को मिलने न दें. ताकि कोरोना चेन को तोड़ा जा सके. उन इलाकों में लॉकडाउन दो हफ्ते के लिए लगाया जाना चाहिए, जहां पॉजिटिविटी रेट ज्यादा है. अस्पतालों में बेड कम पड़ गए हैं.


 


वीकेंड लॉकडाउन भी गलत


इधर, Virology, ICMR के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर रमन गंगाखेडकर ने बताया कि अगर कोरोना कोई म्यूटेट करता है तो हमें वैक्सीन में बदलाव करना होगा. उन्होने कहा कि इस वक्त हम दूसरी लहर की चुनौतियों से जूझ रहे हैं. ऐसे में इस समय तीसरी चुनौतियों के बारे में सोचना बेकार है. उन्होने कहा कि फिलहाल अभी जोर-शोर से लड़ना चाहिए.


डॉक्टर रमन गंगाखेडकर ने कहा कि हमें पहले की बातों को छोड़कर ये देखना होगा कि अभी कैसे इससे लड़ाई करूं.  उन्होंने कहा कि पहले वेव के दौरान लॉकडाउन किया गया और कोरोना के प्रसार की रोकथाम की गई. उसका काफी फायदा मिला था कोरोना प्रसार को रोकने में. गंगाखेडकर ने कहा कि आज आजीविका का भी सवाल है, ऐसे में शनिवार और ओर रविवार को लॉकडाउन को बंद करने का ऐलान गलत है. उन्होंने कहा कि इसकी बजाय जहां पर कोरोना के ज्यादा मामले हैं, उन इलाकों को कंटेनमेंट बनाया जाए.


 


'लॉकडाउन का अब नहीं कोई मतलब'


सर्जिकल ऑनकोलॉजी धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर अंशुमन कुमार ने कहा कि लॉकडाउन कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा लॉकडाउन के तीन उद्देश्य होते हैं- तैयारी करना, टेस्टिंग बढ़ाना और संक्रमण की रोकथाम करना. लेकिन एक साल हो गया और आज भी ऑक्सीजन की भारी संकट है. इसका मतलब हुआ कि एक साल में कोई तैयारी नहीं की गई. ऐसे में लॉकडाउन का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि अब जरूरत है कि मेडिकल सुविधाएं बढ़ाएं. उन्होंने कहा मेडिकल अलग सिस्टम है, उसे मेडिकल के नजरिए से देखना पड़ेगा.  


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